न लालटेन है और न मशालें,हम कहां हैं,किसी को मालूम नहीं
यूरोप और अमेरिका में प्राकृतिक विपर्यय आंधी तूपान की वजह से क्रिसमस का उत्सव चौपट हो गया हालांकि बेहतर आपदा प्रबंधन के कारण हताहतों की संख्या नगण्य है। प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट के खिलाफ यह प्रकृति की आखिरी चेतावनी हो तो कोई अचरज नहीं।अब तो मौत का समय बताने वाली घड़ी भी बाजार में है,बेहतर हो कि हम लोग इस पृथ्वी की मौत का वक्त भी जान लें ताकि आखिरी वक्त से पहले,कयामत से पहले पूरी मौज कर लें।
पलाश विश्वास
आज का संवाद
न लालटेन है और न मशालें,हम कहां हैं,किसी को मालूम नहीं।
दिल्ली में CNG 4.50 रुपये महंगी
26 Dec 2013, 1902 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड ने दिल्ली-एनसीआर में सीएनजी और पीएनजी के दाम बढ़ा दिए हैं। दिल्ली में सीएनजी 4.50 रुपये प्रति किलो महंगी...
'2013 के 47% ग्रैजुएट किसी काम के नहीं'
26 Dec 2013, 1924 hrs IST,भाषा
देश में औपचारिक शिक्षा छात्रों का डिग्री तो दिला देती है, लेकिन रोजगार के काबिल नहीं बना पाती। एक स्टडी के मुताबिक इस साल पास करीब...
PAN के लिए अब आधार पहचान का वैध सबूत
26 Dec 2013, 2013 hrs IST,भाषा
आयकर विभाग अब PAN जारी करने के लिए आधार कार्ड को संबंधित व्यक्ति की पहचान और पते के सबूत के तौर पर स्वीकार करेगा...
यूरोप और अमेरिका में प्राकृतिक विपर्यय आंधी तूपान की वजह से क्रिसमस का उत्सव चौपट हो गया हालांकि बेहतर आपदा प्रबंधन के कारण हताहतों की संख्या नगण्य है। प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट के खिलाफ यह प्रकृति की आखिरी चेतावनी हो तो कोई अचरज नहीं।अब तो मौत का समय बताने वाली घड़ी भी बाजार में है,बेहतर हो कि हम लोग इस पृथ्वी की मौत का वक्त भी जान लें ताकि आखिरी वक्त से पहले,कयामत से पहले पूरी मौज कर लें।
जनादेश चाहे जो हो, प्रधानमंत्री चाहे कोई बनें,नरेंद्र मोदी,राहुल गांधी,अरविंद केजरीवाल या फिर ममता बनर्जी या और कोई, लोकसभा चुनावों के बाद नई सरकार की प्राथमिकताएं इंडिया इंक और जायनवादी वैश्विक जलसंहार तंत्र ने तय कर दी है।आर्थिक सुधारों के दूसरे चरण को लागू करना सत्ता वर्ग की अनिवार्यता है। अर्थशास्त्रयों,विशेषज्ञों,अंग्रेजी आर्थिक अखबारों,बिजनेस चैनलों,सर्वे रपटों,रेटिंग एजंसियां ने सबकुछ तय कर दिया है और नई संसद और केंद्र की नई सरकार चाहे उसका रंग कैसा ही हो, दोनों को उसी मार्ग पर चलना है।
जयंती नटराजन को हटाकर रिलायंस मंत्री को इंफ्रा सत्यानाश की खुली छूट आने वाले वक्त की दीवाल है,उसकी लिखावट अवश्य पढ़ लें।खास खबर है कि पर्यावरण विरोधी मोइली के युद्ध के एलान के साथ ही नक्सल प्रभावित सभी राज्यों में करीब 40 हजार सुरक्षाकर्मियों ने गुरुवार को एक नक्सल विरोधी अभियान शुरू किया जिसका उद्देश्य माओवादियों के ढांचे और काडरों की जड़ पर प्रहार करना है। चार दिवसीय अभियान का नेतृत्व अर्धसैनिक बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कर रहा है। इस अभियान की शुरूआत सुबह चार बजे छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से हुई। यह पहली बार है जब केंद्रीय और राज्य दोनों ही बलों ने नक्सलियों का उनके अंदरूनी अड्डों से समन्वित रूप से सफाये के लिए अभियान शुरू किया है। सोनी सोरी जीती जागती मिसाल है नक्सलवाद और माओवाद विरोधी राष्य्र के युद्ध की।
हिमालयी सुनामी पर पर्यावरण और प्रकृति से निरंतर हो रहे बलात्कार की जो चर्चा हुई,केदारनाथ मंदिर में पूजा अर्चना शुरु होने से पहले,हजारों लावारिस लाशों की सड़ांध खत्म होने से पहले,खत्म घाटियों और लापता गांवों का सुराग लगाने की कोई पहल से पहले डूब में शामिल पूरे देश में उसकी चर्चा बंद हो गयी है।अब खुल्लमखुल्ला पर्यावरण कानून को ताक पर रखकर सत्यानाशी विकास की नयी मुहिम चल चुकी है अल्पमत सरकार के जमाने में लोकसभा चुनावों से पहले। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आदिवासी इलाकों में न पांचवीं और न छठीं अनुसूचियां लागू है और न लागू है भारतीय संविधान या कानून का राज।
मेरी समझ में नहीं आता कि अबाध कारपोरेट राज में कारपोरेट फंडिंग से चलने वाली राजनीतिक समीकरणों को बदलने में जी जान से लगे हम किसके हित साध रहे हैं आखिर।नरेंद्र मोदी को रोकने की कवायद में लगे हैं।समीकरण बता रहे हैं कि कारपोरेट योजना के तहत पढ़े लिखे तबकों,सामाजिक शक्तियों और नौकरी पेशा और दूसरे पेशेवर लोगों, अकादमिकों की गोलबंदी से देश भर में जो केजरीवाल प्रयोग दोहराने की तैयारी है,उससे भारत के नमोमय बनने की संभावना कम ही है। सत्ता वर्ग को वैसे नरंद्र मोदी की कोई फिक्र भी नहीं है।एक मामला खुलेगा तो आकाशगंगाएं खुल जायेंगी।एक दागी या एक युद्धअपराधी को फांसी पर लटकाने लगे तो इतिहास के तमाम बंद पन्ने खुल जायेंगे।
अरविंद केजरीवाल या दूसरे क्षत्रपों के एजंडे में बुनियादी मुद्दे हैं ही नहीं। कारपोरेट राजनीति और कारपोरेट मीडिया की मनोरंजक सेक्सी युगलबंदी से सारे मुद्दे खत्म कर दिये गये हैं। सिलसिलेवार तरीके से विकास गाथा के अखंड जाप के तहत संविधान, लोकतंत्र औ अभिव्यक्ति को खत्म करने का काम हो रहा है।
परिवर्तन जो हो रहा है,वह विरोध और प्रतिरोध का अभिमुख बदलकर राजकाज के कारिंदों की बलि चढ़ाकर जनरोष खत्म करने का कार्यक्रम है ताकि कारपोरेट राज अखंड और अबाध हो।
जो छात्र युवाजन परिवर्तन के सबसे मुखर पक्षधर हैं,उन्हें पता ही नहीं कि कारपोरेट आकलन के तहत अगले साल डिग्रियां हासिल करने वालों में सैंतालीस प्रतिशत को किसी भी तरह के रोजगार के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है। प्रबंधकीय हायरिंग में भी कटौती होने जा रही है। विशिष्ट कैंपसों से चले परिवर्तन मुहिम से छात्रों और युवाजनों क भविष्य तो हरगिज नहीं बनने जा रहा है।देश में औपचारिक शिक्षा छात्रों का डिग्री तो दिला देती है, लेकिन रोजगार के काबिल नहीं बना पाती। एक स्टडी के मुताबिक इस साल पास करीब आधे स्नातक छात्र किसी भी रोजगार के काबिल नहीं हैं। रोजगार योग्यता के बारे में समाधान उपलब्ध कराने वाली कंपनी 'एस्पायरिंग माइंड्स' के अध्ययन में 2013 में रोजगार की काबिलियत का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि अंग्रेजी भाषा तथा ज्ञान कौशल को ध्यान में रखते हुए यह पाया गया कि इस साल करीब 47 प्रतिशत स्नातक किसी भी क्षेत्र में रोजगार के काबिल नहीं हैं।
अध्ययन में शामिल छात्रों में से केवल 2.59 प्रतिशत अकाउंटिंग जैसी भूमिका के लिए योग्य पाए गए, जबकि 15.88 प्रतिशत बिक्री संबंधी भूमिका के लिए काबिल मिले। 21.7 प्रतिशत बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) क्षेत्र में रोजगार के योग्य मिले।
रिपोर्ट के अनुसार पहले के मुकाबले अब ज्यादा लड़कियां डिग्री कोर्स कर रही हैं और रोजगार योग्यता की अगर बात की जाए तो वह छात्रों के समकक्ष या उनसे आगे हैं। अंग्रेजी भाषा का ज्ञान का अभाव, कंप्यूटर में कुशलता तथा नई अवधारणा की जानकारी की कमी रोजगार नहीं मिलने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे शहरों में सर्वाधिक अंग्रेजी भाषा का कम ज्ञान तथा कंप्यूटर की पर्याप्त जानकारी नहीं होना रोजगार योग्यता को कम करता है। यह पाया गया कि जो छात्र छोटे शहरों में पढ़ रहे हैं, उनमें बड़े शहरों में पढ़ाई करने वाले छात्रों के मुकाबले सर्वाधिक अंतर अंग्रेजी भाषा तथा कंप्यूटर ज्ञान का है।
बायोमेट्रिक डिजिटल रोबोटिक खुफिया निगरानी कारपोरेट राज के उस सिद्धांत के तहत है कि गैरजरुरी लोगों को जीने का हक हकूक होना ही नहीं चाहिए। इसीलिए आधारकार्ड सिर्फ आधी आबादी को दिये जा रहे हैं और उनसे बुनियादी सुविधाएं जोड़कर बाकी लोगों को रक्तहीन तरीके से मार देने का खेल चल रहा है। इसी बीच इनकम टैक्स विभाग ने पैन [स्थायी खाता संख्या] के लिए आधार कार्ड को पहचान पत्र और पते के सुबूत के तौर पर स्वीकारने का फैसला किया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड [सीबीडीटी] ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। सीबीडीटी ने कहा है कि 12 अंकों वाला आधार नंबर भी अब पैन बनवाने में स्वीकारा जाएगा। विशेष पहचान प्राधिकरण [यूआइडीएआइ] ने अब तक 51 करोड़ लोगों को आधार कार्ड जारी किए हैं। इससे पहले पैन कार्ड बनवाने के लिए वोटर आइ कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, शस्त्र लाइसेंस, सरकार और पीएसयू द्वारा जारी किए गए फोटो पहचान पत्र स्वीकार किए जाते थे।
पारेख समिति ने पहले ही सारी सब्सिडी खत्म करने की बात कही है।अब रंगराजन भी सब्सिडी की सर्वोच्च प्राथमिकता बता रहे हैं। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सब्सिडी घटाए जाने के प्रयास तेज करने के साथ ही सरकार से उन क्षेत्रों को चिन्हित करने की भी अपील की जिन्हें प्राथमिकिता के आधार पर सब्सिडी की आवश्यकता है।
गराजन गुरुवार को एक कार्यक्रम में बातचीत कर रहे थे। सब्सिडी से जुडे एक सवाल पर उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सरकारी राजस्व में इजाफा करना जरुरी है तभी कहीं जाकर राजकोषीय घाटे को 4.8 प्रतिशत के दायरें में रखा जा सकेगा।
इसके लिए खासतौर पर सब्सिडी में कटौती करनी होगी और साथ ही यह भी तय करना होगा कि किन क्षेत्रों को इसकी सबसे ज्यादा जरुरत है। इसके बाद इनकी प्राथमिकताएं और कुल मात्रा भी निर्धारित करनी होगी।
राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने से जुडे सवाल पर रंगराजन ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि सरकार इसे जीडीपी के 4.8 प्रतिशत पर सीमित रखने में कामयाब होगी, लेकिन इसके लिए कर संग्रह के जरिए सरकारी राजस्व को बढ़ाना जरूरी होगा।
अरविंद केजरीवाल बिजली पानी हो सकता है कि दिल्ली की मजबूत अर्थव्यवस्था के मुताबिक मुफ्त कर दें।लेकिन उनकी ताजपोशी की पूर्व संध्या पर रिलायंस के फायदे के लिए सीएनजी गैस कीमतों में इजाफा हो गया और पहली अप्रैल से देश भर में गैस कीमतें दो गुणी हो रही हैं।दिल्ली में सीएनजी 4.50 और पीएनजी 5.15 रुपये प्रति किलोग्राम महंगी कर दी गई है। नई दरें गुरुवार मध्य रात्रि से लागू हो गई हैं। दिल्ली में तीन महीने के भीतर दूसरी बार सीएनजी के दाम बढ़ाए गए हैं। इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) ने बताया कि दिल्ली में अब सीएनजी की कीमत 50.10 रुपये प्रति किलोग्राम होगी। जबकि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में इसका भाव 56.70 रुपये प्रति किलोग्राम होगा। इससे पहले सीएनजी के दाम सितंबर में बढ़ाए गए थे, तब कीमतों में 3.70 रुपये प्रति किलोग्राम का इजाफा किया गया था।
रिलायंस मंत्री को प्रकृति और पर्यावरण का सत्यानाश की खुली छूट दी गयी है और सत्यानाशी गलियारे कोतहततमाम जनपदों को, सारी की सारी कृषि भूमि को महासेज और महानगर में बदलने की तैयारी है।इस विध्वंस के लिए जिस केंद्र सरकार जिम्मेदार है,जिनके हाथ और चेहरे तमाम रक्षा घोटालों, रंग बिरंगे घोटालों से रंगे है,उसीके भरोसे पंद्रह दिनों में लोकपाल कानून पास करके देश में कालाधन और भ्रष्टाचार खत्म करने का ख्वाब बेचकर ईश्वर बने हुए हैं केजरीवाल।जिस पार्टी की केंद्र में जनसंहार संस्कृति की सरकार है और जिसे दिल्ली की जनता ने खारिज कर दिया है,उसीके सशर्त समर्थन से लोकल्याण के वादे के साथ सत्ता में आ गये केजरीवाल।
केजरीवाल अगर कारपोरेट भ्रष्टाचार और कालाधन खत्म करने की लड़ाई लड़ रहे होते तो चुनाव के लिए तमाम संसाधन जादू की छढ़ी घूमाकर वे हासिल नहीं कर लेते और न ही तमाम चैनलों के प्राइम टाइम पर सिर्फ उनका और उनका ही महिमामंडन हो रहा होता।नमोमय मीडिया के कायाकल्प जो केजरीवाल मोड में हो गया है और कागजी तौर पर जो भगवा लहर थम सी गयी है,जो धर्मनिरपेक्षता बनाम स्त्री अस्मिता का आत्मघाती यह गृहयुद्ध है , कारपोरेट संसाधन से लैस मीडिया और रंग बिरंगे फर्जी जनांदोलन चलाने वाले कूकूरमुत्ता की तरह उग आये एनजीओ समूह का रचा आईपीएल आयोजन है।
और सत्ता के कुंभ मेले में मची भगदड़ का ालम यह है कि भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) की पूर्व अध्यक्ष अलका लांबा ने कांग्रेस छोड़ दिया और वह आम आदमी पार्टी से जुड़ सकती हैं। कांग्रेस ने इस घटनाक्रम को तवज्जो नहीं देने का प्रयास करते हुए कहा कि पार्टी में किसी पद पर रहे या किसी चुनाव में उतरे उन्हें लंबा अर्सा हो गया है। कांग्रेस नेता केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने संवाददाताओं से कहा, मैंने पहली बार उनका नाम सुना है। कौन हैं वह? उन्होंने कहा कि जहां कांग्रेस में टिकट के लिए रस्साकसी चल रही है, पार्टी (आप) जिसका आप नाम ले रहे हैं, उसने अपने सारे दरवाजे-खिड़कियां (टिकटार्थियों के लिए) खोल दिए हैं।
इसी बीच लेकिन मुजफ्फरनगर और शामली के दंगा राहत शिविरों में बच्चों की मौत की जांच के लिए गठित मंडलायुक्त मेरठ की समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के हवाले से गुरुवार को सरकार ने मान लिया कि ढाई माह में राहत शिविरों में पनाह लिए दंगा विस्थापितों के 34 बच्चे मरे। समिति ने बच्चों की मौत के लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया है। अलबत्ता शिविरों की सुविधा बढ़ाने और विस्थापितों की घर वापसी सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।लेकिन परिवर्तन के सिपाह सालार इस मामले में सन्नाटे से बाहर आ ही नही रहे हैं।
और तमाशा यह है कि जासूसी मामले में केन्द्र की जांच को राजनीतिक बदला और संघीय व्यवस्था पर हमला बताने वाले भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस ने विपक्षी दल पर आरोप लगाया कि वह ' ' घालमेल कर' ' रही है क्योंकि सत्ता के ' ' घटिया दुरुपयोग' ' के मामले में नरेन्द्र मोदी लिप्त हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि जांच का आदेश पहले ही दिया जाना चाहिए था। केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने तो यहां तक कह दिया कि यदि जांच पहले शुरु हुई होती तो ' मोदी जेल में होते।' लेकिन हर मामले में बेकसूर बरी भी किये दजा रहे हैं मोदी।
