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Wednesday, May 15, 2013

असम पुलिस जो कर सकती है, वह बंगाल पुलिस क्यों नहीं कर सकती?

असम पुलिस जो कर सकती है, वह बंगाल पुलिस क्यों नहीं कर सकती?


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



जहां बंगाल में अभी सैकड़ों चिटफंड कंपनियां तमाम जांच पड़ताल के बाच डंके की चोट पर अबना कारोबार बदस्तूर चालू किये हुए हैं, वहीं असम में चिटफंड  कंपनियों पर रार्वाई के मद्देनजर वहां से बंगाल में ाकर भूमिगत होने लगे हैं ऐसी कंपनियों के मालिक। असम से भागकर बंगाल आये केकेएन कर्णधार की गिरप्तारी के बाद अब बारासात में छुपे हुए जीवन सुरक्षा कंपनी के मालिक चंदन दास और उनकी पत्नी को मंगलवार देर रात स्थानीय पुलिस की मदद से अभियान चलाकर नपाडा़ प्रतापादित्य रोड से गिरफ्तार कर लिया।असम सरकार ने चिटफंड से जुड़े 15 मामले जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिए। इनमें से कुछ शारदा समूह, जीवन सुरक्षा समूह तथा रोज वैली से जुडे हुए हैं।अब जीवन सुरक्षा के कर्णधार गिरफ्तार भी हो गये हैं।


पहले से गिरप्तार असम में  केकेएन चिटफंड कर्णधार कौशिक कुमार नाथ के किस्से भी अब खुलने लगे हैं। चिटफंड मामले में गिरफ्तार कौशिक के खिलाप तमाम दूसरे मामले दर्ज हो रहे हैं।उन्हें अलीपुर फर्स्ट स्पेशल कोर्ट ने अब बैंक से जालसाजी के एक मामले में जेल हिफाजत भेज दिया है।


असम पुलिस धारा ४२० और धारा १२० बी के तहत गिरप्तारियां और जब्ती कर रही है। ऐसी ही कार्रवाई उड़ीसा पुलिस, चत्तीसगढ़ पुलिस, मप्र पुलिस , बिहार पुलिस, झारखंड पुलिस और अन्य राज्यों की पुलिस कर रही है। क्या इन धाराओं के इस्तेमाल से परहेज है बंगाल पुलिस को?


असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत विश्वशर्मा से भी सुदीप्त सेन के अच्छे संबंध थे।धुबरी में शारदा ग्रुप के एक बिस्कुट फैक्ट्री का मंत्री ने उद्घाटन किया था। इस दौरान हेमंत विश्वशर्मा के साथ सुदीप्त सेन भी मौजूद था।इस बीच असम के आरटीआई एक्टिविस्ट अखिल गोगोई ने स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा मांगा है और एक पूर्व डीजीपी के भी शारदा ग्रुप से संबंध होने का आरोप लगाया है।


मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की पहल पर उन्ही हिमंत विश्वशर्मा और पूर्व डीजीपी के खिलाफ सीबीआई जांच हो रही है।


बंगाल में क्या हो रहा है?


असम पुलिस विधाननगर पुलिस हिफाजत में कैद सुदीप्त से पूछताछ कर चुकी है और उन्हें हिरासत में लेने की तैयारी में है। सीबीआई भी सुदीप्त से गुवाहाटी में ही पूछताछ करेगी। अप जो हालात है, चिटफंड तिलिस्म को तोड़ने के दरवाजे शायद असम से ही बेपर्दा होंगे, क्योंकि बंगाल में ऐसी कोई​​ गुंजाइश फिलहाल नजर नहीं आती।


असम में जो शिकायतें दर्ज हो रही हैं, उनपर असम पुलिस बंगाल में आकर भी कार्रवाई कर रही है तो सवाल उठता है कि बंगाल पुलिस लाखों शिकायतों के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रही है हालत तो यह है कि प्राइवेट पार्टियों के एफआईआर के तहत जिस शारदा समूह के फर्जीवाड़े पर चिटफंड रामायण नये सिरे से लिखा जा रहा है, उसके खिलाफ अभी तक बंगाल सरकार ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है और न ही उसकी हजारों करोड़ की ​​संपत्ति का पता चलने पर भी एक भी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई नहीं हो सकी है।असम पुलिस जो कर सकती है, वह बंगाल पुलिस क्यों नहीं कर सकती?


