By Vijendra Rawat
--- बहुत कठिन है राह केदार नाथ की!
--पैदल मार्ग का नक्शा बनाने में ही छूट रहे हैं एजेंसियों के पसीने
विजेन्द्र रावत--
देहरादून,
केदारनाथ से गौरीकुंड के 14 किलोमीटर के पैदल रास्ते में कुदरत का ऐसा कहर टूटा कि अब सरकार की कई एजेंसियों के नया रास्ता ढूँढने में पसीने छूट रहे हैं।
इस क्षेत्र में आये भूस्खलन ने रास्तों का नामो निशाँ ही मिटा दिया है इसलिए सरकारी एजेंसियां नए पैदल रास्ते को तलाश कर उसका नक्शा बनाने में जुटी हैं।
इस क्षेत्र में सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक सेना द्वारा सुझाया गया पैदल रास्ते का नक्शा सरकार को रास नहीं आया। उसके बाद नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी के पर्वतारोहण के विशेषज्ञ दल ने दूसरा मार्ग सुझाया जिसे अपेक्षाकृत कठिन रास्ता बताकर सचिवालय में बैठे नौकरशाहों ने रद्दी की टोकरी में फेंक दिया।
अब नये रास्ते का नक्शा यूसैक (उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर) व सार्वजनिक निर्माण विभाग ने कुछ अन्य विभागों की मदद से तैयार कर सरकार को दिया है जिस पर सरकार अपना फैसला लेगी।
जल्दी से जल्दी केदारनाथ में पूजा कर वहां की यात्रा शुरू करवाने वाले सरकार के बयान बहादुर नेताओं को पता ही नहीं है कि अभी तो केदारनाथ तक के रास्ते का नक्शा भी नहीं बन पाया है तो उसे जमीन पर उतारना तो फिलहाल दूर की ही कौड़ी लगती है।
------सोनिया गांधी चिंतित----------------------
कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी किसी भी हाल में केदारनाथ मंदिर को इसी साल खुलवाने के पक्ष में हैं ताकि अगले साल आने वाले आम चुनाव में इस मामले में किसी प्रकार की छीछालेदर न हो। यही कारण है कि मुख्यमंत्री बहुगुणा को वे इस मामले में कई बार आदेश भी दे चुकी है।
करीब 20 किलोमीटर का लम्बा पैदल रास्ता बनाने के लिए सरकार के पास मात्र तीन माह का समय है क्योंकि नवम्बर के प्रथम सप्ताह में केदारनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं और साथ ही यहाँ भीषण बर्फबारी भी शुरू हो जाती है और तब यहाँ काम करना असंभव हो जाता है।
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