एक और तमाशा छद्म भारत अमेरिका राजनयिक युद्ध का। मनुस्मृति और जाति व्यवस्था मुकम्मल अर्थ व्यवस्था है और इसे जाति विमर्श के बजाय जाति ुन्मूलन के एजंडे,भूमि सुधार और संसाधनों और अवसरों के न्यायपूर्ण आबंटन के तहत ही कखत्म किया जा सकता है।देवयानी प्रकरण से सत्ता वर्ग ने अपने अपने समीकरण साध लिये।अमेरिका परस्त तबका अब अमेरिका को झुका देने का दावा कर सकता है। मकसद भी उनका पूरा हो गया।बहुराष्ट्रीयकंपनियों को टैक्स होली डे का इंतजाम भी हो गया और इस देश में खुला आखेट की छूट तो है ही ।देश बेचने वाले तमाम अमेरिकी कारिंदे सत्ता में हैं और उनकी शिफ्ट बदलने वाली है।तंत्र नहीं बदल रहा है।बहरहाल अब शायद यह राजनयिक युद्ध को जारी रखने की जरुरत भी नहीं है और इसीलिए अमेरिका के एक शीर्ष वकील के अनुसार उनका देश अभी तक भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के खिलाफ कथित वीजा धोखाधड़ी का मामला वापस ले सकता है हालांकि उसे न्यायपालिका के समक्ष कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। अलबामा के उत्तरी जिले के पूर्व सरकारी वकील तथा नेशनल एसोसिएशन आफ फार्मर यूएस अटार्नी के कोषाध्यक्ष जी डगलस जोन्स ने कहा कि मुझे लगता है कि इस विशिष्ट मामले में मामला शारीरिक रूप से दुर्व्यहार का नहीं बल्कि कम वेतन का अधिक है, मुझे लगता है कि यह मामला गंभीर अपराध की ओर बढ़ता है न कि आवश्यक रूप से घोर अपराध की ओर।
मित्रों,केजरीवाल की ताजपोशी के मध्य केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को कई फैसले लिए। साल के संभवत: आखिरी कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने मुश्किल दौर से गुजर रहे चीनी उद्योग से लेकर एयर इंडिया तक को राहत पहुंचाने की कोशिश की। जानकार मानते हैं कि पीएम मनमोहन सिंह सरकार पर सुस्त होने को लेकर लगने वालों आरोपों के प्रति गंभीर हैं, जिसकी वजह से फैसलों में यह तेजी दिखाई दी है।
1 जनवरी 2014 यानि नए साल में आपकी जेब पर बोझ बढ़ जाएगा। 1 तारीख से कारें, फ्रिज, एसी और लाइफ इंश्योरेंस महंगा होगा। कारों की बात करें तो नए साल से टाटा मोटर्स 1 फीसदी तक दाम बढ़ाएगी। मारुति सुजुकी ने 2-5 फीसदी तक दाम बढ़ाने का ऐलान किया है। निसान मोटर ने 2-4 फीसदी तक दाम बढ़ाने का फैसला किया है।
1 जनवरी 2014 से महिंद्रा एंड महिंद्रा 2 फीसदी तक दाम बढ़ाने वाली है। फोक्सवैगन 2.5 फीसदी तक बढ़ाने जा रही है। बीएमडब्ल्यू 7-10 फीसदी तक दाम बढ़ाने वाली है। ऑडो ने 3-5 फीसदी तक दाम बढ़ाने का ऐलान किया है। होंडा और ह्युंदई की भी दाम बढ़ाने की योजना है। दरअसल ऑटो कंपनियों ने कच्चे माल के दाम बढ़ने का कारण दाम बढ़ोतरी का फैसला किया है।
वहीं कंज्यूमर ड्युरेबल्स की बात करें तो फ्रिज और एसीसी के लिए बीईई की नई स्टार रेटिंग लागू होगी। पहले के 5-स्टार एसी और फ्रिज अब 4-स्टार हो जाएंगे। लिहाजा नए साल में नए 5-स्टार फ्रिज और एसीसी 10-15 फीसदी महंगे हो जाएंगे।
साथ ही लाइफ इंश्योरेंस के बारे में बताएं तो नए साल से ये भी महंगा हो जाएगा। नए साल में लाइफ इंश्योरेंस के नए प्रोडक्ट लॉन्च होंगे और लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां नए नियम के मुताबिक प्रोडक्ट लॉन्च करेंगी। एलआईसी सभी नए प्रोडक्ट में सर्विस टैक्स जोड़ने वाली है। लेकिन नए नियमों के तहत पॉलिसीहोल्डर को ज्यादा सरेंडर वैल्यू मिलेगी। दरअसल अब तक पहले साल का प्रीमियम काटकर सरेंडर वैल्यू मिलती थी।
पिछले हफ्ते प्याज का एक्सपोर्ट सस्ता करने के बाद सरकार फिर से इसके मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस में कटौती की तैयारी कर रही है। कृषि मंत्री शरद पवार की मांग पर अगले हफ्ते इंटर मिनिस्ट्रियल ग्रुप इस मामले पर विचार कर सकता है।
महंगाई की आग में झुसल रही देश की जनता को प्याज की कीमतों से थोड़ी राहत क्या मिली, देश के कृषि मंत्री शरद पवार बेचैन हो गए। इनका कहना है कि दाम गिरने से किसानों को घटा हो रहा है। इसलिए इसका दाम बढ़ाना चाहिए, और दाम बढ़ाने के लिए एक्सपोर्ट को सस्ता करना बेहद जरुरी है। इसीलिए वे वाणिज्य मंत्रालय को ये चिट्ठी पे चिट्ठी लिख रहे हैं
वैसे इसे अगले साल होने चुनाव का असर कहिए या वाकई मंत्री जी का अर्थशास्त्र इतना उम्दा है। क्योंकि पिछले हफ्ते ही सरकार ने प्याज के मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस में भारी कटौती की थी और बगैर उसके असर का जायजा लिए शरद पवार ने गठबंधन सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिए हैं।
महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज 1000 रुपये क्विंटल बिक रही है लेकिन खुदरा में अभी भी इसका दाम 25 रुपये किलो के नीचे नहीं आया है। 2 महीने पहले यही प्याज 100 रुपये किलो बिक रही थी। तब शरद पवार खराब मौसम को जिम्मेदार बता रहे थे और विदेश में भारत की छवि बिगड़ने की दलील देकर एक्सपोर्ट पर रोक का विरोध कर रहे थे अब जब ज्यादातर प्याज जमाखोरों के हाथ में आ गई, तो ये जनाब किसानों को घाटा होने का दावा कर रहे हैं। और इसी दावे के दबाव में सरकार के मंत्री अगले हफ्ते प्याज को महंगा और इसके एक्सपोर्ट और सस्ता करने की संभावनाएं तलाशेंगे।
कारपोरेट कंपनियों को ,बहुराष्ट्रीयकंपनी को सालाना लाखों करोड़ की टैक्सछूट के अलावा हर संभव मदद,प्रोत्साहन और रियायतें संसद केमंजूरी बिना देने वाली बारत सरकार लेकिन वित्तीय बुनियादी समस्याओं को सुधारने के बजाय वित्तीयसुधार केजरिये जनसंहार संस्कृति को ही मजबूत कर रही है।सामाजिक योजनाओं के नाम पर सरकारी खर्चबढ़ाते हुए देहात में वंचितो के मध्य बजार का अंधाधुंध विकास की प्रबंधकीय इंतजाम ही अब राजकाज का प्र्याय है।लंबित इंफ्रा परियोजनाओं को हरी झंडी देने के लिए जयंती नटराजन को हटाकर रिलायंस मंत्री को प्रकृति और पर्यावरण का सत्यानाश की खुली छूट देकर राहुल गांधी ने मनमोहन अवसान के बाद कांग्रेस की सर्वोच्च प्राथमिकता बता दी है जबकि वर्ष 2013 में अर्थव्यवस्था में नरमी के मद्देनजर योजना आयोग का 12वीं योजना के लिए आठ प्रतिशत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य अधर में लटक गया और विशेषज्ञों का मानना है कि नए साल में मध्यावधि समीक्षा में इसमें संशोधन करेगा।
दूसरी ओर,नरेंद्र मोदी के लिए गुरुवार का दिन बुरी खबर से शुरू हुआ, जासूसी मामले में यूपीए सरकार ने जांच कमेटी का गठन किया है। इसमें आरोप है की गुजरात सरकार ने इंडियन टेलीग्राफ एक्ट का उल्लंघन करते हुए एक महिला की जासूसी की थी। लेकिन शाम होते होते हेडलाइन बदल गई।
अहमदाबाद के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने गुजरात दंगों से जुड़े केस में नरेंद्र मोदी को दिए गए क्लीन चिट के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया। यानी नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट बरकरार है। लेकिन 2014 के पहले बने चुनावी माहौल में इन दोनों खबरों को राजनीतिक नजरिए से देखना जरूरी है। क्या नरेंद्र मोदी को मिली क्लीन चिट एक बड़ी जीत है। और जासूसी मामले में शुरू हुई जांच क्या नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के उम्मीदों पर पानी फेर सकता है। इन्हीं सवालों के जवाब जानने की कोशिश सीएनबीसी आवाज़ की खास पेशकश में की गई है।
अहमदाबाद मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने जकिया जाफरी की याचिका खारिज करके नरेंद्र मोदी को बड़ी राहत दी है। यानी गुलबर्ग सोसायटी दंगा मामले में नरेंद्र मोदी को मिली क्लीनचिट बरकरार रहेगी। मामले की जांच करने वाली एसआईटी ने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी। लेकिन दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने इस फैसले को चुनौती दी थी।
जकिया जाफरी की दलील थी कि नरेंद्र मोदी और अन्य लोग जिनमें पुलिस अफसर, नौकरशाह और नेता शामिल थे उनके खिलाफ केस चलाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद थे। हालांकि आज एसआईटी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा है कि नरेंद्र मोदी और अन्य दूसरे लोगों के खिलाफ इस मामले में उसे कोई सबूत नहीं मिले हैं। साफ है कि गुलबर्ग सोसायटी केस में फिलहाल नरेंद्र मोदी पर मुकदमा नहीं चलेगा, लेकिन जकिया जाफरी ने कहा है कि वो इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगी।
हालांकि दूसरी ओर गुजरात में एक लड़की की जासूसी के मामले में नरेंद्र मोदी की फजीहत बढ़ गई है। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए जांच आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। आयोग को 3 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। आपको बता दें कि खोजी वेबसाइट कोबरापोस्ट और गुलेल डॉट कॉम ने इस मामले का पर्दाफाश किया था। खबर के मुताबिक साहेब के कहने पर गुजरात के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह ने गुजरात में एक महिला की कथित तौर पर जासूसी करवाई थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाने को लेकर पहले ही एक नोट तैयार कर लिया था। इसे मंजूरी के लिए आज कैबिनेट के सामने रखा गया, जहां इसे मंजूरी दे दी गई। उधर बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा है कि कैबिनेट के फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे। अरुण जेटली ने ट्वीट कर कहा है कि कैबिनेट ने कथित जासूसी की जांच के लिए आयोग बनाया है, इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। इस मामले में केंद्र का आयोग बनाना संघीय ढ़ांचे पर हमला है।
आम आदमी पार्टी ने 1 साल में वो काम कर दिया जिसका कभी किसी को विश्वास तक नहीं था। भारतीय राजनीति में ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि नई नवेली राजनीतिक पार्टी सत्ता की गद्दी संभालने जा रही है। आम आदमी पार्टी को इस मुकाम तक पहुंचाने में योगेंद्र यादव का अहम योगदान रहा है। आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव सेसीएनबीसी आवाज़ के संपादक संजय पुगलिया की खास मुलाकात।
योगेंद्र यादव का कहना है कि आम आदमी पार्टी ने अभी तो बहुत छोटा काम किया है। हालांकि इतिहास के दृष्टि से ये बड़ी उपलब्धि है और अब एक आशा जगी है। आम आदमी पार्टी ने जानबूझकर दिल्ली से शुरुआत की है और दिल्ली आप का पायलट प्रोजेक्ट है।
योगेंद्र यादव ने बताया कि दिल्ली के नतीजे के असर को समझ रहे हैं। आप की जीत से ऊर्जा का संचार हुआ है, साथ ही विकल्प चाहने वालों को एक नाम मिला है। हालांकि आम आदमी पार्टी अभी सुदूर इलाकों से बहुत दूर है। दिल्ली में आप की जीत सिर्फ संगठन की जीत नहीं है और अब गुजरात से उड़ीसा तक संभावना बन गई है। दिल्ली में आप को राजनीतिक शून्यता का फायदा हुआ।
योगेंद्र यादव के मुताबिक आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस और बीजेपी दोनों को नुकसान किया है। आम आदमी पार्टी की पकड़ गरीबों के बीच मजबूत हुई है। अब वैकल्पिक राजनीति की संभावना तलाश रहे हैं, लेकिन तीसरे मोर्चे के सिद्धांत में विश्वास नहीं है। तीसरे मोर्चे ने देश को धोखा दिया है और हमने जनता की इच्छा देख चुनौती स्वीकार की है। आने वाले चुनावों में कुछ नहीं तो एक झलक तो जरूर दिखाएंगे।
योगेंद्र यादव का मानना है कि अर्थनीति पर खुले दिमाग की जरूरत है। विदेशी फंडिंग की जांच को तैयार हैं, और गलती हो तो ज्यादा सजा के लिए भी तैयार हैं। दिल्ली में 700 लीटर तक मुफ्त पानी देने की बात है, तो ये वादा पहले दिन ही पूरा हो जाएगा। लेकिन जहां पाइपलाइन नहीं वहां तक 2 महीने में पानी नहीं दे सकेंगे। पानी जैसी जरूरी सुविधाओं पर खर्च करना गलत नहीं है और जो ज्यादा पानी खर्च करेगा तो उसे पूरा खर्च देना होगा।
वीरप्पा मोइली ने पर्यावरण मंत्रालय का कामकाज संभाल लिया है। पिछले हफ्ते जयंति नटराजन के पद छोड़ने के बाद ये मंत्रालय खाली हुआ था। पर्यावरण मंत्रालय में वीरप्पा मोइली की नियुक्ति को इंडस्ट्री का भरोसा जीतने के लिए उठाया गया कदम माना जा रहा है।
पर्यावरण मंत्री का पद संभालते ही वीरप्पा मोइली ने कहा है कि वो तय सीमा के तहत अटके पड़े प्रोजेक्टों को मंजूरी देंगे लेकिन उन्होंने ये भी ये साफ किया है कि इंडस्ट्री को उनसे काफी आशाएं हैं लेकिन उनकी उम्मीदें अपनी जगह हैं, लेकिन ग्रोथ के साथ पर्यावरण भी जरूरी है। और वो पर्यावरण नियमों की अनदेखी किसी भी कीमत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।
प्रोजेक्ट की मंजूरी में अड़ंगों के आरोपों पर वीरप्पा मोइली ने सफाई दी है। पर्यावरण मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने कहा कि नियम के तहत और निश्चित समय के भीतर प्रोजेक्ट की मंजूरी दी जाती है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि प्रोजेक्ट की मंजूरी में पर्यावरण के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
पर्यावरण मंत्रालय से जयंती नटराजन के विवादास्पद तरीके से हटने के बाद इस मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभालने वाले केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने आज कहा कि पर्यावरण मंत्रालय में अब कोई फाइल लटकी नहीं रहेगी। उन्होंने अपना अतिरिक्त कार्यभार संभाल लिया है। मोइली की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब जयंती नटराजन के कार्यकाल में पर्यावरण मंत्रालय में फाइलों के निस्तारण में लंबे विलंब की शिकायतें थीं।
नटराजन ने शनिवार को मंत्रिपरिषद से त्याग पत्र दे दिया। उद्योग जगत की शिकायत थी कि बड़ी परियोजनाओं को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की मंजूरी मिलने में काफी समय लग जाता है। मोइली नेे कहा हालांकि, परियोजनाओं को मंजूरी देने की प्रक्रिया में पर्यावरण क्षेत्र के नियामक के रप में इस मंत्रालय की छवि के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मोइली ने यहां नटराजन से उनके घर पर मुलाकात करने के बाद मंत्रालय जाकर कार्यभार संभाला। उन्होंने कहा ''मेरी आदत है कि शाम तक फाइलें निपटा देता हूं। कोई भी फाइल घर नहीं ले जायी जायेगी और जब तक किसी फाइल पर एक बार फिर गौर करने की आवश्यकता नहीं होगी तब तक कोई भी फाइल लंबित नहीं रहेगी।''
वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री मोइली ने इस तरह की बातों को भी खारिज कर दिया कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री होने के नाते उन्हें पर्यावरण मंत्रालय का भी कार्यभार सौंप दिये जाने से दोनों मंत्रालयों के बीच आपसी हितों का भी टकराव होगा। मोइली ने कहा ''हर मंत्रालय का अपना काम है। पेट्रोलियम मंत्रालय का अपना कार्यक्षेत्र है, आखिर में हमें किसी भी मंत्रालय द्वारा तय नियमों के अनुरूप ही काम करना होता है। हम नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकते। काम करते समय किसी तरह का डर अथवा पक्षपात नहीं होना चाहिए।''
उम्मीद से कमतर वृद्धि के लिए वैश्विक स्थिति को जिम्मेदार ठहराते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि 12वीं योजना का वृद्धि का लक्ष्य घटकर करीब 7.5 प्रतिशत हो सकता है।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा, 12वीं योजना में पहली बार अधिक वृद्धि करीब औसतन करीब आठ प्रतिशत सालाना होने वाली थी, लेकिन तब से वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति बदतर है। उन्होंने कहा, इसलिए आज आठ प्रतिशत कुछ ज्यादा है। अगले पांच वर्षों में मुझे लगता है कि 7.5 प्रतिशत असंभव लक्ष्य नहीं होगा। बारहवीं योजना के पहले साल भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सिर्फ पांच प्रतिशत रही, जो दशक का न्यूनतम स्तर है।
चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत रही।
अहलूवालिया ने कहा कि योजना आयोग 2014 के अंत तक 12वीं योजना की मध्य-तिमाही समीक्षा करेगी, जिसके लिए तैयारी शुरू हो चुकी है।
आयोग ने 12वीं योजना के दस्तावेज में कहा है, 12वीं योजना ने 2012-13 से 2016-17 की पांच साल की अवधि में आठ प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा है। पहले साल में सिर्फ पांच साल की वृद्धि और दूसर साल शायद 6.5 प्रतिशत के लक्ष्य के मद्दनजर पूरी योजना अवधि में आठ प्रतिशत की औसत वृद्धि दर्ज करने के लिए शेष वर्षों में बहुत तेज वृद्धि की जरूरत होगी। भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2008 से पहले पांच साल तक नौ प्रतिशत से अधिक रही। इस अवधि में वैश्विक अर्थव्यवस्था उछाल पर थी।
आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए निवेश संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति की स्थापना की ताकि मंजूरी में बेवजह हो रही देरी की स्थिति से निपटा जा सके। आयोग ने 12वीं योजना में दो तरह की रणनीति का प्रस्ताव किया ताकि वृहत् आर्थिक असंतुलन को नियंत्रित किया जा सके और नरमी की स्थिति को पलटा जा सके और मध्यम अवधि की वृद्धि की संभावना के लिए ढांचागत सुधार को आगे बढ़ाया जा सके।
हालांकि अहलूवालिया को इस साल अच्छे कृषि उत्पादन और सरकार की पहलों के मद्देनजर आने वाली तिमाहियों में हालात में बदलाव की उम्मीद है।
अहलूवालिया ने कहा, मुझे आने वाली तिमाहियों में सुधार की उम्मीद है। प्रदर्शन कैसा रहेगा इसका आकलन अभी कठित है। लेकिन हम निश्चित तौर पर सुधार की राह पर हैं। योजना आयोग की सचिव सिंधुश्री खुल्लर का मानना है कि यह साल रचनात्मक रहा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की दिक्कतें सफलतापूर्वक दूर कर दी गईं।
उन्होंने कहा, 2013 हमारे लिए बेहद रचनात्मक रहा। 2012 में राष्ट्रीय विकास परिषद ने 12वीं योजना को मंजूरी दी इसलिए हमारे लिए इस योजना पर मुख्यमंत्रियों की सहमति हासिल करना बड़ा मुकाम है। इसलिए 2013 हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
शुगर इंडस्ट्री को पैकेज : इसके तहत चीनी मिलों को बैंक से 6600 करोड़ रुपए का ब्याज मुक्त कर्ज दिलाने के तौर-तरीकों को मंजूरी दी गई। उम्मीद है कि इससे चीनी मिलों को गन्ना किसानों का पेमेंट सही वक्त पर करने में मदद मिलेगी।
रोड प्रोजेक्ट्स को मंजूरी : कैबिनेट की आर्थिक समिति ने बिहार और गुजरात में नैशनल हाईवे के कुछ पेंडिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए 1900 करोड़ रुपये की मंजूरी दी। इन दोनों राज्यों में ये प्रोजेक्ट्स आने वाले 3 साल में पूरा किया जाएगा।
MTNL कर्मचारियों को पेंशन : टेलिकॉम कंपनी एमटीएनएल के 43,000 कर्मचारियों के लिए पेंशन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ये कर्मचारी टेलिकॉम डिपार्टमेंट से एमटीएनएल में आए थे। सरकार इनके पेंशन पर सालाना 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
AXIS बैंक में विदेशी निवेश बढ़ा : कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने एक्सिस बैंक में विदेशी निवेश की हिस्सेदारी सीमा 49 से बढ़ाकर 62 प्रतिशत करने की मंजूरी दे दी। इससे बैक में करीब 7250 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आएगा।
नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट बनेगा : सरकार ने हरियाणा के झज्जर स्थित एम्स कैंपस में 2035 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। संस्थान के 45 महीने में बनकर तैयार होने की उम्मीद है।
एयर इंडिया बेचेगी बोइंग 777 : सरकार ने एयर इंडिया को उसके 5 बोइंग-777 विमानों को एतिहाद एयरवेज को बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। एयर इंडिया के घाटे से उबरने की योजना के तहत विमानों की बिक्री का प्रस्ताव भी शामिल है।
फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स की नई कैटिगरी बनाएगा सेबी
विदेशी इकाइयों के लिए इंडियन मार्केट में निवेश आसान बनाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी जल्द ही नए रूल्स नोटिफाई करेगा। सरकार के नॉर्म्स को फाइनल करने के बाद मार्केट रेगुलेटर इन्हें नोटिफाई करेगा। सेबी के सीनियर अधिकारी ने बताया कि इनका एलान कुछ दिनों में हो सकता है। इसमें सेबी इनवेस्टर्स का नया क्लास बना रहा है, जिसे फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (एफपीआई) कहा जाएगा। इन इनवेस्टर्स के रिस्क प्रोफाइल के आधार पर इनकी तीन कैटेगरीज बनाई जाएंगी।
फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के लिए नो योर कस्टमर (केवाईसी) और दूसरे रेगुलेटरी कंप्लायंस उनकी रिस्क कैटेगरी पर निर्भर करेंगे। लो-रिस्क इनवेस्टर्स के लिए नॉर्म्स आसान होंगे। यह प्रपोजल पूर्व कैबिनेट सेक्रेटरी के एम चंद्रशेखर कमेटी ने दिया था। जून आखिर में हुई सेबी की बोर्ड मीटिंग में इन्हें मंजूरी मिल चुकी है। इसके बाद सेबी ने इन्हें लागू करने के लिए भारत सरकार के पास भेज दिया है।
मार्केट रेगुलेटर सेबी फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (एफआईआई), उनके सब-अकाउंट्स और क्वालिफाइड फॉरेन इनवेस्टर्स (क्यूएफआई) की कैटेगरी को एफपीआई के साथ मिलाने जा रहा है। इससे इन निवेशकों के लिए एंट्री नॉर्म्स आसान और एक जैसे हो जाएंगे। फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स की तीन कैटेगरीज- लो रिस्क (मल्टी लेटरल एजेंसियों, गवर्नमेंट और दूसरी सॉवेरन इकाइयां), मॉडरेट रिस्क (बैंक, एसेट मैनेजमेंट कंपनियां, इनवेस्टमेंट ट्रस्ट, इंश्योरर्स, पेंशन फंड्स और यूनिवर्सिटी फंड्स) और हाई रिस्क (जो इन पहली दो कैटेगरीज में शामिल नहीं होंगी)- होंगी। ये स्टेप ऐसे समय में उठाए जा रहे हैं, जब एफआईआई सेलिंग को लेकर मार्केट में चिंता है। वहीं, डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी की वैल्यू कम हुई है। नए नियमों से फॉरेन इनवेस्टर्स के लिए भारतीय बाजार में एंट्री की राह आसान हो जाएगी।
न्यायिक जवाबदेही बिल में संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी
कैबिनेट ने जजों के अपॉइंटमेंट और तबादले के लिए प्रस्तावित जुडिशल अपॉइंटमेंट कमिशन को संवैधानिक दर्जा देने की मंजूरी दे दी है। सरकार ने कमिशन को संवैधानिक दर्जा देने का फैसला इसलिए किया है ताकि पैनल के स्वरूप में सामान्य तौर पर छेड़छाड़ न की जा सके।
केंद्रीय मंत्रीमंडल ने यह फैसला मंगलवार को किया। एक्सपर्ट्स और विपक्षी पार्टी बीजेपी की मांग मानते हुए लॉ मिनिस्ट्री ने स्थायी समिति की उस सिफारिश को मान लिया जिसके मुताबिक भविष्य में इस पैनल में किसी भी बदलाव से रोकथाम के लिए प्रस्तावित कमिशन के स्वरूप और कामकाज का संविधान में उल्लेख होना चाहिए। प्रस्ताव के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 124ए आयोग के स्वरूप और अनुच्छेद 124बी आयोग के कामकाज की व्याख्या करेगा।
बता दें कि कुछ जानकार और बीजेपी ने आशंका व्यक्त की थी कि भविष्य में कोई भी सरकार आयोग के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ कर सकती है, जिससे संतुलन बिगड़ सकता है। उनका कहना था कि संविधान संशोधन करना आसान नहीं है इसलिए भारत के चीफ जस्टिस का आयोग के अध्यक्ष के रूप में उल्लेख संविधान संशोधन विधेयक में होना चाहिए।
मित्रों, बुनियादी मुद्दा लेकिन प्रकृति और मनुष्यता को बचाने की है।हम सारे जनांदोलनों से बेदखल हैं और रंग बिरंगे फर्जी आंदोलनों के जरिये मसीहा और दूल्हा बने हुए हैं।जबकि मनुष्यता और पर्कृतिका अस्तित्व ही विपन्न है।
इन खबरों पर गौर करें।
यूरोप और अमेरिका में पिछले तीन दिनों से बर्फीले तूफान ने कहर बरपा रखा है। अमेरिकी के केंटकी में इस कदर बर्फ बिछी है कि चलना-फिरना तक मुहाल हो गया है। वहीं साउथ-ईस्ट इंग्लैंड में भारी बारिश से बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। बाढ़ के कारण 1,000 से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा है। जबकि सिर्फ इंग्लैंड में ही 37,000 घरों की बिजली गुल है। बताया जा रहा है कि अमेरिका में मौसम आने वाले दो दिनों में और भी खराब हो सकता है।
यूएस में लाखों घरों की बत्ती गुल : अमेरिका के पूर्वोत्तर और कनाडा के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में पिछले हफ्ते आए बर्फीले तूफान के बाद से 5 लाख से ज्यादा परिवार अब भी बिना बिजली के रह रहे हैं। जरूरी सेवाओं के लिए काम करने वाली टीम तूफान के बाद के हालात से निपटने के लिए दिन-रात काम कर रही है, लेकिन उनका कहना है कि कुछ घरों में शनिवार तक बिजली गुल रह सकती है। कनाडा के ओंटारियो प्रांत के अधिकारियों के मुताबिक टोरंटो में क्रिसमस के दिन करीब 72 हजार लोगों को बिना बिजली के रहना पड़ा।
इस इलाके में करीब 27 लोगों की तूफान के कारण मौत हो गई। इनमें से अधिकांश मौतें कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के कारण हुई क्योंकि अपने घर को गर्म रखने के लिए लोग गैस जनरेटर और चारकोल स्टोव जैसे उपायों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उधर, कनाडा के पर्यावरण और मौसम वैज्ञानिक डेविड फिलिप ने चेतावनी दी कि बर्फबारी जारी रह सकती है। फिलिप कहते हैं, अभी बर्फ के प्राकृतिक रूप से गलने की प्रक्रिया के शुरू होने में देर है।
इंग्लैंड में क्रिसमस पानी-पानी : ब्रिटेन और फ्रांस में तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश के बाद क्रिसमस की सुबह जब हजारों लोगों लोग जागे तो उन्हें बाढ़ और बिजली कटौती का सामना करना पड़ा। इन दोनों देशों में बाढ़ और मूसलाधार बारिश के कारण अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्रिटेन में 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं।
ब्राजील में बाढ़ से बुरे हाल : ब्राजील के दो दक्षिण पूर्वी राज्यों में भारी बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या 32 तक पहुंच गई है। अधिकारियों के अनुसार 50,000 से ज्यादा लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं।
अंटार्कटिका के बर्फ में फंसा रूसी जहाज: अंटार्कटिका के पास बर्फ में फंसे वाले एक रूसी जहाज को निकालने के लिए बर्फ तोड़ने में सक्षम तीन शिप वहां पहुंच रहे हैं। रूसी जहाज में 74 लोग सवार हैं जो एक वैज्ञानिक अभियान के लिए वहां गए थे। ऑस्ट्रेलियाई अधिकारी इस बचाव अभियान की निगरानी कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के मुताबिक, एमवी अकैडमिक शोकलस्की ने यह संदेश भेजा था कि वह फ्रांसीसी शिविर डोमोंट डी उरविले से पूर्व में 100 नॉटिकल मील की दूरी पर फंसा हुआ है।
ब्राजील में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 32 हुई साओ पाउलो : ब्राजील के दो दक्षिण पूर्वी राज्यों में भारी बारिश के चलते बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या 32 तक पहुंच गई है। अधिकारियों के अनुसार 50,000 से अधिक लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं । मिनास गेराइस राज्य के सिविल डिफेंस विभाग ने कल अपनी वेबसाइट पर कहा कि वहां बाढ़ और भूस्खलन में 17 लोगों की मौत हो गई । इसने कहा कि करीब चार हजार लोगों को सार्वजनिक इमारतों या अपने मित्रों और रिश्तेदारों के घरों में शरण लेनी पड़ी है ।
Five cops again turned up to guard Arvind Kejriwal, who again said 'No Thanks'
We have maintained that no AAP leader will take any kind of security. We will stand by that, whatever comes. The security should be there for the common people, not for MLA's and ministers.
Five cops again turned up to guard Arvind Kejriwal, who again said 'No Thanks'
Aam Aadmi Party
Aam Aadmi Party will contest the 2014 Loksabha Elections. It is now asking all honest people to join AAP and contest the elections. Aam Aadmi Party has been a common man's party and as it is the "Aam Aadmi" & "Aam Aurat" of this great country that can bring about a change to the system.
If you are are interested in contesting the Lok Sabha Elections with the Aam Aadmi Party, please follow the instructions below and send us your nomination form.
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आम आदमी पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है. यदि आप आम आदमी पार्टी के उमीदवार बनकर यह चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके फॉर्म डाउनलोड करें और हमें अपनी जानकारी भेजें।
http://www.aamaadmiparty.org/Loksabha-nomination-form
#LS2014 — with Tabish Naqvi and 12 others.
