दामाद वरुण गांधी को बंगाल भाजपा का जिम्मा, तृणमूल से बढ़ती नजदीकियां!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ हावड़ा संसदीय उपचुनाव में प्रत्याशी न देने के फैसले के बाद भाजपा ने यूपीए सरकार का त्खता पलटने की खसम खा चुकी ममता बनर्जी को अगले लोकसभा चुनाव से पहले राजग में शामिल करने के मकसद से गांधी परिवार के भाजपाई वंशज वरुण गांधी को बंगाल भाजपा का जिम्मा सौंपकर तुरुप का पत्ता फेंका है। वरुण ने बंगाली कन्या से विवाह किया है और बंगाली जनमानस में उसकी छवि नये दामाद की है।विवादों के बावजूद बीजेपी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अगुवाई में बनी टीम में सांसद वरुण गांधी को खासी अहमियत देते हुए पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। माना जा रहा है कि बीजेपी वरुण को लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की काट के तौर पर पेश कर सकती है। खबर यह भी है कि वरुण अब अमेठी से जुड़ी सुलतानपुर सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।
दिल्ली और कोलकाता में यह समझा जा रहा है कि यूपीए के खिलाफ युद्धघोषणा के बाद ममता बनर्जी के लिए संघ परिवार के प्रति नरमी बरतने के सिवाय राष्ट्रीय राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाये रखने का कोई और विकल्प नहीं है।इसीके कहत बाकायदा सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा में विभिन्न राज्यों के प्रभारियों की नियुक्ति की गई है। नए फेरबदल में गुजरात के पूर्व मंत्री और नरेंद्र मोदी के खास समझे जाने वाले अमित शाह को उत्तर प्रदेश और वरुण गांधी को पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया गया है। सदानंद गौड़ा के स्थान पर आंधप्रदेश के कद्दावर नेता बंडारू दत्तात्रेय को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। गौड़ा ने कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुने जाने के बाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा के इस फेरबदल में प्रधानमंत्री पद के दावेदार समझे जा रहे नरेंद्र मोदी भाजपा की 'राजनीति' में अपनी बिसात बिछाने में सफल रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टीम भाजपा में मोदी के खास समझे जाने वाले सात चेहरों को अहम जिम्मेदारी मिली है।
क्षेत्रीय दलों के तीसरे मोर्चे का गठन ही असंभव है क्योंकि हर क्षत्रप की अपनी महत्वाकांक्षा है और वह अपनी ही महत्वाकांक्षाओं के दायरे में कैद है । उनकी अलग अलदग मजबूरियां भी हैं, जिसके चलते उनकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। तीसरा मोर्चा पहले भी आजमाया जा चुका है।
इस बारे में कोई दो राय नहीं है कि यूपीए को सत्ता से बाहर करना हुआ तो राजग की मदद करनी ही होगी। ऐसा नहीं है कि ममता बनर्जी यह हकीकत नहीं जानती। बंगाल का मजबूत मुसलिम वोट बैंक उनकी मजबूरी है। लेकिन वे ऐसा जरुर कर रही हैं कि संघ परिवार के खिलाफ मौन हैं। उनके इस मौन को ही सहमति में बदलने की चुनौती है।गौरतलब है कि भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वित्त मंत्री अमित मित्र पर दिल्ली में हमले के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के कथित तौर पर हिंसा पर उतारु होने का विरोध करते हुए पश्चिम बंगाल में '' बंगाल बचाओ'' आंदोलन चलाया।।भाजपा प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा, '' हमने मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री पर हमले की निंदा की है। लेकिन मुख्यमंत्री पर हमले का मतलब यह नहीं है कि तृणमूल को राज्य में हिंसा करने और प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में तोड़फोड का अधिकार मिल गया।'' भाजपा की राज्य इकाई राज्यभर में बंगाल बचाओ अभियान चलाया।
प्रधानमंत्रित्व के दावेदार नरेंद्र मोदी ने अपने कोलकाता के पिछले दौरे में बंगाल की वंचना के मुद्दे पर दीदी की कही हुई बातें दुहराते हुए दीदी की तारीफों के पुल बांध दिये थे। चुनावों में तृणमूल के पक्ष में एक के बाद एक कदम उठाते हुए भाजपा दीदी को हरसंबव तरीके से अपनी तरफ खींचने में लगी हैं। अब जमाई बाबू को दीदी को मनाने को लिए तैनात कर दिया संघ परिवार ने।
दूसरी ओर, भाजपा ने राजकाज के मामले में अपने विरोधी तेवर में ढील नहीं दी है। राज्य बाजपा के नेता सार्वजनिक तौर पर ममता बनर्जी सरकार का विरोध कर रहे हैं तो ममता भी उनसे अलग नजर आ रही हैं। लेकिन संघ परिवार और केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के साथ दीदी का अनोखा रसायन है, जिसका आम तौर पर खुलासा होता नहीं है।
संघ परिवार और तृणमूल कांग्रेस के बीच दिखावे की दूरी तृणमूल पाले में मुसलिम वोट बैंक को बनाये रखने के लिए बेहद जरुरी है। इसलिए सत्ता समीकरण के इस रोमांचक नाटक में भाजपा के राज्य नेता खूब अबिनय करके दिखा रहे हैं ताकि किसी को कानोंकान खबर ही न हो कि दोनों पक्षों के बीत कैसी खिचड़ी पक रही है!