दूसरी ओर, बंगाल के विपरीत कड़े कानूनों और भारी-भरकम सरकारी डिपॉजिट से तंग दिल्ली की चिटफंड कंपनियां अब दूसरी वजहों से परेशान हैं। शारदा विवाद के चलते पिछले एक महीने में इनका बिजनस डाउन हुआ है। नए निवेशकों के साथ मौजूदा मेंबर्स में भी शारदा स्कैम के बाद घबराहट है, जिससे मंथली सब्सिक्रिप्शन में कमी आ रही है।


ऑल इंडिया असोसिएशन ऑफ चिटफंड के जनरल सेक्रेटरी टी. एस. शिवराम कृष्णन ने बताया, 'विवाद के चलते पूरा मार्केट सेंटीमेंट डाउन है। कंपनियां सकते में हैं। कई फंडों का पेमेंट रुकने लगा है। जिस तरह एक पोंजी स्कीम को चिट फंड बताकर खबरें चलती रहीं, उससे आम आदमी के मन में इस सेक्टर की नेगेटिव इमेज बनी है।'


पटेल नगर की फर्म एक्टिव चिटफंड के प्रमोटर एच. सी. खंडेलवाल ने बताया, 'कड़े रेगुलेशन और 100 फीसदी तक सरकारी डिपॉजिट की अनिवार्यता के चलते दिल्ली में फंड चलाना पहले ही घाटे का सौदा होता जा रहा था। अब इस विवाद ने नई मुसीबत पैदा कर दी है। फोरमैन से लेकर मेंबर्स तक में घबराहट है। अगर सरकार ने कुछ नहीं किया, तो एक लीगल और रेगुलेटेड इंडस्ट्री तबाह हो जाएगी।' करोलबाग में एक कंपनी के प्रोपराइटर ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'मंथली सब्सक्रिप्शन में 25 फीसदी तक गिरावट दिख रही है। नए इनवेस्टर डरे हुए हैं और पढ़े-लिखे लोगों को भी समझाना मुश्किल हो रहा है।'


आल ओडिशा स्माल सेविंग्स एजेंट्स एसोसिएशन, एओएसए ने देश भर में चर्चा का विषय बने चिटफंड घोटाले के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। इसके समेत एओएसए ने चिट फंड तथा ज्यादा सूद का लाभ देकर लोगों से करोड़ों की ठगी करने वाले गैर-बैकिंग संस्थानों के अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।


इस बाबत प्रेस में जारी एक विज्ञप्ति में एओएसए के महासचिव संजय कुमार दे ने कहा है कि सरकार ने अल्प अवधि संचय योजनाओं के प्रति सौतेला बर्ताव जारी रखा है। विगत पांच वर्ष में इन योजनाओं में सूद दर कम होने से एजेंटों का कमीशन भी घटा दिया गया है। इसके समेत भविष्य निधि तथा वरिष्ठ नागरिक योजना से एजेंटों को बहिष्कृत किया गया है। सरकारी बचत योजनाओं में सूद दर कम होने तथा एजेंटों को पर्याप्त सुविधा न मिलने से देश में विभिन्न प्रकार की गैर बैकिंग कंपनियां चिटफंड, ज्यादा सूद देने तथा रकम दुगुनी करने का लालच देकर लोगों को ठगने में लगी है। इसका मुकाबला करने के लिए सरकारी अल्प अवधि बचत योजना में ज्यादा सूद समेत एजेंटों को सुविधा देने की जरूरत है।


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