इनवेस्टर्स के लिए सेबी ने अकाउंट खोलने का प्रोसेस आसान किया
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने फाइनैंशल सेक्टर में कामकाज के लिए अकाउंट खोलना आसान बना दिया है। उसने सेंट्रलाइज्ड केवाईसी रजिस्ट्रेशन एजेंसी के लिए फॉर्म पर इनकम और ऑक्युपेशन की डिटेल देने की जरूरत खत्म कर दी है। सेबी ने यह कदम समूचे सिक्योरिटी मार्केट के लिए एक कॉमन नो योर क्लाइंट (केवाईसी) फ्रेमवर्क बनाने के मकसद से उठाया है।
सेबी ने सर्कुलर जारी कर मार्केट इंटरमीडियरीज को केवाईसी फॉर्म में बदलाव करने के लिए छह महीने का वक्त दिया है। सेबी ने कहा है कि अब सेंट्रलाइज्ड केवाईसी रजिस्ट्रेशन के लिए क्लाइंट को ग्रॉस एनुअल इनकम डिटेल, ऑक्युपेशन, परमानेंट ऐड्रेस प्रूफ का डिटेल नहीं देना होगा। केवाईसी में जरूरी डिटेल की लिस्ट से यह जानकारी भी हटा दी गई है जिसमें एप्लीकेंट से पूछा जाता है कि क्या वह राजनीति में है।
सेबी ने यह फैसला मार्केट पार्टिसिपेंट्स के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद लिया है। उसके इस कदम से समूचे फाइनैंशल सेक्टर के लिए केवाईसी एकसमान हो जाएगा। केआरए ऐसे इंस्टीट्यूशंस होते हैं, जिनका काम इनवेस्टर्स के केवाईसी डिटेल्स मेंटेन करना होता है। स्टॉक एक्सचेंजों के पूरे मालिकाना हक वाली सब्सिडयरीज और डिपॉजिटरीज केआरए का काम कर सकते हैं।
इससे पहले सेबी ने स्टैंडर्ड अकाउंट ओपनिंग फॉर्म (एओएफ) बनाया था जिसको दो पार्ट में बांटा गया था। पहले पार्ट में इनवेस्टर्स के बेसिक केवाईसी डिटेल थे जिनका यूज सेबी में रजिस्टर्ड सभी इंटरीमीडियरीज करती हैं। दूसरे पार्ट में एडिशनल इनफॉर्मेशन होती है जो इंटरमीडियरीज के एक्टिविटी एरिया से रिलेटेड होती है।
सेंट्रलाइज्ड केआरए सिस्टम लागू होने पर क्लाइंट को अकाउंट ओपनिंग प्रोसेस में सिर्फ एक केवाईसी प्रोसेस से गुजरना होगा। इसका मतलब यह कि अगर क्लाइंट सिक्योरिटी मार्केट के किसी और इंटरमीडियरीज को अप्रोच करता है तो उसको फिर से केवाईसी फॉर्म नहीं भरना होगा।
सर्कुलर के मुताबिक, 'अब मार्केट पार्टिसिपेंट्स के साथ सलाह मशविरा करने के बाद एओएफ के पार्ट 1 की कुछ इनफॉर्मेशन (ग्रॉस एनुअल इनकम डिटेल, ऑक्यूपेशन, परमानेंट अड्रेस प्रूफ और यह जानकारी कि क्या एप्लीकेंट राजनीतिक गतिविधियों में है) को पार्ट 2 में शिफ्ट करने का फैसला किया गया है।'
मोदी को कोर्ट से भी क्लीन चिट
गुजरात दंगा मामलों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अदालत ने भी बेगुनाह करार दे दिया है। गुरुवार को एक स्थानीय अदालत ने दंगा मामलों में एसआइटी की क्लोजर रिपोर्ट को मान्य रखते हुए मोदी समेत 63 लोगों को विशेष जांच दल की क्लीन चिट के खिलाफ दायर जकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया। इससे मोदी व अन्य के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हो सकता है। दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जकिया ने फरवरी 2012 को एसआइटी की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर मोदी, मंत्रिमंडल सदस्यों और पुलिस अफसरों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी।
याचिका में क्लीन चिट पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि गुजरात कैडर के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार, आइपीएस राहुल शर्मा, निलंबित आइपीएस संजीव भट्ट के बयान व सुबूतों के साथ खुद एसआइटी की ओर से जुटाए गए सुबूतों के आधार पर मोदी और उनके साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए, लेकिन अदालत ने 350 पेज के अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि सभी के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बीजे गणात्रा ने फैसले में कहा, 'आपकी याचिका खारिज करता हूं, आप ऊपरी अदालत जा सकते हैं।' गुलबर्ग सोसाइटी दंगे में पति को खोने वाली जकिया ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वह इस मामले में ऊपरी अदालत में अपील करेंगी। न्याय अभी नहीं मिला तो फिर कभी सही, लेकिन इंसाफ के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगी। उनके बेटे तनवीर जाफरी ने कहा कि उन्हें फैसले से निराशा हुई।
जकिया के अधिवक्ता मिहिर देसाई ने कहा कि अदालत का फैसला मोदी के लिए राहत की बात है, लेकिन महज दो से तीन सप्ताह के लिए। वह ऊपरी अदालत में अपील करेंगे। देसाई ने कहा कि अदालत ने उनके कानूनी तर्को को महत्व नहीं दिया, लेकिन एसआइटी जांच में ऐसे कई सुबूत हैं जिनके आधार पर मोदी व अन्य के खिलाफ मामला बनता है। सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ का कहना है कि एसआइटी को पर्याप्त सुबूत मिले हैं।
न्याय मित्र राजू रामचंद्रन ने कहा है कि उपलब्ध तथ्यों, सुबूत व बयानों के आधार पर मुख्यमंत्री व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। एसआइटी के वकील एसआर जमुवार का कहना है कि जांच सही दिशा में है और कोर्ट के फैसले से यह साबित हो गया है। एसआइटी की क्लोजर रिपोर्ट कानूनी दृष्टि से सही थी।
मुख्यमंत्री मोदी व अन्य के खिलाफ आज की तारीख में कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता। अब अगर नानावटी आयोग मोदी व अन्य को आरोपी मानें तो उनके खिलाफ प्रशासनिक लापरवाही या गलती को लेकर मामला बन सकता है।
मिशन-2014 की तैयारियों में जुटी आम आदमी पार्टी
ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियों का जायजा लेने की जिम्मेदारी गुरुवार को अपने दो सदस्यों पंकज गुप्ता और संजय सिंह को सौंपी है। इसके साथ ही मिशन-2014 की मुहिम में पार्टी जोरशोर से जुट गई है।
पार्टी सदस्य योगेंद्र यादव ने मध्य दिल्ली के हनुमान रोड स्थित पार्टी कार्यालय में पत्रकारों को बताया, `पंकज गुप्ता और संजय सिंह लोकसभा चुनाव की तैयारियों का निरीक्षण करेंगे। वे पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र तैयार करने एवं अन्य चुनाव संबंधित मामलों में मदद करेंगे।`
योगेंद्र यादव ने बताया कि दोनों सदस्य पार्टी की संसदीय कार्य समिति के तहत एक उपसमिति का हिस्सा होंगे। उन्होंने आगे बताया कि वे (पंकज और संजय) चुनाव की तैयारियों में पूरे देश में फैले पार्टी के स्वंयसेवियों की मदद भी करेंगे।
`आप` ने गुरुवार को आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी का टिकट चाहने वाले व्यक्ति के लिए एक आवेदन पत्र जारी किया। योगेंद्र ने आगे बताया, `पार्टी उन्हीं लोगों के आवेदन स्वीकार करेगी, जो किसी तरह की आपराधिक गतिविधि में संलिप्त न रहे हों तथा ईमानदार छवि वाले हों।`
`आप` द्वारा जारी इस आवेदन पत्र में 15 विभिन्न संवर्ग हैं, जिसमें प्रत्याशी को न सिर्फ अपने व्यक्तिगत विवरण देने होंगे, बल्कि अपने परिवार की पूरी पृष्ठभूमि का विवरण भी देना होगा। योगेंद्र ने बताया कि आवेदन पत्र की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्याशी को अपने लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से 100-100 व्यक्तियों के हस्ताक्षर के साथ आवेदन जमा करना होगा। `आप` की वेबसाइट पर यह आवेदन पत्र हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।
गुजरात जासूसी कांड : नरेंद्र मोदी की मुश्किलें बढ़ी, केंद्र ने जांच आयोग के गठन को दी हरी झंडी
ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : गुजरात जासूसी कांड में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नरेंद्र मोदी के कथित इशारे पर गुजरात में एक महिला की जासूसी के मामले की पड़ताल के लिए केंद्र ने गुरुवार को जांच आयोग नियुक्त करने का फैसला किया। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया। यह फैसला जांच आयोग कानून की धारा 3 के तहत किया गया जो केन्द्र को किसी आयोग के गठन का अधिकार देता है।
उधर, उधर, जासूसी मामले की जांच के लिए जांच आयोग नियुक्त करने का फैसला कर केन्द्र सरकार आज विवादों में घिर गई। भाजपा ने कहा कि इस फैसले से राजनीतिक बदले की भावना की बू आ रही है और मोदी को परेशान करने के लिए ऐसा किया गया है। केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने हालांकि भाजपा के आरोप से साफ इंकार करते हुए कहा कि किसी बदले की भावना या राजनीति के तहत ऐसा नहीं किया गया है। शिंदे ने कहा कि आयोग अपनी रिपोर्ट तीन महीने के भीतर सौंप देगा। आयोग की जांच के दायरे में अरुण जेटली का सीडीआर मामला और भाजपा के सत्ता में रहते हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की जासूसी से जुड़ा मामला भी आएगा।
आयोग के गठन का प्रस्ताव गृह मंत्रालय का था, जिसमें सुझाव था कि आयोग का अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का कोई सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश हो। गुजरात सरकार ने हालांकि मामले की जांच के लिए एक आयोग का पहले ही गठन कर रखा है लेकिन केन्द्रीय मंत्रिमंडल का फैसला इन ताजा दावों के परिप्रेक्ष्य में आया है कि कथित जासूसी गुजरात राज्य की सीमाओं से बाहर का भी मामला है।
गौर हो कि वेब पोर्टल गुलेल डाट काम ने दावा किया था कि मोदी के कथित इशारे पर महिला की जासूसी केवल गुजरात ही नहीं बल्कि कर्नाटक से भी जुडा़ मामला है। गुलेल ने एक अन्य पोर्टल कोबरा पोस्ट डाट काम के साथ मिलकर सबसे पहले इस मामले का खुलासा किया था । आरोप था कि गुजरात पुलिस ने 2009 में बेंगलूर में महिला के टेलीफोन को टैप करने के लिए कर्नाटक पुलिस से संपर्क किया था। महिला बेंगलूर में रह रही थी और उस समय कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा थे।
कानून की धारा 3 के तहत केन्द्र एक ही मामले में तब तक अन्य आयोग का गठन नहीं कर सकता है जब तक राज्य सरकार द्वारा उसी मुद्दे में गठित आयोग काम कर रहा हो और जब तक केन्द्र सरकार की राय यह न हो कि जांच का दायरा दो या अधिक राज्यों तक बढ सकता है। महिला आर्किटेक्ट की गुजरात पुलिस द्वारा कथित रूप से अवैध निगरानी और फोन टैपिंग नियमों का उल्लंघन था क्योंकि जब महिला राज्य से बाहर गयी तो कथित रूप से उसकी जासूसी केन्द्र की अनिवार्य मंजूरी के बिना की गई ।
वेब पोर्टल ने दावा किया कि यह कदम भारतीय टेलीग्राफ नियम 419ए और गुजरात सरकार की खुद की अधिसूचना (29 मार्च 1997) का उल्लंघन करता है जो स्पष्ट तौर पर कहता है कि फोन टैपिंग तभी हो सकती है जब केन्द्रीय गृह सचिव या राज्य के गृह सचिव की लिखित मंजूरी हो। सूत्रों ने बताया कि ऐसा लगता है कि गुजरात पुलिस ने महिला का फोन तब भी टैप किया, जब वह गुजरात के अलावा महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में थी और इसके लिए केन्द्रीय गृह सचिव से मंजूरी नहीं ली गई।
गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे पहले ही कह चुके हैं कि कई महिला संगठनों और गैर सरकारी संगठनों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को ज्ञापन देकर महिला की कथित जासूसी मामले की जांच की मांग की थी और राष्ट्रपति ने ये सभी ज्ञापन गृह मंत्रालय के विचारार्थ भेजे थे। महिला के पिता ने हालांकि राष्ट्रीय महिला आयोग से कहा था कि उनकी बेटी इस मुद्दे पर कोई जांच नहीं चाहती।
विदेशी चंदा मामले में आम आदमी पार्टी के खातों की होगी जांच
नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी को कथित तौर पर विदेशों से गैरकानूनी चंदा मिलने के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय जल्दी पार्टी के खातों की जांच करेगा। आप ने विदेशों से चंदा लेने के मामले में विदेशी दान नियमन अधिनियम के उल्लंघन के संबंध में गृह मंत्रालय के सवालों का जवाब भेजा है जिसके बाद इस तरह की खबरें आई हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमें आप से और पूछताछ की जरूरत है क्योंकि उनके जवाबों पर कुछ स्पष्टीकरण चाहिए। हम उनके खातों के दस्तावेजों की जांच करेंगे। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर निर्देश दिया था जिसके बाद गृह मंत्रालय जांच करेगा। दिल्ली में सरकार बनाने जा रही आप ने कहा कि वह किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है। उसने दावा किया कि चंदा केवल भारतीयों से ही लिया गया, भले ही वे देश में रह रहे हों या विदेशों में बसे हों।
आप नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर हम किसी भी अनियमितता के दोषी पाये जाते हैं तो हम दोगुनी सजा स्वीकार करेंगे। (एजेंसी)
चुनावों के बाद गति पकड़ेगा विदेशी निवेश: इंडिया रेटिंग्स प्रमुख
इंडिया रेटिंग्स के प्रमुख अतुल जोशी ने कहा है कि 2014 के आम चुनावों के बाद विदेशी निवेश में गति आएगी लेकिन कुल मिलाकर इसमें अर्थव्यवस्था के लिए जादुई काम निकट भविष्य में होने की उम्मीद नहीं। उन्होंने कहा कि निवेशक नयी सरकार के गठन के इंतजार में हैं इसलिए काफी विदेशी निवेश रका हुआ है। लेकिन उनका फैसला किसी पार्टी विशेष की सरकार के सत्ता में आने पर नहीं बल्कि सरकार की स्थिरता के आधार पर होगा।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रबंध निदेशक तथा सीईओ जोशी ने पीटीआई को साक्षात्कार में आम चुनावों के बाद आर्थिक गतिविधियों के जोर पकड़ने की संभावना संबंधी सवाल पर कहा, इसे गति मिलेगी और निश्चित रूप से कुछ निवेश फिलहाल रका हुआ है। इंडिया रेटिंग्स वैश्विक एजेंसी फिच रेटिंग्स समूह की भारतीय इकाई है। जोशी ने कहा कि बड़ी नयी परियोजनाएं नहीं आ रही हैं क्योंकि मांग कमजोर है।
अब 62 फीसदी होगा एक्सिस बैंक में विदेशी निवेश
Govt gives nod for hiking foreign investment in Axis Bank to 62%
नई दिल्ली। सरकार ने एक्सिस बैंक में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 62 फीसदी करने पर मंजूरी दे दी है। इस फैसले से कम से कम 7250 करोड़ रूपए विदेशी निवेश से आने की उम्मीद है। आज सीसीईए की बैठक में इस पर फैसला लिया गया।
एक्सिस बैंक में विदेशी निवेश बढ़ाने के कई विकल्प हैं, जैसे एफआईआई निवेशक अपने घरेलू शेयरों को जीडीआर में तब्दील करें या फिर प्राइवेट इक्विटी या फिर सेकंडरी मार्केट से सॉवरेन वेल्थ फंड के जरिए निवेश बढ़ा सकते हैं।
इस साल जून तक एफआईआई निवेशकों की एक्सिस बैंक में हिस्सेदारी 40.7 फीसदी थी, वहीं ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट 8.08 फीसदी के करीब थी।
Reyazul Haque changed his profile picture.
Like · · about an hour ago · Supply side reforms crucial for India and the govt, whether it is led by Narendra Modi or Sonia Gandhi will need to act with intent. Reuters
The general elections are around the corner and the Indian economy has risen to the top of the poll agenda. Who will win is still unclear, but whether it is Narendra Modi's BJP or Sonia Gandhi's Congress, Indian economy's fate hinges on certain reforms, says Societe Generale.
The challenge for the new government at the Centre in May next year is to embrace supply side reforms as these measures hold the key to future economic outlook of India, says a report by Societe Generale.
According to the French banking major, in India, the supply side has continuously lagged the demand side due to weak programme and implementation of structural reforms.
"The economic reforms that were ushered in during 1991 have outlived their utility as catalysts for growth," Societe Generale said in a research note adding that "the country now needs to embark on the next round of reform measures to remove the structural constraints that impact growth".
India's supply side constraints that require immediate attention include boosting power supply and rationalising power tariffs; optimising the use of natural resources; streamlining administrative procedures; fiscal consolidation and reduction of policy uncertainty to boost investment.
According to the global financial services major, corruption in the process of distribution of rights to natural resources and policy paralysis are "conspiring" to hold back the Indian economy at a time when the increasing supply side constraints threaten to reduce growth potential.
As a result the Reserve Bank of India is facing a very "difficult balancing act" of managing growth, inflation and preventing a collapse of the rupee.
"We expect further rate hikes," Societe Generale said adding that "2014 will see the election of a new government and failure to adopt structural reform quickly will add to the pressure on the RBI in a manner that we believe is ultimately unsustainable".
Study says 47% of graduates in 2013 unemployable for any job
It seems formal education is India is not imparting enough skills to students as nearly half of the graduates of this year were found unemployable for any job, according to a study.
The study identified the key employability trends of 2013 and the most striking one was that a significant proportion of graduates of 2013, nearly 47 per cent, were found unemployable in any sector, given their English language and cognitive skills, said Aspiring Minds, a leading employability solutions company.
Of all the respondents in the survey, only 2.59 per cent of them was found employable in functional roles such as accounting, while 15.88 per cent was suitable for employment in sales related roles and 21.37 per cent for roles in the business process outsourcing sector, a report by Aspiring Minds said.
It said more females are pursuing three-year degree courses and when it comes to employability they are similar or higher suited than males.
There are 109 males to every 100 females in three-year degree programmes, it said.
Lack of English knowledge, poor skills in computer and concepts learning were major deterrents to employability.
Poor knowledge of English and inadequate computer skills dampen employability prospects in smaller towns significantly, the report said, adding that for students residing or studying in smaller towns and cities (tier 2 or tier 3), the maximum gap is observed in English and computer skills.
Moreover, not more than 25 per cent of the graduating students could apply concepts to solve a real-world problem in the domain of finance and accounting, while, on average, 50 per cent graduates are able to answer definition-based/ theoretical questions based on the same concept.
The report noted that around 41 per cent of graduates employable in accounting roles hail from colleges beyond the top 30 per cent colleges, whereas for the IT services sector this percentage is 36 per cent.
Hiring at managerial, professional levels shrinking: Survey
The Indian staffing sector is witnessing a contraction as companies recruiting at managerial and professional levels has decreased by over a third, a global survey says.
According to the 13th Antal annual global snapshot, the Indian staffing sector is shrinking but going forward this space is set to rebound.
The percentage of Indian employers currently hiring for managerial and professional positions now stands at 40 per cent, down 7 per cent below the global average, Antal said.
The report further said although this is the lowest level in Asia, the signs are positive that this figure will climb to 43 per cent in the near future.
"The results of the latest Snapshot indicate greater stability throughout the international staffing sector," Antal's CEO, Tony Goodwin said.
Goodwin further added that "feedback from our clients across the globe suggests that many are under pressure to do more with fewer resources, particularly human ones".
Besides, there is a steady fall in the percentage of organisations shedding staff - down from 20 per cent in April to 18 per cent in August and just 16 per cent in December -
which means workforces are stabilising.
Moreover, although overall hiring is down, the percentage of businesses that are letting staff go has dropped slightly - from 23 per cent to 20 per cent, which suggests the beginning of a more settled job market.
Some sectors are performing particularly well and recruitment within white-collar professions is showing greater levels of activity.
Within financial services 67 per cent of companies are currently hiring for accounting roles and the same percentage of employers are looking for senior staff to work in banking.
The report said the feeling seems to be that the sourcing of talent is going through a period of "wait and see". There is an atmosphere of expectancy, that something, hopefully positive, is about to happen, but in the meantime caution prevails.
