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Monday, May 20, 2013

Fwd: (Urdu/Hindi) Rihai Manch stand on Khalid's custodial assasination in Barabanki, Manch puts 12 point demand.



---------- Forwarded message ----------
From: Rajiv Yadav <rajeev.pucl@gmail.com>
Date: 2013/5/20
Subject: (Urdu/Hindi) Rihai Manch stand on Khalid's custodial assasination in Barabanki, Manch puts 12 point demand.
To: rihaimanchindia <rihaimanchindia@gmail.com>


RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)
_______________________________________________________________

खालिद की हत्या में अभियुक्त बनाए गए पुलिस अधिकारियों की हो तत्काल
गिरफ्तारी- रिहाई मंच
मौलाना खालिद की हत्या ने साफ कर दिया आतंकी वारदातों में आईबी, एटीएस की संलिप्तता
खालिद के नाक-कान पर खून के धब्बे, गर्दन की टूटी हड्डी बयां करती है मौत
से पहले का खौफनाक उत्पीड़न- रिहाई मंच
मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या पर रिहाई मंच ने रखी बारह सूत्रीय मांगे

मडि़याहूं, जौनपुर, बाराबंकी, लखनऊ 20 मई 2013/ रिहाई मंच ने खालिद
मुजाहिद की हत्या को सपा सरकार की सरपरस्ती में एसटीएफ अधिकारियों को
बचाने के लिए की गई साजिशन राजनितिक हत्या करार देते हुए कहा कि इस शहीद
मौलाना खालिद मुजाहिद के जनाजे से सपा सरकार की उल्टी गिनती शुरु हो गई
है।

रिहाई मंच ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार इस मुगालते में न
रहे की कि मौलाना खालिद की हत्या करा कर इस आंदोलन को रोक देगी। 2007 में
खालिद-तारिक की रिहाई को लेकर शुरु हुआ बेगुनहों की रिहाई का यह आंदोलन
जिसके नीवं में खालिद के चचा जहीर आलम फलाही रहे हैं, को हम मंजिल तक
पंहुजाएंगे। क्योंकि यह दिन हमारे लिये शोक का नहीं बल्कि संकल्प का दिन
है।

मंच ने बाराबंकी में खालिद मुजाहिद के पंचनामे पर सवाल उठाते हुए कहा कि
जिस तरह से बाराबंकी प्रशासन ने पंचनामे में समाजवादी पार्टी से जुड़े
नेताओं को पंच बनाया और इस तथ्य को परिजनों तथा वहां मौजूद सैकड़ों लोगों
से छिपाया उससे जाहिर हो जाता है कि प्रशासन की नियत वास्तविक तथ्यों को
छिपाने का था। रिहाई मंच के नेताओं ने कहा कि खालिद के चचा जहीर आलम
फलाही समेत कई लोगों ने खालिद के शव का निरिक्षण किया, जिसके मुताबिक
खालिद के कान और नाक के आस-पास खून के धब्बे थे, उनके गर्दन की हड्डी पर
किसी भारी चीज से मारे जाने का जख्म के निशान के चलते वहां काला धब्बा और
सूजन थी, बायें हाथ की कोहनी के ऊपर काला निशान और चेहरा शरीर के बाकी
हिस्से के मुकाबले स्याह होना तथा सूजा हुआ था। इसके बावजूद पोस्ट मार्टम
के पहले ही बाराबंकी के पुलिस अधिक्षक सैयद वसीम अहमद का यह कहना की
खालिद की मौत स्वाभाविक कारणों से हुई है भी प्रशासन को कटघरे में खड़ा
करता है कि पुलिस का पूरा जोर मौलाना की हत्या के वास्तविक तथ्यों को
शुरु छिपाना था।

