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Saturday, May 18, 2013

शारदा समूह के फर्जीवाड़े मामले में क्या बंगाल पुलिस ने हाथ खड़े कर दिये हैं?

शारदा समूह के फर्जीवाड़े मामले में क्या बंगाल पुलिस ने हाथ खड़े कर दिये हैं?


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


शारदा समूह के फर्जीवाड़े मामले में क्या बंगाल पुलिस ने हाथ खड़े कर दिये हैं, आज विधाननगर कमिश्नरेट पुलिस द्वारा सुदीप्त सेन को पुलिस हिफाजत में रखने का आवेदन न करने के बाद उनको विधाननगर कोर्ट की ओर से ​​जेल हिफाजत में भेजने के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है।इसके साथ ही अस्वस्थता के कारण सुदीप्त की खासमखास देवयानी को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


दो दफा पुलिस हिरासत में रखने के बावजूद जांच के नाम पर तथ्यों के बजाय कयास लगाती रही पुलिस। सघन जिरह के अलावा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं हुई, कि तहकीकात की नई दिशा बनती। पुलिस ने जांच पूरी करने का दावा भी नहीं किया है। अब सीबीआई जांच का विरोध करते हुए राज्य सरकार ने कोलकाता हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं की सुनावाई के दरम्यान जो हलफनामा दायर किया है, सुदीप्त को सीध जेल हिफाजत में भेज देने पर उसपर सवालिया निशान लग गया है।


अब देखना यह है कि असम पुलिस की मांग के मुताबिक सुदीप्त को असम भेजा जाता है या नहीं। कोलकाता में तो सीबीआई जांच पर हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले जांच आगे बढ़ने की  कोई सूरत नजर नहीं आ रही है।​

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​ विशेष जांच टीम क्या कर रही है, उसके बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ बताया नहीं जा रहा है।


इसी बीच प्रवर्तन निदेशालय के आकलन की पुष्टि करते हुए विधाननगर पुलिस कमिश्नरेट ने माना है कि विदेशों में  पर्यटन सेक्टर में भारी निवेश ​के जरिये सुदीप्त सेन ने खाड़ी देशों में खासकर​ दुबई, जार्डन और कतार और मारीशस में संपत्तियां अर्जित की है और समूह का पैसा भी बाहर​​ डाइवर्ट किया है।मालूम हो कि इसी सिलसिले में जब प्रवर्तन निदेशालय ने विधानगर पुलिस से हयोग मांगा तो उसने कोई मदद नहीं की और इस पर प्रवर्तन निदेशालय को हाईकोर्ट में आवेदन करके जांच का निर्देश लेना पड़ा।


मालूम हो कि भारतीय पूंजी बाजर में विदेशी निवेशक मारीशस के रास्ते निवेश करते हैं। जिस पर अंकुश लगाने के लिए पूर्व वित्तमंत्री प्रणवमुखर्जी ने गार का प्रावधान किया था और चिदंबरम ने आते ही उसे खत्म कर दिया। अब इस पर भी जांच का मामला बनता है कि मारीशस और खाड़ी देशों के जरिये भारतीय पूंजी बाजार में इन चिटफंड कंपनियों में जमा निवेशकों की पूंजी कितनी और कहां कहां खपायी गयी है।


जाहिर है कि बंगाल पुलिस ऐसा नहीं कर सकती। केंद्रीय एजंसियों को ही यह जांच करनी है। बंगाल पुलिस की असमर्थता के मद्देनजर अब हाईकोर्ट सीबीआई जांच पर क्या ​​फैसला करती है, उसीसे जांच की दिशा बनती है। एकिन इस फैसले में होरही देरी और जांच टप हो जाने से तमाम सबूतों के साथ पैसे का सुराग लगाना लगभग असंभव हो गया है।

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