Gujarat riots: Court rejects Zakia's plea against SIT clean chit to ModiIn a major relief for Gujarat chief minister and BJP prime ministerial candidate Narendra Modi, a metropolitan court on Thursday rejected the protest petition filed by Zakia Jafri , wife of late Congress MP Ehsan Jafri, against the clean chit given to him and others by the Special Investigation Team (SIT) in the 2002 Gujarat riots. Pronouncing the order in an open court, Metropolitan Magistrate B J Ganatra told Zakia's counsel Mihir Desai that her petition has been rejected and they have the liberty to approach a higher court. Zakia, 74, whose husband Ehsan Jafri was among the 68 people killed in the Gulbarg Society massacre here during the post-Godhra riots, had filed a protest petition on April 15 this year, objecting to the Supreme Court-appointed SIT's closure report absolving Modi of complicity in the conspiracy behind the deaths. Zakia, who was present in court on Thursday, broke down after the verdict was out and said she would appeal in a higher court. "The only hurdle in the acceptance of SIT's recommendations was the protest petition... The protest petition was rejected, so obviously the SIT report has been accepted. SIT's investigation, integrity, impartiality, all have been given a judicial stamp," said R S Jamuar, SIT's counsel. After completing its investigation on Zakia's complaint, the SIT had filed its closure report on February 8 last year. It concluded that despite difficulties in obtaining evidence in the case because of the lapse of eight years, whatever material it could gather was not sufficient to prosecute those against whom allegations of hatching the conspiracy had been levelled. Zakia had filed a complaint against 63 people, including Modi, his ministerial colleagues, top police officers and BJP functionaries, accusing them of a wider conspiracy in the riots which left more than 1,000 people dead, mostly Muslims.
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The Economic Times reports.
सेबी ने फंड जुटाना आसान बनाया, फ्रॉड करने वालों पर सख्ती होगी
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने वास्तविक इक्विटी या डेट ऑफर्स के लिए कंपनियों के लिए फंड जुटाना आसान कर दिया है। सेबी ने मंगलवार को कुछ उपाय पेश किए, जिनसे अवैध मनी-पूलिंग स्कीम्स चलाने वालों के साथ ही अन्य फ्रॉड वाली ऐक्टिविटीज में शामिल लोगों पर शिकंजा कसेगा।
इसके साथ ही सेबी ने इनवेस्टर्स को जल्द उनका पैसा रिफंड करने का फैसला किया है। फ्रॉड करने वालों की तलाशी या जब्ती के संबंध में उसकी ओर से दी गई नई शक्तियों के किसी गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए भी जरूरी कदम उठाए हैं। बोर्ड मीटिंग के बाद कई फैसलों की घोषणा करते हुए सेबी ने यह भी कहा कि सरकार ने एफआईआई की तरह ही फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (एफपीआई) को टैक्स ट्रीटमेंट देने का फैसला किया है।
इसका मकसद नए एफपीआई नियमों की तस्वीर साफ करना है, जिनके तहत सभी फॉरेन इनवेस्टर्स को उनके रिस्क प्रोफाइल के आधार पर 3 कैटिगरी में बांटा जाएगा। आईपीओ के जरिए फंड जुटाने के संबंध में सेबी ने जरूरी आईपीओ ग्रेडिंग को समाप्त करने के प्रपोजल को मंजूरी दे दी है, जबकि कई कंपनियों को डेट ऑफर्स के लिए शेल्फ प्रॉस्पेक्टस दाखिल करने की इजाजत दी गई है, जो एक साल में एक से ज्यादा ऑफर्स के लिए वैध रहेगा।
अपनी नई शक्तियों के बेहतर इस्तेमाल के लिए सेबी के बोर्ड ने तलाशी और जब्ती की कार्रवाई, सेटलमेंट प्रोसिजर, इनवेस्टर्स को रिफंड और अवैध मनी-पूलिंग स्कीमों पर शिकंजा कसने के लिए नए नॉर्म्स को मंजूरी दी है। नए नॉर्म्स में यह पक्का किया गया है कि इन शक्तियों का गलत इस्तेमाल न हो और संबंधित कंपनियों को प्राइवेसी मिले।
इसके साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव और सिविल प्रोसिडिंग्स के निपटारे के लिए विस्तृत रेगुलेशंस भी पेश किए गए हैं। ये सभी उपाय आने वाले दिनों में सेबी की ओर से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद लागू हो जाएंगे। माना जा रहा है कि बोर्ड ने लिस्टेड कंपनियों के लिए नए कॉरपोरेट गवर्नेंस कोड, इनसाइडर ट्रेडिंग नॉर्म्स में बदलाव और रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (आरईआईटी) के लिए नए फ्रेमवर्क को लेकर भी चर्चा की।
इन मुद्दों पर अंतिम फैसला लिया जाना अभी बाकी है। बोर्ड ने सेबी के इनवेस्टर प्रोटेक्शन एंड एजुकेशन फंड (आईपीईएफ) रेगुलेशंस में संशोधन को भी मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही सेबी के कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम्स (सीआईएस) रेगुलेशंस में संशोधन को भी हरी झंडी मिल गई है। सेबी को किसी भी ऐसे परिसर की तलाशी लेने की सीधी शक्ति मिल गई है, जहां गलत डॉक्युमेंट्स पड़े हैं। इन डॉक्युमेंट्स को जांच के लिए जब्त भी किया जा सकेगा।
दलों को RTI से बाहर लाने के लिए बिल पेश
नवभारत टाइम्स | Aug 13, 2013, 07.05AM IST
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली।। हर काम में पारदर्शिता का ढिंढोरा पीटने वाले राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे से बाहर रखने की सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। इस सिलसिले में आरटीआई संशोधन विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश कर दिया गया। दिलचस्प यह है कि तमाम मुद्दों पर एक दूसरे के खिलाफ हंगामा करने वाली पार्टियां इस मुद्दे पर एकजुट हो गई हैं।
केंद्रीय सूचना आयोग (सीवीसी) ने 3 जून को छह राष्ट्रीय दलों से जुड़ी याचिका पर आदेश दिया था कि ये सरकार से किसी न किसी रूप में मदद लेते हैं, इसलिए आरटीआई के तहत आते हैं। वैसे तो यह आदेश राष्ट्रीय दलों (कांग्रेस, बीजेपी, एनसीपी, सीपीएम, सीपीआई और बीएसपी) के लिए था, लेकिन अन्य पार्टियां भी इसके दायरे में आ रही थीं।
इसी आदेश के असर से पार्टियों को बचाने के लिए सरकार की ओर से कार्मिक मंत्री वी. नारायणसामी ने आरटीआई (संशोधन) विधेयक पेश किया। इस बिल में एक नई व्याख्या जोड़ने का प्रस्ताव है, जो कहती है कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत राजनीतिक दल के रूप में रजिस्टर्ड या मान्यता प्राप्त संगठन को पब्लिक अथॉरिटी नहीं माना जाएगा। विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि राजनीतिक दलों का स्टेटस किसी भी अदालत या आयोग के आदेश या फैसले से प्रभावित नहीं होगा। ये प्रावधान 3 जून से लागू होंगे क्योंकि उसी दिन सीवीसी ने आदेश दिया था।
सरकार ने दिए ये तर्क
- नारायणसामी ने कहा कि सरकार का विचार है कि राजनीतिक दलों का गठन न तो संविधान द्वारा या उसके अधीन और न ही संसद के बनाए किसी कानून के तहत हुआ है
- जनप्रतिनिधित्व कानून और इनकम टैक्स एक्ट में पहले से ही कई ऐसे प्रावधान हैं, जो इन पार्टियों और उनके उम्मीदवारों से जुड़े आर्थिक पहलुओं में पारदर्शिता बरते जाने से संबंधित हैं
- अगर राजनीतिक दलों को भी आरटीआई के दायरे में लाया गया तो इससे इनके कामकाज में रुकावट आएगी। विपक्षी दलों द्वारा आरटीआई का दुरुपयोग करने की भी आशंका रहेगी
'माननीयों' पर फैसला रिव्यू करने की अर्जी
राजेश चौधरी।। एमपी और एमएलए को दोषी पाए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद्द होने और जेल में रहते हुए चुनाव लड़ने पर रोक से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को रिव्यू करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पिटिशन दाखिल की गई है।
केंद्र सरकार ने अपनी अर्जी में कहा है कि एमपी और एमएलए को दोषी करार देने के बाद उन्हें अयोग्यता से बचाने के पीछे मकसद है कि सदन को प्रोटेक्ट किया जाए और यह तय करना है कि सरकार पर कोई विपरीत असर न पड़े। सरकार ने कहा कि इंडियन जूडिशल सिस्टम में बरी होने का रेट ज्यादा है और अगर एक बार चुना हुआ मेंबर निचली अदालत से दोषी पाए जाने के बाद अयोग्य करार दे दिया जाता है तो फिर वह बरी होने के बाद दोबारा अपनी सीट पर नहीं आ पाएगा। इस वजह से इनके लिए धारा-8 (4) का प्रोटेक्शन जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई के अपने फैसले में उस प्रावधान (धारा-8(4)) को रद्द कर दिया था जिसमें सांसद और एमएलए को दोषी पाए जाने के बाद भी सदस्यता रद्द होने से बचाता था। वहीं अपने दूसरे फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जेल या पुलिस कस्टडी में रहने वाले शख्स चुनाव नहीं लड़ सकते। केंद्र की याचिका में कहा गया है कि 2005 में कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच के सामने आरपीए की धारा-8 (4) का मुद्दा उठा था और अदालत ने इस सेक्शन को बरकरार रखा था।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में दाखिल याचिका को कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच को रेफर करना चाहिए था। केंद्र की ओर से कहा गया कि आर्टिकल-145 (3) के तहत यह मामला 5 जजों के बेंच को रेफर किया जाना चाहिए था। यह आर्टिकल कहता है कि अगर मामला क्वेश्चन ऑफ लॉ का हो तो इसे कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच को रेफर किया जाना चाहिए। धारा-8 (4) का मकसद किसी सांसद को एडवांटेज देना नहीं है बल्कि हाउस को प्रोटेक्ट करना है। केंद्र ने अपनी अर्जी में उस जजमेंट को भी रिव्यू करने की दलील दी जिसमें जेल में बंद शख्स को चुनाव लड़ने से रोका गया है। याचिका में कहा गया है कि इस बारे में डिटेल में याचिका में सवाल नहीं उठाया गया था।
Navbharat Times Online
गुजरात दंगा केस में मोदी को मिली क्लीन चिट
पढ़ें पूरी खबर:
#Modi #NaMo #NarendraModi
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Navbharat Times Online
आज ही के दिन 2004 में आया था वह सुनामी। हिंद महासागर में 26 दिसंबर 2004 को आई सुनामी विश्व की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है।
इस त्रासदी ने कई मुल्कों के लाखों लोगों को बेघर कर दिया था।
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Economic and Political Weekly
Two perspectives on the recently concluded state elections:
1) Can the BJP Revive Itself in 2014? - http://www.epw.in/perspectives-polls/can-bjp-revive-itself-2014.html
2) Winds of Change:Rise of the BJP and Challenge of an Alternative
http://www.epw.in/perspectives-polls/winds-change.html
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Thursday, 26 December 2013 13:11 |
जियाबाद। दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शनिवार को शपथ लेने जा रहे अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि उनके पास जादू की ऐसी कोई छड़ी नहीं है जो सभी समस्याओं का समाधान कर दे, लेकिन यदि ईमानदार लोग हाथ मिलाएं तो कुछ भी असंभव नहीं है ।
दिल्ली के रामलीला मैदान में आम आदमी पार्टी |
The Economic Times reports.
CNG price hiked by Rs 4.50/kg in Delhi, 2nd increase in 3 months
CNG price hiked by Rs 4.50/kg in Delhi, 2nd increase in 3 monthsCNG or compressed natural gas price in the national capital was today hiked by a steep Rs 4.50 per kg, the second increase in rates in three months. Reuters
CNG or compressed natural gas price in the national capital was today hiked by a steep Rs 4.50 per kg, the second increase in rates in three months.
Also, the price of cooking gas piped to kitchens has been increased by Rs 5.15 per kg with effect from midnight tonight.
CNG will cost Rs 50.10 per kg in Delhi and Rs 56.70 per kg in Noida, Greater Noida & Ghaziabad from midnight tonight, Indraprastha Gas Ltd (IGL) said.
The price of piped natural gas (PNG) to the households in Delhi is being revised from Rs 27.50 per standard cubic metre to Rs 29.50 per scm up to consumption of 30 scm in two months.
Beyond consumption of 30 scm in two months, the applicable rate in Delhi would be Rs 52 per scm.
Due to differential tax structure in the state of Uttar Pradesh, the applicable price of domestic PNG to households in Noida, Greater Noida and Ghaziabad would be Rs 31 per scm up to consumption of 30 scm in two months, which has been increased from existing Rs 29 per scm.
Beyond consumption of 30 scm in two months, the rate applicable in these cities would be Rs 54 per scm.
CNG price was last revised in September when it was hiked by a hefty Rs 3.70 per kg.
Price of Compressed Natural Gas (CNG) sold to automobiles in the national capital then increased from Rs 41.90 to Rs 45.60 per kg.
Also at that time, the price of piped cooking gas, called PNG, for households has been hiked from Rs 24.50 per scm to Rs 27.50 per scm.
IGL, the sole retailer of CNG and PNG in Delhi, said the increase was primarily due to increase in input cost as a result of reallocation of domestically produced gas quantities by the government for all City Gas Distribution Companies across the country.
Indian economy to face challenges in 2014: Standard CharteredWorld economic growth is expected after a pick-up in economic activity in the US & Europe.
The Indian economy is expected to face various challenges in 2014, Standard Chartered said and at the same time added that it forecasts the world economy is likely to accelerate to a 3.5% growth rate in 2014 from 2.6% this year.
World economic growth is expected after a pick-up in economic activity in the US and Europe, ending years of recession and sub-par growth.
In its annual report, this year entitled "Rising East, Emerging West", Standard Chartered analyses that Asian economy will strengthen but not boom, while China growth will remain stable at 7.4%. More domestically-driven economies such as India, Indonesia and Brazil will face headwinds.
"Western recovery should provide additional impetus to international trade, bolstering the more export-oriented economies across the emerging world. External demand-driven economies with strong links to the global manufacturing cycle, such as Singapore and Thailand, are likely to benefit the most while ASEAN economies are also expected to grow," report reads.
Standard Chartered also predicts emerging economies outgrowing the Group of Seven developed economies by almost 4% in 2014, even with the US accelerating to 2.4% from 1.7% in 2013 and the euro area emerging from two straight years of contraction to post a 1.3% growth in 2014.
"The broader global economic recovery should make it easier for the US Federal Reserve to start normalising monetary conditions, the report said, reiterating the Bank's expectation for the Fed to start tapering its quantitative easing programme by June 2014. Although markets could become more volatile in the first half of the year in the run-up to the tapering decision, growth in the second half should pick up once the decision is made; the Bank expects the first Fed rate hike in 2016," report said.
Marios Maratheftis, Global Head of Macro Research, said: "We expect a better 2014 compared to 2013. The economic recovery has so far been limited to emerging economies, and we expect growth to be broader next year. This is also good news for emerging markets, and we expect them to sustain their outperformance relative to G7 economies. The road will not, however, be free of risks and challenges. The Fed's expected tapering of quantitative easing is likely to cause market volatility.''
Indian Express reports.
Reyazul Haque changed his profile picture.
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Shamshad Elahee Shams
नरभक्षी पर जितने दांव लगे है उसे देखते हुए मैं कुछ ख़ास आश्वस्त नहीं हूँ, सत्ता संस्थान का कोई कर्मी जज हो या चपरासी- है तो आदमी ही, सो क्या कुछ नहीं हो सकता? गुजरात नरसंहार हो या दिल्ली के सिख विरोधी दंगे या मेरठ का मलिहाना काण्ड- इनके मुक़दमों की क्या गत बनी है कौन नहीं जनता ? असत्य मेव जयते ...
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Economic and Political Weekly
As the members of the Aam Aadmi Party prepare to swear in as the Delhi government on 28 December, EPW digs into its archives to bring you the trajectory of AAP from a non-existent party to a decisive force in electoral politics:
From the EPW archives: http://www.epw.in/archives.html
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Palash Biswas
http://www.hastakshep.com/english/news-1/nation-news-1/2013/12/26/the-campaign-for-khurshid-anwar-makes-an-appeal-for-restraint-to-all
The Campaign For Khurshid Anwar makes an appeal for restraint to all
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S.r. Darapuri shared Raju Jaihind's photo.
.... " दिसंबर 26 " और ...." राम मुहम्मद सिंह आजाद " ..यही नाम बताया था ..उसने ..अपना ..अंग्रेजों की अदालत में ..26 दिसम्बर उसी का जन्मदिन है .!!...हमारे द...See More
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Palash Biswas
आज फिर शहीद उधम सिंह को याद करने का सिलसिला है।हम रोज किसी न किसी को याद करते हैं।याद करने से ही आंदोलन हो जाता है ौर किसी आंदोलन की जरुरत है नहीं।उधम सिंह का कलेजा जिस देश में सिरे से गायब है,वहा उधम सिंह को याद करने का आखिर मतलब क्या है।
S.r. Darapuri shared MY GOD Ambedkar's photo.
भारत में महानता का मापदंड जाति है योग्यता नहीं.