रिहाई मंच के अध्यक्ष और खालिद के अधिवक्ता मोहम्मद शुएब ने कहा कि
फैजाबाद जेल में 3 साढे़ तीन बजे वो साथ थे और खालिद पूरी तरह स्वस्थ था
और उसने अपने परिवार वालों को सलाम भी भेजा था। सबसे अहम बात की फैजाबाद
में वह कुर्ते-पैजामे में था जबकि सुबह जब पोस्टमार्टम के समय शव को
परिजनों को दिखाया गया तो वो टी शर्ट और लोवर में था, जिसे मौलाना खालिद
कभी पहनते ही नहीं थे। और उनके साथ दिखाए गए सामानों में भी
कुर्ता-पैजामा नहीं था, जिससे साफ हो जाता है कि स्कोर्ट ने जब हत्या की
तो मौलाना खालिद के नाक-कान से निकला खून जो उनके कपड़े पर भी गिर गया,
जिसे छुपाने के लिए उनके कुर्ते-पैजामें को छुपा दिया गया और मौलाना
खालिद को टी शर्ट-लोवर पहना दिया गया। इन सब बातों से स्पष्ट हो जाता है
कि खालिद की मौत स्वाभाविक नहीं बल्कि सपा सरकार के सरंक्षण में
सुनियोजित आपराधिक षडयंत्र के तहत की गई जघन्य हत्या है।

रिहाई मंच को शक है कि जिस तरह से पंचनामे से ही तथ्यों को छिपाने की
कोशिश शुरु हो गई उससे प्रशासन की नियत पर संदेह बढ़ जाता है कि वह पोस्ट
मार्टम रिपोर्ट में भी इन तथ्यों को छिपाते हुए इसे स्वाभाविक मौत करार
दे।

बाराबंकी में मौजूद रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब और प्रवक्ताओं
शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि वहां मौजूद लोगों द्वारा जिलाधिकारी
बाराबंकी से मांग के बावजूद की वहां मुख्यमंत्री आकर परिजनों से मिलें और
उनकी बात सुने लेकिन संवेदनहीन अािखलेश को यह बात मंजूर नहीं हुई। मंच ने
कहा कि खालिद के चचा जहीर आलम फलाही द्वारा डीजीपी विक्रम ंिसंह, एडीजी
कानून व्यवस्था बृजलाल, मनोज कुमार झा, चिरंजीवनाथ सिन्हा, एस आनंद और
आईबी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराने के बावजूद न अब तक इन अधिकारियों
को और न ही इस हत्या को अजांम देने वाले पुलिस स्कोर्ट को अब तक गिरफ्तार
किया गया और न ही इनको निलंबित किया गया।
मडि़याहू में मौजूद रिहाई मंच आजमगढ़ के संयोजक मसीहुदीन संजरी, तारिक
शफीक, शाहनवाज आलम, राजीव यादव, सालिम दाउदी, गुलाम अम्बिया, सादिक खान,
शौकत अली, वर्धा महाराष्ट्र से आए लक्षमण प्रसाद, अब्दुल्ला एडवोकेट,
दिल्ली से आए एपीसीआर के राष्ट्रीय संयोजक अखलाक अहमद ने बताया कि जिस
तरह आज खालिद के जनाजे में बीसीयों हजार से ज्यादा लोगों ने शिरकत की और
सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए उसने यह साफ कर दिया है कि सपा सरकार ने
खालिद की हत्या करवाकर अपनी कब्र खोद ली है। जिसका मुहतोड़ जवाब देने के
लिए जनता तैयार है।

रिहाई मंच ने मांग की है कि-

1- खालिद मुजाहिद के चचा जहीर आलम फलाही द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में
नामित डीजीपी विक्रम ंिसंह, एडीजी कानून व्यवस्था बृजलाल, मनोज कुमार झा,
चिरंजीवनाथ सिन्हा, एस आनंद पुलिस अधिकारीयों और खालिद को ले जा रहे
पुलिस स्कोर्ट को तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट किया जाय, तथा आईबी समेत सभी
दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करके कानूनी कार्यवाई शुरु की जाए।

2- सपा सरकार अपने चुनावी वादे के मुताबिक आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह
नौजवानों को तत्काल रिहा करे। क्योंकि मौलाना खालिद की हत्या ने साफ कर
दिया है कि जो सरकार मौलाना की हत्या करवा रही है वो किस आधार पर अन्य को
सुरक्षा दे सकती है।

3- शहीद मौलाना खालिद मुजाहिद और हकीम तारिक कासमी को निर्दोष साबित करने
वाली आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को तत्काल सदन के पटल पर रखा जाए।

4- मौलाना खालिद की हत्या की सीबीआई जांच तत्काल शुरु की जाए।

5- गृह सचिव, बाराबंकी जिलाधिकारी और सरकारी वकील द्वारा बाराबंकी
न्यायालय में मौलाना खालिद मुजाहिद और हकीम तारिक कासमी पर से मुकदमा
वापसी की प्रक्रिया में जानबूझकर की गई आपराधिक साजिश जिसकी वजह से रिहाई
संभव नहीं हो पाई, एवं मौलाना खालिद की बाराबंकी में हत्या भी हो गई, ऐसे
में इन सभी शासन व प्रशासन के अधिकारियों को जांच के दायरे में लाया जाए
और कार्यवायी की जाए।