मसलन भाजपा के राज्य पर्यवेक्षक व लाल बहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सोमवार को सिलीगुड़ी में आयोजित भाजपा की जनसभा को संबोधित करते हुएकहा कि पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश में बैठा आतंकी संगठन हुजी उत्तर बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में जाली नोट समेत अन्य राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। यह काश्मीर से ज्यादा खतरनाक है। उत्तर बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या एक करोड़ के करीब है। घुसपैठ को रोकने के लिए न तो कांग्रेस के पास कोई योजना है, न परिवर्तन की सरकार तृणमूल कांग्रेस के पास। जिस राज्य के मुख्यमंत्री वोट के लिए इमाम को वेतन दें वहां ठोस कार्रवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसलिए घुसपैठ के लिए सभी को सतर्क रहकर देश की सुरक्षा करनी होगी। गुजरात के मुख्यमंत्री के तर्ज पर राज्य के मुखिया राज्य के बारे से सोचें। नरेंद्र मोदी ने अपने राज्य में स्पष्ट किया कि वे न हिंदू के संबंध में सोचते हैं और न ही मुस्लिमों के बारे में। वे विकास और उन्नति चाहते हैं।
इसी क्रम में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा कि दादा और दीदी के शासनकाल में कोई फर्क नहीं है। 34 वर्षो तक वाममोर्चा की सरकार ने बंगाल की जनता को अंधेरे में रखा। उससे त्रस्त होकर 20 माह पूर्व यहां के लोगों ने उन्हें सत्ता से अलग कर दिया। परिवर्तन की सरकार ने 19 माह में जो अपनी छवि जनता के बीच रखी है उससे वामो और तृणमूल के शासनकाल में कोई फर्क नहीं लग रहा है। राज्य में उद्योग धंधा समाप्त हो गया। कोई उद्योगपति कानून व्यवस्था को लेकर राज्य में आना नहीं चाहता। लोग पंचायत चुनाव हो या उपचुनाव भाजपा की ओर देख रहे है। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा कि वह प्रमाणित करें कि वोटबैंक बढ़ाने के लिए माकपा से भाजपा को पैसा मिलता है। प्रमाण देने पर वह सिलीगुड़ी में सभा मंच पर आत्महत्या करने को तैयार है। कांग्रेस,वामो और तृणमूल कांग्रेस भाजपा की ताकत से डर गयी है। उसका कारण है जंगीपुर में भाजपा के हाथों हार से बची कांग्रेस। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भाजपा बंगाल में शक्तिशाली होकर उभरेगी। इसका कारण है भाजपा से मुस्लिमों का लगातार जुड़ाव।
वरिष्ठ भाजपा नेता तथागत राय ने कहा कि राज्य में बेकारी और बेरोजगारी बढ़ी है। राज्य में विकास की नीति ही नहीं है। इसके लिए जनता को एकजुट होना होगा। हिंसा की राजनीति छोड़कर विकास की राजनीति से जुड़ना होगा। राज्य सभा सदस्य चंदन मित्रा ने कहा कि राज्य की जनता अंधेरे में है। उसने जिसपर विश्र्वास किया वही उसे धोखा देने में लगा है। लोग आत्मविश्र्वासी हों और रोजी रोजगार के लिए सही नीति निर्धारित करने वाली पार्टी का समर्थन करें इसपर गंभीरता से सोचें। पंचायत चुनाव के बाद लोकसभा और फिर राज्य सभा के चुनाव में महंगाई के अत्याचार से मुक्ति चाहिए तो भारतीय जनता पार्टी पर विश्र्वास करें। विकास उनके कदम-कदम पर होगा। बंगाल भी गुजरात, मध्यप्रदेश,उत्तराखंड और पंजाब की तरह लगातार आगे बढ़ेगा।
इसी बीच सुल्तानपुर से अगला लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलों को हवा देते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राष्ट्रीय महासचिव वरुण गांधी ने गुरुवार को क्षेत्रवासियों से भावनात्मक अपील की।
बीजेपी की 'स्वाभिमान रैली' में वरुण ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली और कांग्रेस महासचिव सांसद राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र अमेठी में भी बीजेपी का झंडा लहराने का आह्वान करते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि सुल्तानपुर से एक नई राजनीति की शुरुआत होनी चाहिए और उसका असर अयोध्या, जौनपुर से लेकर प्रतापगढ़ तक जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि रायबरेली और अमेठी निर्वाचन क्षेत्र सुल्तानपुर व प्रतापगढ़ जिलों से सटे हैं। सुल्तानपुर से अगला लोकसभा चुनाव लड़ने की तेज होती अटकलों को हवा देने के अंदाज में वरुण ने क्षेत्र की जनता से भावनात्मक अपील की और कहा, ''आज मैं अपने घर आया हूं। 19 मार्च को मेरी बेटी पैदा हुई।....घर में खुशी थी, लेकिन भगवान ने 19 अप्रैल को उसे हमसे छीन लिया।....वह मेरा पहला बच्चा था। हमारे हृदय में कितनी पीड़ा है। इसे मैं ही समझता हूं और अब से सुल्तानपुर के सभी बच्चे मेरे बच्चे हैं।''
पीलीभीत से बीजेपी के युवा सांसद ने कभी अमेठी से सांसद रहे अपने दिवंगत पिता संजय गांधी के सुल्तानपुर से रिश्तों की याद दिलाते हुए कहा, ''मेरे पिता जी का हाथ आपके हाथ में रहा है और मैं आपके कष्ट को समझकर काम करने आया हूं। कोई चुनावी घोषणा करने नहीं। आप सभी मेरे दिल में हैं।''
No comments:
Post a Comment