महारानी एलिजाबेथ ने डॉ. अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण पर कहा कि – ''दुःख की बात है कि महामानव डॉ. अम्बेडकर का जन्म भारत में हुआ । यदि इनका जन्म किसी अन्य देश में हुआ होता तो इनको सर्वमान्य विश्वविभूति में मान मिलता । '
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Palash Biswas
प्रियदबंग मित्र यशवंत और सोशल मीडिया के तमाम योद्धाओं के लिए
Palash Biswas तथास्तु वत्स।अखंड हर्षवद्धन बनो।यह उत्तर आधुनिक बंदोबस्त के माफिक है।
Palash Biswas
मुझे बताइये,महापुरुषों का जन्मदिन,तरह तरह के दिवस मनाने,फोटो,एलबम और विचारों का ड्राइव लोड करने,लाइक और शेयर करने केअलावा क्या आप फेसबुक पर आज के हालात पर दो शब्द भी लिख नहीं सकते।
Palash Biswas
जय भीम,नमो बुद्धाय लिखते रहने से क्या समता और सामाजिक न्याय का ल&्य हासिल हो जायेगा।
Palash Biswas
जीति में पैदा होने के लिए मां बाप को कोसने के अलावा जमकर गाली गलौज करने से क्या हमें इस अति प्राचीन मौलिक वर्चस्ववादी अर्थ व्यवस्था से मुक्ति मिल जायेगी,तनिक सोचें।
Palash Biswas
मैं रोज रात दफ्तर से लौटकर सने से पहले आज का संवाद पट्टी टांग देता हूं।लाइक भी कर देतेहैं लोग तुरंत।लेकिन विषय पर कोई मंतव्य नहीं करता। हमारी सहमति असहमति क्या कुछ भी नहीं है,इस मूक भारत में अनर्थक शोर लेकिन कम नहीं है।
Palash Biswas
हारे समाज में गाली गलौज और मुहावरों के अलावा गंभीर संवाद और विमर्श की भाषा लुप्त प्राय है।मातृभाषा में हम लोग क्रमशः अनभ्यस्त हैं।तकनीक हमाें अपनी मातृभाषा भुला रही है। हम शब्द भिखारी हैं। तो महाराज जो आप कर सकते हैं कीजिये।संवाद नहीं कर सकते तो असहमति में गाली गलौज तोकीजिये।बामसेफ में बरसों बिताने के बाद हम गाली गलौज झेलने के अभ्यस्त हैं।यकीन मानिये कि आपकी शब्दहीनता के गालीगलौज में अभिव्यक्त होने पर भी हमें उतना बुरा नहीं लगेगा जितना आपका यह चुप लग रहा है।विमर्श के बंद दरवाजे पर लिकिन हमारी दस्तक जारी रहेगी।
Anita Bharti
लगता है समाजिक न्याय और स्त्री समानता यह केवल फैशन के तौर पर बात करने लायक मुद्दे है। वैचारिक लडाई से लेकर जमीनी लडाई तक में इन मुददों की कोई अहमियत नही दिखती है।
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You, Lenin Raghuvanshi, Shruti Nagvanshi, Musafir D. Baitha and 43 otherslike this.
Vipin Shukla पित्रसत्ता है तो साहसी महिलाओं की नयी पीढ़ी कैसे पनपेगी? दायें-बाएं का कूड़ाकरकट हटाते, आग के दरिया से गुजरकर ही वह आगे बढ़ेगी, और पूरे समाज को सभ्य बनाएगी.
4 hours ago · Like · 1
Aar Ravi Vidrohee अगर हम स्त्री पुरुषो के मुद्दे में ना पड़े तो संसार का संघर्ष एक ऐसी अवयवस्था का नाम हैं जहां व्ववस्था करने की इच्छा बड़ी प्रबल होती हैं मोहतरमा
स्त्री से अलग होकर देखिये हम सभी व्यक्ति हैं कोई स्त्रीलिंग पुर्लिंग नहीं ..
Misir Arun जबतक ये मुद्दे सीधे हमारे स्वार्थ से जुड़ कर हमारी जरूरत नहीं बनते केवल बहसों में ही बने रहेंगे |
Devendra Nath Misra NAHEEN. PCHHLE 60 VARSHON MEIN JITNAA HO SAKTAATHAA UTNAA NA HEEN HUA MAGAR.ANGINAT LADKIYAAN PADHNE LAGEE HAIN AUR AISAA KOI KAARYAKSHETRA NAHEEN JISME STRIYAAN PRABHAAVSHAALI BHOOMIKAA NA NNIBHAA RAHEE HO.
Palash Biswas अनिता भारती जी,कारपोरेट राज में दोनों वास्तव में फैशन ही ज्यादा है और इसके लिए हम सभी दोषी है।तसलिमा कहती रही है कि जब तक धर्म रहेगा,न स्त्री का अस्तित्व संभव है ,न न्याय,समता और सामाजिक न्याय संभव है ौर न नागरिक अधिकार और मानवाधिकार।आज का धर्म कारपोरेटधर्मोन्मादी राष्ट्रीयता है और मनुस्मृति खुद में एक मुकम्मल अर्थ व्यवस्था है जो अब ग्लोबल है।हम तमाम लोग रैंप पर हैं।
Vipin Shukla आजकल कुछ महानुभावों को सुनकर लगता है कि हमारा इतिहास मर्दों पर औरतों के जुल्म का इतिहास है. वे निर्भया आन्दोलन के बाद हासिल उपलब्धियों को पीछे धकेलने के लिए पलटवार की तय्यारी कर रहे हैं. तेजपाल मामले के बाद शायद इन्हें डर सता रहा है, कि इनका सुरक्षित किला किसी महिला के साहस से इनके ऊपर भी भहराकर गिर सकता है.
14 hours ago · Edited · Like · 2
शोभा मिश्रा ये मैंने यहाँ बहुत पहले। महसूस कर लिया था ..
14 hours ago via mobile · Like · 1
Master Bk Bharat आपने बिलकुल सही कहा क्योकि समानता केवल एक कल्पना जेसे ही ह .. जेसे प्लेटो ने एक आदर्श राज्य की कल्पना की थी, जो कभी पूरी नही हो सकी वेसे ही हम करने का प्रयाश करते ह...
14 hours ago · Like · 1
Faqir Jay नारीवाद ,वामपंथ ,अम्बेडकरवाद सभी कैरियर हैं . सबके लिए बिना अपवाद . बड़ा चिंतक और बड़ा लेखक बनना मुख्या ध्येय होता है .
13 hours ago · Like · 2
Vipin Shukla पित्रसत्ता है तो साहसी महिलाओं की नयी पीढ़ी कैसे पनपेगी? दायें-बाएं का कूड़ाकरकट हटाते, आग के दरिया से गुजरकर ही वह आगे बढ़ेगी, और पूरे समाज को सभ्य बनाएगी.
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Aar Ravi Vidrohee अगर हम स्त्री पुरुषो के मुद्दे में ना पड़े तो संसार का संघर्ष एक ऐसी अवयवस्था का नाम हैं जहां व्ववस्था करने की इच्छा बड़ी प्रबल होती हैं मोहतरमा
स्त्री से अलग होकर देखिये हम सभी व्यक्ति हैं कोई स्त्रीलिंग पुर्लिंग नहीं ..
Misir Arun जबतक ये मुद्दे सीधे हमारे स्वार्थ से जुड़ कर हमारी जरूरत नहीं बनते केवल बहसों में ही बने रहेंगे |
Devendra Nath Misra NAHEEN. PCHHLE 60 VARSHON MEIN JITNAA HO SAKTAATHAA UTNAA NA HEEN HUA MAGAR.ANGINAT LADKIYAAN PADHNE LAGEE HAIN AUR AISAA KOI KAARYAKSHETRA NAHEEN JISME STRIYAAN PRABHAAVSHAALI BHOOMIKAA NA NNIBHAA RAHEE HO.
Rajiv Nayan Bahuguna
वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ,माधो सिंह भंडारी , अमर शहीद श्री देव सुमन , श्री विजय बहुगुणा तथा आर्येन्द्र शर्मा जी की कर्म भूमि गढ़वाल को नमन .
" जयतु जय जय मत्रि भूमी जयतु उत्तराखंड जी
काणा गरुड़ चिफळपट्ट , मनखी उतणाटंड जी "
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You, Himanshu Kumar, Surendra Grover, चन्द्रशेखर करगेती and 89 others like this.
Suraj Singh जय हो उत्तराखंड के सभी वीर सपूतो की। धन मेरो पहाड़
3 hours ago via mobile · Like · 2
Lmohan Kothiyal teen to amar hain lekin baki do martya lok ke jeev hain.
3 hours ago · Like · 1
K.d. Kandwal आखिर जन्म भूमि तो श्री देव सुमन ,गढ़वाली जी , भंडारी जी व बहुगुणा बन्धुओं जिनमे विजय व राजीव शामिल हैं सभी की ही है l वो बात अलग है कुछ बहुगुणा ...
2 hours ago via mobile · Like · 2
Jagdamba Bhatt काणा गरूड चिफलपट्ट मनखी उताणपट्ट जी ।घोर कलजुग ऐगे ।उतराखण्डा का देवि देवता पुजा लेणा कैं खड्यां छन ।।
ब्यालि का कुखडा चोर ।आज सयाणा बण्या छन ।
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2 hours ago via mobile · Like · 3
Palash Biswas टका सेर भाजी टका सेर खाजा,अंधेर नगरी चौपट राजा। जयजय उत्तराखंड।
Yashwant Singh
सुन्नर सुन्नर बाबाजी के
करिया करिया दढ़िया जी...
उनपे कूदल मोटकी बिलरिया
दढिया धय के झूलल जी...
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आज सपने में मैं स्त्री बनकर पूरी रात उपरोक्त गारी (गीत) गाता रहा... और, हद तो तब हो गई जब सुबह उठकर यही जोर जोर से गाने लगा... पत्नी, बच्चा लोग सब आंख फाड़े देखने लगे कि इसे अब ये नया क्या हो गया... उन्हें सिंपटम ठीक नहीं लगे रहे मेरे... खैर, आप लोग भी गाइए....
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सुन्नर सुन्नर बाबाजी के
करिया करिया दढ़िया जी...
उनपे कूदल मोटकी बिलरिया
दढिया धय के झूलल जी...
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Palash Biswas ह क्या रहा है,अविनाश दोहे लिख रहे हैं तो यशवंत गीत गाने लगा।
Reyazul Haque posted 2 updates.
हाशिया: An Appeal for restraint to all by the family and friends of Khurshid Anwar
Reyazul HaqueAnita Bharti
We are deeply shocked and concerned at the trial by media and social media, which he was irresponsibly subjected to in the last few months, on a matter which had never been subjected to any kind of formal scrutiny by any responsible authority.
Anybody who is indulging in any irresponsible statements about the lady in question is only doing a disservice to the memory of Khurshid Anwar. We request all those commenting on the matter to desist from any conjectures and speculation upon the matter, and let the investigation take its course.
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Amalendu Upadhyaya shared a link.
अमरीका की डिप्लोमेटिक दादागीरी को औक़ात बताने का वक़्त आ गया है
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S.r. Darapuri shared a link.
NeelKranti.com » मनुस्मृति क्यों जलाई गयी?
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जनज्वार डॉटकॉम with Himanshu Kumar and 47 others
एक ग़ैरसरकारी संस्था की मदद से स्कूल जाना शुरू किया, वहीं रहने को भी मिला. पर वो जगह आठवीं के बाद छोड़नी पड़ी, क्योंकि मां ने शादी कर दी. आदमी अधेड़ था, पर उसके पास घर था. चौदह साल की उम्र में शारीरिक संबंध बहुत मुश्किल था. दो बच्चे भी हुए, पर फिर आदमी गुज़र गया और ससुरालवालों ने वापस यहां भेज दिया...http://www.janjwar.com/society/1-society/4382-na-ghar-hai-na-thikana-by-divya-arya-for-janjwar
Like · · Share · October 4 at 2:01pm ·
Abhiram Mallick shared Black & Brown Love's photo.
It is said that before the 3000 years of brutal oppression there was a 1000 year war. The black people in India fought well. As mighty a warrior as those from the horn of Africa.
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Sanjay Boddh Dasfi
हमारा आंदोलन केवल अपनी कमजोरियों को दूर करने के लिए नहीं है बल्कि सामाजिक क्रांति लाने के लिए है जिससे कि नागरिक अधिकारों के सम्बन्ध में मानव-मानव में किसी प्रकार का भेद किए बिना मानव निर्मित जातियों के अवरोधों को नष्ट कर अपना सर्वोच्चतम विकास करने का सबको अवसर प्रदान करना है। यदि हम समस्त हिंदुओं को एक समाज में संगठित करने में सफल हुए तो यह साबित होगा कि हमने अपने राष्ट्र की और समाज की बहुत बड़ी सेवा की है। वर्त्तमान जाती-व्यवस्था अपने भेदभाव तथा अन्य दुष्परिणामों के कारण हमारे सामाजिक एवं राष्ट्रीय कमजोरी का बहुत बड़ा स्रोत है। हमारे आंदोलन का मूल उद्देश्य संगठन, मजबूती, समता, स्वतंत्रता एवं भाईचारा है।
- डॉ भीमराव आंबेडकर
(आज ही के दिन 25 दिसंबर 1927 को दिए भाषण का अंश।)
Like · · Share · 2445 · 12 hours ago ·
सुधाराजे के लिए
Palash Biswas कविता में बार बार सुधा क्यों लिखती हो ,यह कविता के बिंब संयोजन को अकारण बाधित करता है।मद्यकालीन कविताओं ने कवि की पहचान के लिए इस कायदे का ईजाद किया लेकिन इसे हम दोहराने से बचें तो बेहतर।तुम इतना बेहतर लिखो कि पढ़ने वाले को हर पंक्ति देखकर ही मालूम होना चाहिए यह सुधा का लिखा है ौरकोई यह लिख ही नहीं सकता था।वाल्तेयर की हर पंक्ति ैसी हुा करती थी ौर अपना नाम लापता करने के बावजूद वे पकड़ लिये जाते थे।खुद न लिखकर पाठक को मजबूर करो कि वह खुद सुधा का नाम पह पंक्ति के साथ नत्थी कर दें।अन्यथा मतलेना।
S.r. Darapuri via Shoaib Mohammad
मुज़फ्फ़रनगर: 'सरकार चाहती है हम मर जाएं, तब देगी मुआवज़ा' - BBC Hindi - भारत
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The Economic Times
Delhi worst hit by water shortage: Survey http://ow.ly/s3hno
Like · · Share · 259983 · 11 hours ago ·
Himanshu Kumar
मुज़फ्फर नगर में मोदी को प्रधान मंत्री बनाने के लिए दंगे किये गए और बेवजह मुसलमानों पर कहर बरपा किया गया .
अब प्रशासन और सरकार मिल कर इनकी जिंदगी को नर्क बना रही है .
प्रशासन और शासन की क्रूरता देखनी हो तो एक बार मुज़फ्फर नगर जा कर इन पीड़ितों से मिल कर आइये .
मुज़फ़्फ़रनगर दंगे: किताबें जलीं, हिम्मत भी राख - BBC Hindi - भारत
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S.r. Darapuri
मनुस्मृति दहन दिवस: हिन्दू सामाजिक व्यवस्था के विरुद्ध दलितों के विद्रोह के बड़ते कदम!
Faridabad Me BaBa Saheb Ambedkar Chowk pr Aaj 25/12/2013 ko Manu Samriti dahan Ka Bhim Sainikon dwara kia gya Karykram...................Jai Bhim Jai Bharat हमारा आंदोलन केवल अपनी कमजोरियों को दूर करने के लिए नहीं है बल्कि सामाजिक क्रांति लाने के लिए है जिससे कि नागरिक अधिकारों के सम्बन्ध में मानव-मानव में किसी प्रकार का भेद किए बिना मानव निर्मित जातियों के अवरोधों को नष्ट कर अपना सर्वोच्चतम विकास करने का सबको अवसर प्रदान करना है। यदि हम समस्त हिंदुओं को एक समाज में संगठित करने में सफल हुए तो यह साबित होगा कि हमने अपने राष्ट्र की और समाज की बहुत बड़ी सेवा की है। वर्त्तमान जाती-व्यवस्था अपने भेदभाव तथा अन्य दुष्परिणामों के कारण हमारे सामाजिक एवं राष्ट्रीय कमजोरी का बहुत बड़ा स्रोत है। हमारे आंदोलन का मूल उद्देश्य संगठन, मजबूती, समता, स्वतंत्रता एवं भाईचारा है। - डॉ भीमराव आंबेडकर (आज ही के दिन 25 दिसंबर 1927 को दिए भाषण का अंश । )
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Satya Narayan
पूर्वाग्रह मुक्त होकर वैज्ञानिक वस्तुपरकता के साथ हमें डॉ. अम्बेडकर की विचारधारा, इतिहास दृष्टि, आर्थिक विचारों, राजनीतिक विचारों और उनके द्वारा प्रस्तुत दलित मुक्ति की परियोजना का विश्लेषण-समाहार करना होगा। मूर्ति पूजा या नेताओं को अवतार बनाना ब्राह्मणवादी और पूँजीवादी नायकवादी वृत्ति है, इससे बचा जाना चाहिए। यह भी विचार का विषय है कि रिपब्लिकन पार्टी, दलित पैन्थर्स, बसपा, पुथिया तमिझगम और दलित राजनीति की ऐसी उन तमाम छोटी-बड़ी पुरोधा पार्टियों की राजनीति के पतन या विघटन के कारण क्या थे, जो दलित राजनीति के उत्तर-अम्बेडकर दौर में समय-समय पर रैडिकल तेवर लेकर उभरती रही हैं और फिर इस या उस मुख्य बुर्जुआ पार्टी (उनकी विश्लेषण-दृष्टि से, सवर्ण या मध्यजातीय वर्चस्व वाली पार्टियों) के साथ गाँठ जोड़ लेती रही हैं। जो बहुतेरे रैडिकल दलित सिद्धान्तकार हैं, व्यापक सामाजिक आधार वाला कोई जाति-विरोधी सामाजिक आन्दोलन खड़ा करने की उन्होंने क्यों कोई कोशिश तक नहीं की? हमें इस सवाल का उत्तर ढूँढ़ना ही होगा कि रैडिकल दलित राजनीति और नयी-पुरानी दलितवादी सैद्धान्तिकियों के पास दलित मुक्ति और जाति-व्यवस्था के आमूल नाश की परियोजना क्या है और उसके अमली रूप क्या हैं?
http://arvindtrust.org/Caste-question-and-its-solution-a-Marxist-approach
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S.r. Darapuri and Satya Narayan shared a link.