6- मौलाना खालिद मुजाहिद और तारिक कासमी की 22 दिसंबर 2007 को बाराबंकी
रेलवे स्टेशन से की गई फर्जी गिरफ्तारी और 18 मई 2013 को मौलाना खालिद की
बाराबंकी में की गई हत्या से स्पष्ट होता है कि इस हत्या के तार बाराबंकी
से गहरे जुड़े हैं, ऐसे में दिसंबर 2007 और मई 2013 के दौरान बाराबंकी के
पूरे प्रशासनिक अमले को जांच के दायरे में लाया जाए।

7- 16 दिसंबर 2007 को मौलाना खालिद मुजाहिद को मडि़याहूं से अपहरण करने
के बाद उच्च पुलिस अधिकारी अमिताभ यश, एसटीएफ के अधिकारियों समेत अन्य
पुलिस अधिकारियों द्वारा जिस तरीके से उत्पीड़न किया गया और जिसके बारे
में मौलाना ने शिकायत भी की थी, जिस पर अब तक कोई कार्यवाई नहीं हुई, ऐसे
में इन दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई की जाए।

8- मौलाना खालिद मुजाहिद को लगातार जेल और पेशी के दौरान जिस तरीके से
एसटीएफ-एटीएस के इशारे पर स्कोर्ट द्वारा उत्पीडि़त किया जाता था और
हत्या करने की धमकी दी जाती थी, और जिसकी शिकायत भी उनके अधिवक्ताओं
द्वारा लखनऊ, बाराबंकी और फैजाबाद के न्यायधीशों को शिकायती पत्रों
द्वारा अवगत कराया जाता था, पर इसके बावजूद कोेर्ट ने इस पर कोई संज्ञान
नहीं लिया और ना ही कोई कार्यवाई इन दोषी पुलिस वालों पर हुई, ऐसे में इन
दोषी पुलिस अधिकारियों समेत लखनऊ, बाराबंकी और फैजाबाद के जिन न्यायधीशों
ने दोषियों को बचाया उनको भी जांच के दायरे में लाते हुए कार्यवाई की
जाए।

9- खालिद की हत्या के बाद जिन पुलिस अधिकारियों ने तारिक कासमी से
बाराबंकी कोतवाली में दबाव देकर झूठा बयान दिलवाया कि खालिद की तबीयत
पहले से खराब थी (जिसे की जेल प्रशासन और खालिद के वकील मो शुऐब ने इंकार
किया है) उन सभी अधिकारियों को जांच के दायरे में लाते हुये कार्यवायी की
जाए।

10- मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या इस बात की पुष्टि करती है कि सरकारी
एजेंसियों एसटीएफ-एटीएस और आतंकी संगठनों में गठजोड़ है जो खालिद मुजाहिद
की रिहाई को लेकर भयभीत थे जिसके चलते मौलाना खालिद की हत्या कर दी गई
ऐसे में कचहरी धमाकों समेत यूपी में हुई आतंकी घटनाओं की जांच कराई जाए।
जिससे खुफिया एजेंसियों, एटीएस और आतंकी संगठनों का गठजोड़ सामने आ सके।

11- उत्तर प्रदेश के जितने युवक आतंकाद के आरोप में दूसरे राज्यों में
बंद हैं उनके सुरक्षा की गारंटी उत्तर प्रदेश सरकार सुनिश्चित कराए।

12-  पीडि़त परिवार को तत्काल एक करोड़ रूपये मुआवजा दिया जाए।

द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
09415254919, 09452800752
______________________________________________________________
Office - 110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon East, Laatoosh
Road, Lucknow
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
        Email- rihaimanchindia@gmail.com

RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)


خالد کے قتل میں ملزم بنائے گئے پولیس افسران کی ہو فوری طور گرفتاری - رہائی  منچ
مولانا خالد کے قتل نے صاف کر دیا دہشتگردی کی وارداتوں میں آئی بی، اے
ٹی ایس کے ملوث ہونے کا
خالد کے ناک - کان پر خون کے دھبے، گردن کی  ٹوٹیہڈی  بیان کرتی ہے موت
سے پہلے کا خوفناک ایذا رسانی وتشدد - رہائی منچ
مولانا خالد مجاہد کے قتل پر رہائی منچ نے رکھی بارہ نکاتی مطالبات

مڈیاہو، جونپور، بارہ بنکی، لکھنو 20 مئی 2013 / رہائی منچ نے خالد مجاہد
کے قتل کو سماجوادی پارٹی حکومت کی سرپرستی میں ایس ٹی ایف افسران کو
بچانے کے لئے کی گئی سازش اور سیاسی قتل قرار دیتے ہوئے کہا کہ شہید
مولانا خالد مجاہد کے جنازہ سے ایس پی حکومت کی الٹی گنتی شروع ہو گئی
ہے۔

رہائی منچ نے حکومت کو متنبہ کرتے ہوئے کہا کہ حکومت اس مغالطہ میں نہ
رہے کہ مولانا خالد کو قتل کروا کروہ اس تحریک کو روک دے گی۔ 2007
میںخالد - طارق کی رہائی کو لے کر شروع ہوا بیگناہوں کی رہائی کی یہ
تحریک جسکی تاسیس میں خالد کے چچا ظہیر عالم فلاحی رہے ہیں، ہم منزل
مقصود تک پہنچائیں گے،کیونکہ یہ دن ہمارے لئے سوگ کا نہیں بلکہ عزم کا دن
ہے۔

 منچ نے بارہ بنکی میں خالد مجاہد کے پنچ نامہ پر سوال اٹھاتے ہوئے کہا
کہ جس طرح سے بارہ بنکی انتظامیہ نے پنچ نامہ میں سماج وادی پارٹی سے
منسلک لیڈروں کوپنچ بنایا اور اس حقیقت کو اہل خانہ اور وہاں موجود
سینکڑوں لوگوں سے پوشیدہ رکھا ،اس سے انتظامیہ کی کھلی بدنیتی کا اظہار
ہو جاتا ہے کہ وہ اصل حقائق کی پردہ پوشی چاہتی ہے۔رہائی منچ کے رہنماوں
نے کہا کہ خالد کے چچا ظہیر عالم فلاحی سمیت کئی لوگوں نے خالد کے لاش کا
معائنہ کیا، جس کے مطابق خالد کے کان اور ناک کے آس - پاس خون کے دھبے
تھے، ان کی گردن کی ہڈی پر کسی بھاری چیز سے مارے جانے کا زخم کا نشان
اور اس کے سبب وہاں سیاہ دھبہ اور سوجن تھی، بائیں ہاتھ کی کہنی کے اوپر
سیاہ نشان اور چہرہ جسم کے باقی حصوں کے برعکس سیاہ اور سوجا ہوا تھا۔

رہائی منچ کے صدر اور مرحوم خالد کے وکیل محمد شعیب نے کہا کہ فیض آباد
جیل میں ساڑھے تین بجے وہ خالد کے ساتھ تھے اور خالد پوری طرح صحت
مندتھے۔ اور انہوںنے اپنے اہل خانہ کو سلام بھی کہلوایا تھا۔ سب سے اہم
بات کی فیض آباد میں وہ کرتے -پایجامہ میں تھے جبکہ صبح جب پوسٹ مارٹم کے
وقت نعش کو اہل خانہ کو دکھایا گیا توانکے جسم پر ٹی شرٹ اور لوور تھا،
جسے مولانا خالد کبھی پہنتے ہی نہیں تھے ۔اور ان کے ساتھ دکھائے گئے
سامانوں میں بھی کرتا  پائجامہ نہیں تھا، جس سے صاف ہو جاتا ہے کہ ا
سکورٹ نے جب انہیں قتل کیا تو مولانا خالد کے ناک کان سے نکلا خون ان کے
کپڑوں پر بھی گر گیا، جسے چھپانے کے لئے ان کے کرتے پائجامہ کو چھپا دیا
گیا اور مولاناخالد کو ٹی شرٹ  لوور پہنا دیا گیا۔ ان سب باتوں سے واضح
ہو جاتا ہے کہ خالد کی موت فطری نہیں بلکہ ایس پی حکومت کی سرپرستی میں
رچی کی منظم مجرمانہ سازش کے تحت کیا گیا بیہمانہ قتل ہے۔