जाति प्रश्न और उसका समाधान : एक मार्क्सवादी दृष्टिकोण | अरविन्द स्मृति न्यास
Samarendra Das
Upper caste upper class Corporate DfID agent plunderer Naveen Patnaik's billion dollar mining scam stands exposed.
Odisha is the focus state of DfID where the corporate takeover of natural resources are taking place with the active participation of agencies like UNDP who unashamedly give certificates to rogues like Vedanta for their Resettlement colonies!!
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Surendra GroverMedia Darbar
अपराधियों से डरने वाली पुलिस ने पत्रकार को गिरफ्तार किया ऐसे, जैसे कि वह कोई माफिया डॉन हो..
http://mediadarbar.com/25356/s-n-shyam-arrested-by-nitish-police-like-a-criminal/
बिहार श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष की गिरफ्तारी नीतीश राज की कलई उतार रही है…मीडिया दरब
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Steinar Strandheim
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Jagadishwar Chaturvedi
अमेरिका में इस समय अति गरीब लोग बेहद बुरी दशा में जी रहे हैं। नव्य आर्थिक उदारीकरण के परिणामों पर पढ़ें
More Hunger for the Poorest Americans
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Surendra Grover
Devendra Surjan की Vartika Nanda की वाल पर एक सारगर्भित टिप्पणी...
दिल्ली सरकार के गठन में बिन्नी प्रहसन कुछ चिंता पैदा करता है. लेकिन यह तो टीथिंग ट्रबल है - हर पार्टी में सरकार गठन के पूर्व होता है.
कोई एमएलए बेईमानी - भ्रष्टाचार भले न करें पद का मोह रखने का सबको हक है. इसलिए बिन्नी की खुन्नस दूर हो जाना या दूर किया जाना जरूरी है यदि देश के सामने दिखावा मुक्त , भ्रष्टाचार मुक्त , साम्प्रयिकता मुक्त प्रशासन का उदाहरण रखना है.
इमानदार का एक जगह या अपने सिद्धांतों टिके रहना आसान नहीं होता. या तो उसे भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाने के लिए पर्याप्त प्रलोभन दिए जाते हैं या फिर आइएएस अशोक खेमका जैसे फ़ुटबाल बना दिया जाता है.
कुछ टिप्पणीकार केजरीवाल को नसीहत देते हुए लिख रहे हैं कि उन्हें यह जल्दी ही समझ में आ जाएगा कि ब्रम्हचर्य [ इमानदारी ] और गृहस्थाश्रम [ सरकार ] को एक साथ चलाना कितना कठिन है.
एएपी या 'आप' की भी यह स्थिति हो इसके लिए भाजपा उस पर लगातार ताने कस रही है तो कांग्रेस समर्थन वापिस लेने के बहाने खोज रही है.
जहां तक ब्रह्मचर्यं और गृहस्थाश्रम के साथ साथ चलाने का सम्बन्ध है किंचित विषयान्तर के साथ देश अच्छी तरह से जानता है कि जब आसाराम , नारायण सांई , नित्यानंद , दद्दा जी , कृपालु महाराज़ जैसे और भी बाबाओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि दोनों जिम्मेदारियों को गैर जिम्मेदारी और बेशर्मी की चाशनी के साथ आसानी से चलाया या पचाया जा सकता है. केजरीवाल का चरित्र इन सबसे बेहतर है और वह सरकार बन गई तो चला भी ले जायेंगे - इसका भरोसा रखना चाहिए.
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Aaj Tak
आमिर खान की धूम-3 ने पाकिस्तान में वो करिश्मा कर दिखाया है, जो आजतक कोई पाकिस्तानी फिल्म भी नहीं कर सकी. पढ़ें पूरी खबर...http://aajtak.intoday.in/story/dhoom-3-breaks-box-office-records-in-pakistan-1-750462.html
dhoom 3 breaks box office records in pakistan: मूवी मसाला: आज तक
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Kalpana Tripathi Pant
लोग कहते हैं इस इसमें क्या बुरा है? यदि सारी दुनिया की एक ही भाषा हो तो विभिन्न देशों, जातियों और समाजों के बीच संवाद में कितनी सुविधा होगी. लेकिन वे भाषा को केवल आपसी बात-चीत का माध्यम भर मानने की भूल करते है. वे भूल जाते हैं कि किसी भी बोली को बनने में हजारों वर्ष लगते हैं. सोचिये हमारे पुरखों ने प्रकृति के विविध रूपों और प्रभावों को स्पष्ट पहचान देने के लिए कितना कुछ किया है.होगा. वर्षा हुई होगी तो उसने उसके विविध रूपों को कुछ नाम दिये , ह्ल्की वर्षा के लिए उन्होनें द्यो बुराणों कहा , तो .उससे कुछ तेज वर्षा के लिए झुण- झुण बर्ख और तेज वर्षा के लिए द्योक तहड़ और कई दिनों तक होने वाली वर्षा को सतझड़ नाम दिया. अपने बच्चों को खेल लगाने के लिए वर्षा की ध्वनि को भी 'द्यो लागो दण दण बुड़ि भाजी बण-बण" में संजोया. जब हिमपात आरंभ हुआ तो उन्होंने उसके विभिन्न रूपों को भी पहचान दी. उसके हल्के रूप को ह्यूँ-मुन कहा और जब खूब हिमपात हुआ होगा तो उसने उसे हिमाव कहा. खेल खेल में ही वह ' ह्यूँ पडो मा (माघ) ग्यूँ धरूँ काँ द्वारा हिमपात के गेहूँ की उपज में वृद्धि होने के अपने अनुभव को अगली पीढियों को सौंपते चले गये. चाँद निकला तो उसके सबसे भव्य रूप को फूल-फटक ज्यूनि कह कर रूपायित किया. सुबह जल्दी उठने पर भु्र-भुर उजाला देखा तो वह घुप्प अन्यार से परेशान भी हुए . पौष मास के जाड़े से उन्हें गडगड़ाट हुआ तो बुखार आने पर झरझराट हुआ.
Status Update
By TaraChandra Tripathi
कभी-कभी जब में पेट की भाषाओं के दबाव तले दम तोड़ती भाषाओं के बारे में विचार करता हूँ तो मुझे निश्वास लग जाता है. मुझे लगता है कि जिस प्रकार हम सब अपनी बोलियों की उपेक्षा कर रहे हैं, हमारी बोलियाँ भी अगले बीस-पचीस साल में विश्व की अब तक दम तोड़ चुकी उन सैकड़ों भाषाओं और दुद्बोलियों में शामिल हो जाएंगी जिनका आज कोई नाम लेवा भी शेष नहीं है. संसार में जो समाज अपनी मातृ भाषाओं या दुदबोलियों के प्रति जागरूक नहीं हैं, उनकी बोलियों को मक्खन लगी रोटी की भाषाएँ निगलती जा रही हैं. आधी दुनियाँ की सैकड़ों बोलियों को स्पेनी निगल चुकी है, अफ्रीकी भाषाएँ स्वहिली भाषा के प्रकोप से मर रही है, रूसी पूर्वी यूरोप की भाषाओं को निगलने के लिए तैयार बैठी है और अंग्रेजी की महामारी आत्मगौरव से सम्पन्न फ्रेंच, जर्मन, जापानी, चीनी जैसी कुछ भाषाओं को छोड़ कर दुनियाँ की सारी बोलियों को उजाड़ देने पर तुली हुई है.
लोग कहते हैं इस इसमें क्या बुरा है? यदि सारी दुनिया की एक ही भाषा हो तो विभिन्न देशों, जातियों और समाजों के बीच संवाद में कितनी सुविधा होगी. लेकिन वे भाषा को केवल आपसी बात-चीत का माध्यम भर मानने की भूल करते है. वे भूल जाते हैं कि किसी भी बोली को बनने में हजारों वर्ष लगते हैं. सोचिये हमारे पुरखों ने प्रकृति के विविध रूपों और प्रभावों को स्पष्ट पहचान देने के लिए कितना कुछ किया है.होगा. वर्षा हुई होगी तो उसने उसके विविध रूपों को कुछ नाम दिये , ह्ल्की वर्षा के लिए उन्होनें द्यो बुराणों कहा , तो .उससे कुछ तेज वर्षा के लिए झुण- झुण बर्ख और तेज वर्षा के लिए द्योक तहड़ और कई दिनों तक होने वाली वर्षा को सतझड़ नाम दिया. अपने बच्चों को खेल लगाने के लिए वर्षा की ध्वनि को भी 'द्यो लागो दण दण बुड़ि भाजी बण-बण" में संजोया. जब हिमपात आरंभ हुआ तो उन्होंने उसके विभिन्न रूपों को भी पहचान दी. उसके हल्के रूप को ह्यूँ-मुन कहा और जब खूब हिमपात हुआ होगा तो उसने उसे हिमाव कहा. खेल खेल में ही वह ' ह्यूँ पडो मा (माघ) ग्यूँ धरूँ काँ द्वारा हिमपात के गेहूँ की उपज में वृद्धि होने के अपने अनुभव को अगली पीढियों को सौंपते चले गये. चाँद निकला तो उसके सबसे भव्य रूप को फूल-फटक ज्यूनि कह कर रूपायित किया. सुबह जल्दी उठने पर भु्र-भुर उजाला देखा तो वह घुप्प अन्यार से परेशान भी हुए . पौष मास के जाड़े से उन्हें गडगड़ाट हुआ तो बुखार आने पर झरझराट हुआ.
अपने आस-पास की वनस्पतियों को उनके रंग, रूप, प्रकार, और प्रभाव और उपयोग को परखते हुए अपनी बोली के शब्द समूह से उपयुक्त शब्द चुन कर उनके नाम रखे, कहीं उनके रूप को आधार बनाया तो कहीं उनके प्रभाव को और उनके इतने प्रकारों को नाम देते चले गये कि उन वनवासी आदिम पूर्वजों की सूक्ष्म दृष्टि पर आश्चर्य होता है. यही उन्होंने अपने आस-पास के जीवों को पहचान देने में किया. कहीं उनकी आवाज को आधार बनाया तो कहीं उनके रूप को और कहीं उनके व्यवहार को आधार बनाया.
उन्होंने परिवार बनाया, समाज का गठन किया. अपने समाज से जुड़ाव विकसित किया. हर एक नाते को नाम दिया, इजा, बौज्यू, ठुल बा, ठुलि इजा, कैंजा, काक, काखि, बुबु, दिदि, बैणि, भिंज्यू, मामा, भतिज, भतिजि, नाति, नातिणि, मम-पुसी भै- बैणि और भी न मालूम कितने सम्बन्धों को उस ने पहचान दी.
उन्होंने परंपरओं को जन्म दिया, विश्वासों को जगाया, भ्रान्तियाँ भी पालीं, उनका उपचार भी ढूँढा. विभिन्न वनस्पतियों और खनिजों के रोग-निवारक तत्वों को पहचाना, उनसे चिकित्सा विज्ञान का सूत्रपात किया. उसने मनोरोगों के उपचार के लिए शाबर मंत्रो की रचना की. देवयोनियों की कल्पना की, उनके प्रभाव के बहाने समाज का नियमन किया.
उन्होंने गीत गाये, अपने पूर्वजों के गौरव को ही नहीं उनकी बुराइयों को भी अपने गीतों, गाथाओं, कथाओं, में संजोया, बालगीत बनाये,पहेलियाँ सृजित कीं, खेलों की रचना की, अल्पनाएँ विकसित कीं उनमें अपने विश्वासों और पूर्वजों की यादों को संजोया. यह सब कुछ एक दिन में नहीं हुआ. इसमें पल- पल कर हजारों वर्ष लग गये. और उ्नके प्रयासों से हमें एक पहचान मिली. यह पहचान भी उन्होंने एक शब्द 'ई' (यथा कुमाऊनी, गढ़्वाली, बुन्देली, मराठी, गुजराती, मलयाली पंजाबी,) की पोटली में बाँध कर अगली पीढियों को सौंपते जाने के लिए हमें दी.
हमारा साहित्य, हमारा ज्ञान-विज्ञान, हमारे उपकरण, हमारे संसाधन एक दिन में नहीं पनपे हैं उनको वर्तमान रूप में आने में हजारों वर्ष लगे हैं. इसीलिए डार्विन के जीवों की उत्पत्ति और हमारे अवतार वाद में समानता की झलक मिलती है. बिग बैंग और ओ3म में एक सा अनुनाद सुनाई देता है. ब्रह्मांड की काल-गणना और ब्रह्मा- विष्णु- महेश की क्रमिक जीवनावधि गणना में समानता दिखती है.
यह जो मनुष्य की गर्दन पर बैठा हुआ है, जिसे हम दिमाग या मस्तिष्क कहते हैं, एक दिन में नहीं बना है. अनन्त काल में बनता चला गया है. इसमें भी जिसने जड़ की कंजड़ मे जाने की चेष्टा की वह अपने युग से सैकड़ों साल पहले केवल बाँस की नालियों के सहारे वह सिद्ध कर गया, जिसका लोहा आज रेडियो दूरवीन भी मान रही हैं. और यह सब हमारी भाषाओं और बोलियॊं में संचित है
मित्र, बोली या भाषा केवल संवाद का माध्यम नही होती वह एक विशाल विश्वकोश होती है. वह किसी क्षेत्र की निवासियों की पहचान होती है. यदि बोली का अवसान हुआ तो समझ लीजिये दुनिया के छ; अरब लोगों में हमारी पहचान क्या होगी.
हमारे बच्चे अंग्रेजी में भी महारत हासिल करें, अपने प्रदेश और देश की राजभाषा में भी प्रवीण हों. समृद्धि उनके कदम चूमे पर माँ तो माँ है माँ के दूध से मिली बोली. दुदबोली. उसकी उपेक्षा न करें. यह कोई कठिन काम भी नहीं है. जरा सा अपनी बोली के प्रति हीनताबोध से बचें. घर में और अपने सगे संबन्धियों से अपनी बोली में बोलना आरंभ कर दें. बस. हमारी बोली, हमारे पूर्वजों की युगों के अन्तराल में बड़े परिश्रम से संचित विरासत युगों तक न केवल बनी रहेगी अपितु विकास के साथ समृद्ध भी होती जायेगी.
जरा सोचिये तो!
Geeta Gairola
१६ दिसंबर निर्भया की या द में
street shows by sambhav [ violence against women network]
Like · · Share · December 23 at 12:35pm ·
Himanshu Kumar shared a link.
प्राइम टाइम : मुजफ्फरनगर में सियासत जारी
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माओ त्से-तुङ : हमारे समय के एक महानतम क्रान्तिकारी
1893 में चीन में जन्में माओ त्से-तुङ ने जनवादी क्रान्ति और फिर समाजवादी क्रान्ति के अभूतपूर्व, महाकाव्यात्मक विश्व-ऐतिहासिक प्रयोगों के दौरान लगभग आधी सदी तक चीन के सर्वहारा वर्ग और मेहनतकश आवाम का नेतृत्व करते हुए और लगभग चौथाई सदी तक अन्तर्राष्ट्रीय सर्वहारा वर्ग तथा दुनिया भर के सच्चे कम्युनिस्टो...
S.r. Darapuri via Anand Prakash Tiwari
महान क्रांति वीर एवं युग-निर्माता 'माओ-त्से-तुंग' को एक सौ बीसवीं जयन्ती पर 'लाल-सलाम'...
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S.r. Darapuri shared Punjab Kesari's photo.
महान दलित देश भक्त शहीद उधम सिंह को शत शत नमन!