رہائی منچ کوشبہ ہے کہ جس طرح سے پنچ نامہ سے ہی حقائق کو چھپانے کی کوشش
شروع ہو گئی ہے اس سے انتظامیہ کی نیت پر شک بڑھ جاتا ہے کہ وہ پوسٹ
مارٹم رپورٹ میں بھی ان حقائق کو چھپاتے ہوئے اس کو قدرتی موت قرار دے۔

بارہ بنکی میں موجود رہائی فورم کے صدر محمد شعیب اور ترجمان شاہنواز
عالم اور راجیو یادو نے کہا کہ وہاں موجود لوگوں کی طرف سے ضلع مجسٹریٹ
بارہ بنکی سے مطالبات کے باوجود کہ وہاں وزیر اعلی آکر اہل خانہ سے ملیں
اور ان کی بات سنیں،لیکن بے حس اکھلیش کو یہ بات گوارانہیں ہوئی۔ منچ نے
کہا کہ خالد کے چچاظہیر عالم فلاحی کی جانب سے ڈی جی پی وکرم سنگھ، اے ڈی
جی قانون برج لال، منوج کمار جھا، چرنجیوناتھ سنہا، ایس آنند اور آئی بی
کے خلاف نامزد ایف آئی آر درج کرانے کے باوجود نہ اب تک ان افسران اور نہ
ہی اس قتل کوانجام دینے والے پولیس اسکورٹ کو اب تک گرفتار کیا گیا اور
نہ ہی انہیںمعطل کیا گیا۔

مڈیاہو میں موجود رہائی منچ اعظم گڑھ کے کنوینر مسیح الدین سنجری ، طارق
شفیق، شاہنواز عالم، راجیو یادو، سالم داودی، غلام انبیائ، صادق خان،
شوکت علی، وردھا مہاراشٹر سے آئے لکشمن پرساد، عبداللہ ایڈووکیٹ، دہلی سے
آئے اے پی سی آرکے قومی کنوینر اخلاق احمد نے بتایا کہ جس طرح آج خالد کے
جنازہ میں بیسیو ںہزار سے زیادہ لوگوں نے شرکت کی اور حکومت کے خلاف
مظاہرے ہوئے اس نے یہ بات صاف کر دی ہے کہ سماج وادی پارٹی کی حکومت نے
خالد کے قتل کرواکر اپنی قبر کھود لی ہے ۔قتل کا مونہہ توڑ جواب دینے کے
لئے عوام تیار ہے۔

رہائی منچ نے مطالبہ کیا ہے کہ -
 1 -   ۔ خالد مجاہد کے چچا ظہیر عالم فلاحی طرف سے درج کرائی گئی ایف
آئی آر میںنامزد ی جی پی وکرم سنگھ، اے ڈی جی قانون برج لال، منوج کمار
جھا، چرنجیوناتھ سنہا، ایس آنند، پولیس اہلکاروں اور خالد کو لے جا رہے
پولیس اسکورٹ کو فی الفور برخاست کیا جائے، اور آئی بی سمیت تمام
قصورواروں کو فوری گرفتار کرکے قانونی کارروائی شروع کی جائے۔

   2 -  ۔  ایس پی حکومت اپنے انتخابی وعدے کے مطابق دہشت گردی کے نام پر
قید بے گناہ نوجوانوں کو فوری طور پر رہا کرے ۔کیونکہ مولانا خالد کے قتل
نے صاف کر دیا ہے کہ جو حکومت مولانا کو قتل کروا رہی ہے وہ کس بنیاد پر
دوسروں کو تحفظ دے سکتی ہے۔

3 -   ۔ شہید مولانا خالد مجاہد اور حکیم طارق قاسمی کو بے قصور ثابت
کرنے والی آر ڈی نمیش کمیشن کی رپورٹ کو فوری طور پر ایوان میں پیش کیا
جائے.

4 -   ۔ مولانا خالد کے قتل کی سی بی آئی جانچ فوری شروع کی جائے۔

5 -   ۔ داخلہ سکریٹری، بارہ بنکی ضلع افسر اور سرکاری وکیل کی طرف سے
بارہ بنکی عدالت میں مولانا خالد مجاہد اور حکیم طارق قاسمی پر سے مقدمہ
واپسی کے عمل میں جان بوجھ کر کی گئی مجرمانہ سازش جس کی وجہ سے رہائی
ممکن نہیں ہو پائی، اور مولانا خالد کی بارہ بنکی میں قتل بھی ہو گئے،
ایسے میں ان تمام حکومت اور انتظامیہ کے افسران کو تحقیقات کے دائرے میں
لایا جائے اورکاروائی کی جائے۔

 6 -   ۔ مولانا خالد مجاہد اور طارق قاسمی کی 22 دسمبر 2007 کو بارہ
بنکی ریلوے اسٹیشن سے کی گئی فرضی گرفتاری اور 18 مئی 2013 کو مولانا
خالد کی بارہ بنکی میں ہوئے قتل سے واضح ہوتا ہے کہ اس قتل کے تار بارہ
بنکی سے گہرے جڑے ہیں، ایسے میں دسمبر 2007 اور مئی 2013 کے دوران بارہ
بنکی کے پورے انتظامی عملے کو تحقیقات کے دائرے میں لایا جائے۔
7 - 16 دسمبر 2007 کو مولانا خالد مجاہد کو مڈیاہو سے اغوا کرنے کے بعد
اعلی پولیس افسر امیتابھ یش، ایس ٹی ایف کے عہدیداران سمیت دیگر پولیس
افسران کی طرف سے جس طریقے سے ہراساں کیا گیا اور جس کے بارے میں مولانا
نے شکایت بھی کی تھی، جس پر اب تک کوئی کارروائی نہیں ہوئی، ایسے میں ان
قصوروار پولیس افسران  و عہدیداران کے خلاف کارروائی کی جائے۔

 8 -   ۔ مولانا خالد مجاہد کو مسلسل جیل اور پیشی کے دوران جس طریقے سے
ایس ٹی ایف - اے ٹی ایس کی ایماء پر اسکورٹ کی جانب سے ایذا رسانی کی
جاتی تھی اور قتل کرنے کی دھمکی دی جاتی تھی، اور جس کی شکایت بھی ان کے
وکلاء کی طرف سے لکھنو، بارہ بنکی اور فیض آباد کے ججوں کو شکایتی خطوط
کے ذریعہ کی گئی تھی  ، لیکن اس کے باوجودعدالت نے اس کا کوئی نوٹس نہیں
لیا اور نہ ہی کوئی ان قصوروار پولیس والوںکے خلاف کوئی کاروائی ہوئی،
ایسے میں ان مجرم پولیس افسران سمیت لکھنو ، بارہ بنکی اور فیض آباد کے
جن ججوں نے قصورواروں کو بچایا ان کو بھی تحقیقات کے دائرے میں لاتے ہوئے
کارروائی کی جائے.

9 -   ۔خالد کے قتل کے بعد جن پولیس افسران نے طارق قاسمی سے بارہ بنکی
کوتوالی میں دبا دو دے کر جھوٹا بیان دلوایا کہ خالد کی طبیعت پہلے سے
خراب تھی(جس کی جیل انتظامیہ اور خالد کے وکیل محمد شعیب نے انکار کیا
ہے) ان تمام افسران کو تفتیش کے دائرے میں لاتے ہوئے کاروائی کی جائے۔

10 -   ۔ مولانا خالد مجاہد کے قتل اس بات کی تصدیق کرتی ہے کہ سرکاری
ایجنسیوں ایس ٹی ایف - اے ٹی ایس اور دہشت گرد تنظیموں میں گٹھ جوڑہے جو
خالد مجاہد کی رہائی کو لے کر خوفزدہ تھے جس کی وجہ سے مولانا خالد کو
قتل کر دیاگیا۔ ایسے میں کچہری دھماکوں سمیت یوپی میں ہوئی دہشت واقعات
کی تحقیقات کرائی جائے۔جس خفیہ ایجنسیوں، اے ٹی ایس اور دہشت گرد تنظیموں
کا ناپاک گٹھ جوڑ سامنے آ سکے۔

 11 - ۔ اتر پردیش کے جتنے نوجوان  دہشت گردی کے الزام میں دوسری ریاستوں
میں بند ہیں ان کے تحفظ کی ضمانت کو اتر پردیش کی حکومت کو یقینی بنائے۔

12 -   ۔  متاثرہ خاندان کو فوری طور پر ایک کروڑ روپے معاوضہ دیا جائے.

جاری کنندگان: شاہنواز عالم، راجیو یادو،  ترجمان رہائی منچ
09415254919، 09452800752

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