वतन के लिए जान कुर्बान करने वाले शहीद ऊधम सिंह का आज जन्मदिन है। भारत के इस वीर सपूत को हमारा शत्-शत् नमन
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एक प्रतिज्ञा की थी एक दिन कि सत्य के साथ ही चलना है और सत्य की ही जय कहनी है । किंतु इतना आसान नहीं था सत्य के साथ ज़ी पाना पहले ही पङाव पर अनेक चेहरे बेनक़ाब हो गये जो मेरे अपने थे जिनपर अथाह विश्वास था और मन थरथरा गया कि अपनों को त्यागूँ या सत्य को ऐसा सत्य मेरे किस काम का? अपने सौगंध उठाकर अपनों की लोकप्रिय मिथ्या बोलने लगे और मुझे अकेले ही तय करना पङा आगे का मार्ग ।
सोचा अब सत्य का साथ छोङने से क्या लाभ जब सब साथ छोङ गये ।
किंतु तब वे लोग साथ हो लिये जो उन अपनों के पराभव पर प्रसन्न थे और मुझे गर्व होने लगा सत्यपथ यात्री होने पर सत्य की जय जय कार गूँजी कई बार और शांत हो गयी । यह षडयंत्र भी उधङ गया और ज्ञात हो गया कि लोग मेरे पीछे इसीलिये खङे थे कि अपनों को खोकर अपनी विरासत जङें और अनुवांशिक पहचान खोकर मैंने अर्जित की थी एक पहचान क्रूर सत्यपथ की मूर्ख यात्री और उपहास के व्यवहारिक उपनामों के बाद भी एक अटूट सम्मान । कोई तत्काल मान लेता अगर वही बात मेरे द्वारा कही गयी ये जान लेता ।
हुज़ूम एकाएक ग़ायब हो गया जब घोषणा की मैंने सत्य के लिये एक एक की परीक्षा लिटमस पत्र पर लेने की । अम्ल ऐर क्षार घोषित होने से डर गये लोग और ।
अगले कई पङाव मुझे फिर अकेले ही तय करने पङे ।
लोग और अपने सब जानते थे मुझे बहुत गहरेमन में मानते भी थे कि मृत्यु की तरह सुंदर और जीवन की तरह वीभत्स सत्य ही मेरे सृजन हैं किंतु कोई कभी भी किसी मंच से कभी नहीं ले सका मेरा नाम ।
लोग एकांत में आते अपनी जरूरत के मुताबिक मेरे सृजन में से प्रेरणा की टहनियाँ काटकर ले जाते और लगा लेते अपने अपने ग़ुलदस्ते में । सत्य की क़लम पर उगे मिथ्या के फूल भी सुंदर होते कि सत्य की खुशबू आती ।
वह सत्य नहीं था बस सत्य के कलम पर लगाया झूठ का कलेवर था ।
लोग उसे ही सत्य समझते रहे औऱ भीङ झूमती रही कालबेलिया के नृत्य पर ।
लोग धन वर्षा कर सत्य की जय कहते रहे किंतु जिसे वे सत्य कह रहे थे वह सत्य नहीं था वह केवल कपट था ।
कपट छल और कतरनों से जोङकर बनाया षडयंत्र था क्योंकि सुंदर और लाभकारी मिथ्या होते हुये भी
संस्कारवश लोग कभी नहीं कहते रहे कि ""झूठ की जय""
सत्य अकेला निर्मम क्रूर और अकिंचन ही घोर विजन में बेतरतीब बढ़ता फलता फूलता जहाँ थे विषदंतक के मगन महारास जिनकी धुन पर नाचते रहे कालबेलिये और लोग कभी नहीं जानपाये कि सत्य फणिक का नृत्य होता कैसा है ।
सत्य को केवल मृत्यु और सृजन ने पहचाना और दोनों को एकांतवास मिला ।
सृजन और मृत्यु के बाद उत्सव मनाते लोग
सत्य की जय कहते झूठ की धुनों पर नाचते रहे ।
मुझे पता चल गया था कि मेरे सृजन कभी झूठ के मंच पर स्वीकार नहीं किये जायेंगे और ना ही कभी स्वीकार करेगे कलम काट कर ले जाने वाले कालबेलिये कि उनके गुलदस्तों में सत्य के चुराये सृजन की उर्वरा है ।
क्योंकि झूठ के पांव और जङ नींव और आधार नहीं होते ।
झूठ जब भी नाचता सत्य की जमीन पर जङों पर आधार पर ही नाचता ।
अब मेरे अपने ही चेहरे पर थीं खराशें ।
मेरे अपने ही पाँवों थे छाले और मुझे कभी स्वीकार नहीं कर पाना था अपनी ही हाथों मार दिया गया अपने में उगता झूठ. औऱ य़े हत्या बोध कभी गर्व नहीं करने दे सका कि किंचिंत आकार ही सही झूठ का एक मुकुलन मुझमें से भी हुआ ..मृत्यु की तरह सुंदर और जीवन की तरह वीभत्स वह आत्मस्वीकृति कभी नहीं बन सकी सृजन और मेरी छह उंगलियों में से एक उंगली काटनी पङी मुझे झूठ की उंगली जिसे काटने पर सबसे अधिक पीङा सहनी पङी । जितनी पीङा कभी पंख और पांव काटने पर भी नहीं हुयी तब क्योंकि सत्य मेरा सर्वांग था और जो काटा वह सत्य ही था सत्य की वेदना ग्राह्य मोहक और क्रूर सह्य रही सदा।
स्वयं पर मुकुलित स्व स्वरूप सुंदर मिथ्या को काटने की यातना के बाद मैं नितांत एकांत में हूँ अब कोई नहीं ।
और अब सत्य मुखर नहीं समाधिस्थ है कोयले की खान से हीरे सदियों बाद निकाले जाते है ज्वालामुखी के तापमान पर पिघल कर वज्र होते रहने की पीङा अब जिस सृजन की ओर है उसकी कोई काट कलम और खुशबू नहीं होती केवल कौंध होती है चाहे कभी सामने आये या दबा रहे अतल के काले संसार में सात रंग की धूप से मिलने की चाहत में ।
©®सुधा राजे
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The
purpose of Dhamma is to reconstruct the world'
--Dr. BABASAHEB AMBEDKAR
'The purpose of Religion is to explain the origin of the world. The purpose of Dhamma is to reconstruct the world' --Dr. BABASAHEB AMBEDKAR
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S.r. Darapuri shared Dhruv Gupt's photo.
एक महान मानवतावादी कलाकार को नमन !
पुण्यतिथि / चार्ली चैपलिन दुनिया पर हंसने का फन आसान नहीं पहले अपनी हंसी उड़ानी होती है ! चार्ली चैपलिन मतलब विश्व सिनेमा का सबसे बड़ा विदूषक और सर्वाधिक चाहा...See More
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Sheeba Aslam Fehmi
How many officers he has suspended for the non-performance in refugee camps of Muzaffarnagar?
http://www.ndtv.com/article/india/akhilesh-yadav-suspends-ias-officer-for-allegedly-delaying-funds-for-swimming-pool-in-his-village-463137?pfrom=home-topstories
Akhilesh Yadav suspends IAS officer for allegedly delaying funds for swimming pool in his village
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Reuters India
Worries this year that the U.S. Federal Reserve will begin unwinding its stimulus and then the recent decision to do so has also hurt bullion that is seen as a hedge against inflation
Gold steady; set for biggest annual loss in three decades
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S.r. Darapuri
BBC documentry on Udham Singh: A Great Dalit Martyr
Dalit Liberation: BBC documentry on Udham Singh: A Great Dalit Martyr
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S.r. Darapuri and Gowthama Meena shared a link.
18 Dr. Ambedkar burns Manusmriti (Book of Inequality) in 1927
This is a short clip from Dr. Babasaheb Ambedkar Movie. Manusmruti Dahan (Combustion of Manusmruti ): Manusmruti is the mythological book of Hindus where rul...
S.r. Darapuri via Gowthama Meena
Burning of Manu Samriti by DR. Ambedkar on 25th December, 1927 during Mahad Talab Satyagrah.
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Navbharat Times Online
देश की आजादी की लड़ाई में उधम सिंह एक ऐसा नाम है, जिन्होंने जलियांवाला बाग कांड में शहीद हो चुके सैकड़ों निर्दोषों की मौत का अंग्रेजों से बदला ले लिया। लंदन जाकर उन्होंने पंजाब के गवर्नर रहे माइकल ओ डायर को गोलियों से भून दिया।
आइए, इस महान देशभक्त को उनके जन्मदिन पर उन्हें दें श्रद्धांजलि...
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Ashutosh Kumar
दुनिया के खरबपतियों में भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ी है । लेकिन भारत के खरबपतियों में बाबाओं की गिनती सब से तेजी से बढ़ी है। अंधी व्यवस्थाएं लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए अंधविश्वास को समाज की सर्वोच्च विचारधारा के रूप में स्थापित करती है। राकेट उड़ाने के लिए नारियल फोड़ना, बरसात के लिए सरकारी सोमयज्ञ आयोजित करना और दुर्भाग्य दूर भगाने के लिए कन्याबलि इसी विचारधारा के अलग अलग रूप हैं ।
भोपाल में शहीद दाभोलकर की याद में हुई एक प्रखर कार्यशाला में उनके साथी मिलिंद देशमुख के अतिरिक्त अनिल सदगोपाल ,अमिताभ पाण्डेय ,ईश्वर दोस्त ,धनञ्जय राय और देश भर से आये जमीनी तर्कवादी कार्यकर्ता। धर्मेन्द्र कुमार , योगेश दीवान और उनके साथियों की सार्थक पहल ।
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Meena Kandasamy "If women are given the opportunity and the right to move equally with men, they will destroy all these shackles of slavery in a second." --- My man, Periyar, had said it.
"If women have to live as real human beings, three things must be done immediately. First, they should be removed from the kitchen. Second, the demon of jewellery must be exorcised. Third, one must chop off all problems of marriage. Education and the right to property are the foundations for all this change. Women who have both of these should not face any barriers in taking a job of their choice. Those in power should help them in this regard. Anybody with worldly experience will not accept that women are incapable of doing a particular job. There are lots of instances in history to show that if women have the opportunity they can occupy any position. Right in front of our eyes we can see several such instances. If women take up jobs, these three requirements will be fulfilled gradually on their own. The idea that a race should spend its whole life in the kitchen is several times worse than crude varnashrama. Those who have interest and talent in cooking can take up that job. Moreover, the methods of cooking have to be radically changed. It is certain that not even one percent of women who are educated, employed and have wealth will accept to work in the kitchen. A few people will raise the question, "Then what about food?" We need to make other arrangements for it. This question is like asking, "If there is no caste that mends slippers, who will mend my slippers?" Second, the demon of jewellery! This madness is decreasing day by day because of the high price of gold, higher education and contact with western culture. We think that with the passage of time it will reduce further. We feel that after women get employment and property, they will not bother about having a lot of jewellery, and just prefer to have one or two pieces of jewellery. Now the third need is most essential—the problem of marriage. It is crucial for women to have independent employment to stop sacrificing their whole life for meaningless restrictions like caste, religion, age, lineage, kinship, gotra, money, position, status, parental compulsion and so on. If women are given the opportunity and the right to move equally with men, they will destroy all these shackles of slavery in a second. PERIYAR, from an editorial dated 18 March 1947 Translation mine.
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S.r. Darapuri
दलित आंदोलन के बुनियादी सिद्धांत - एक नजरिया
-आनंद तिलतुम्ब्ड़े
साभार- hastkshep.com
भारत की उत्पीड़ित जनता के संघर्ष आज जिस मुकाम पर खड़े हैं, यहां से समाज एक बड़े, स्थायी और क्रांतिकारी बदलाव की तरफ जा सकता है या फिर साम्राज्यवाद परस्त, ब्राह्मणवादी शासक वर्ग अपने संकट को अपने आजमाए हुए तरीकों से टाल कर अपने शोषणकारी अस्तित्व को बनाए रख सकता है, जैसा यह करता आया है. हालात कौन से रुख लेंगे, इसको आखिरी रूप से तय करने वाली बात यह है कि उत्पीड़ित जनता का संघर्षरत हिस्सा कैसे और ...Continue Reading
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Pushya Mitra
अलका लांबा आम आदमी पार्टी में शामिल. कांग्रेस की संवेदनहीनता को खूब खरी खोटी सुनाते हुए पार्टी छोड़ा. दामिनी वाले आंदोलन में काफी सक्रिय रही हैं. क्या कहेंगे इस खबर पर... ?
http://en.wikipedia.org/wiki/Alka_Lamba
Alka Lamba - Wikipedia, the free encyclopedia
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Apna Bihar
हिन्दू धर्म के पाखंड का आधार मनुस्मृति के अनुसार धन संचय करना शुद्रों यानी दलितों और पिछड़ों के लिए अपराध है। इसलिए देश में आय से अधिक संपत्ति के मामले दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं के खिलाफ ही दर्ज किये जाते हैं।- nawal
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Sukumar Mitra added a new photo.
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The Economic Times
Automakers have been crippled from various ends. Here's how automakers are beating the slump http://ow.ly/s3Z4e
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I am the first CM who wants honest officials, all others look for corrupt people: Kejriwal
Express News Service : New Delhi, Thu Dec 26 2013, 12:27 hrs
Set to be sworn-in as Delhi Chief Minister on Saturday, Arvind Kejriwal on Thursday said he did not have a magic wand to solve all the problems but added that nothing was impossible if honest people joined hands.
Kejriwal, who will be administered oath of office along with six AAP MLAs at the historic Ramlila Maidan in Delhi, said there would be no VIPs at the ceremony and "everyone is invited".
"It is open for all. No VIP is there. All 'aam admi' will be present. You are all invited," he told reporters.
Portfolios of the new ministers would be announced in the next two days, he said.
The cabinet ministers who will take oath along with Kejriwal are Manish Sisodia, Rakhi Birla, Somnath Bharti, Saurabh Bhardwaj, Girish Soni and Satendra Jain.
The Chief Minister-designate asked honest officials and employees of Delhi government to contact him through SMS or email so that they could be deployed at places where they can work to solve Delhi's problems.
"I would request them to contact me through SMS or email, we will depute good people at good places and want to move ahead with them. I don't have a magic wand to solve all the problems, but if good, honest and efficient people join us nothing is impossible," he said.
"For the first time, there is a Chief Minister who is looking for honest officials to work for him, otherwise whenever a new CM comes, he or she looks for those officials who can earn them commission through corruption," he said.
If honest officials join us, it can help us giving a corruption-free government, he said.
Asked how AAP would verify if somebody is honest, he said, "We have a network and we will find out. A team of officials like present education secretary Rajendra Kumar are looking for honest and dynamic officials".
Indian Express reports.
More effort needed to reduce govt subsidies: C Rangarajan
More efforts are required to reduce the subsidy and government needs to set an overall quantity for it, prioritising the areas that need greater focus, Prime Minister's Economic Advisory Council (PMEAC) Chairman C Rangarajan has said.
He also said that India will be able to contain the fiscal deficit at 4.8 per cent for which higher growth is a must so as to increase government revenues.
"I think there has been an effort to reduce subsidies (given by the government). We need to do more. For example, all subsidies have been very important," Rangarajan told reporters at the sidelines of a function today.
"Then a decision was taken to take out subsidy to petroleum and it was fixed according to market level. Diesel prices in the course of next few months will also get regularised. In the sense, it will be market driven," he said.
He added: "We should have a fix on the total quantum of subsidies and adjust other subsidies, if they are critically important. What is really needed is the fix on the total subsidy. It is for the government to decide which subsidy will take priority over other subsidy."
On the decision to allow diesel prices to be market driven, Rangarajan said the plan was for a 50 paise increase every month. Due to the sudden rupee depreciation (against the US Dollar), the adjustment became higher. "Therefore, in principle, it has been accepted that diesel price will also be related to price of crude oil."
On controlling the fiscal deficit, Rangarajan said he was sure it would be maintained at 4.8 per cent of the GDP and that going ahead, growth would be an important factor in contributing to higher tax revenue to contain it.
"Therefore, one of the most important things is to get back to high growth path as quickly as possible," he said.
2013: Poor economy derails Planning Commission's 8% growth target in 12th PlanPlanning Commission Deputy Chairman Montek Singh Ahluwalia said 12th Plan's growth target could be lowered to around 7.5 per cent.
Poor performance of the economy during 2013 derailed Planning Commission's ambitious growth target of 8 per cent for the 12th Plan, which the nation's official think-tank will revise downwards in the new year as part of its mid-term review exercise.
Attributing lower-than-expected growth to global factors, Planning Commission Deputy Chairman Montek Singh Ahluwalia said 12th Plan's growth target could be lowered to around 7.5 per cent.
"In the 12th Plan for the first time, upper-end performance was going to be around 8 per cent average in a year but since then global economy has done much worse.
"So, today 8 per cent is bit on the high side. The possibility for next five years I feel is 7.5 per cent which is not impossible," Planning Commission Deputy Chairman Montek Singh Ahluwalia said.
During the first year of the 12th Plan, India's economy grew by only 5 per cent, the slowest in a decade.
In the first half (April-September) of the current fiscal FY2013-14, the economy grew by just 4.6 per cent.
The Planning Commission will conduct the mid-term review of the 12th Five Year Plan by the end of 2014, for which the preparatory work has started already, Ahluwalia said.
"The 12th Plan has set a target of 8 per cent growth over the five year period 2012-13 to 2016-17. With a growth of only 5 per cent in the first year and perhaps 6.5 per cent in the second, it will require a very sharp acceleration in the later years to achieve an average of 8 per cent over the entire Plan period," the Commission said in its 12th Plan document.
The Indian economy grew at over 9 per cent for five years before 2008, a period during which global economy was booming.
Lenin Raghuvanshi
ऐसे में जरूरत है कि विभिन्न राजनैतिक पार्टिया अपनी –अपनी रोटियाँ सेंकने के और जनता को गुमराह करने व एक दुसरे पर दंगे की जिम्मेदारी डालने के बजाय दंगा पीड़ितों के तन से गहरे मन के घावों को भरने के प्रयास में मिलकर काम करें | पीड़ितों के इज्जत, आशा, मानवीय गरिमा को ध्यान में रखते हुए अविलम्ब बिना किसी भेदभाव के नागरिक अधिकार संरक्षित करते हुए पुनर्वासित किये जाने की लम्बे समय तक कार्यक्रम चलाना होगा, जिसमें मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक सम्बल के पहल को महत्व देना होगा |
http://www.pvchr.net/2013/12/blog-post.html
PVCHR: मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों के राहत शिविर का सच : कराहती मानवता
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Satya Narayan
https://www.facebook.com/notes/anand-singh/आम-आदमी-पार्टी-की-चुनावी-सफलता-पर-लट्टू-हो-रहे-साथियों-से-दो-बातें/751604658201043
'आम आदमी पार्टी' की चुनावी सफलता पर लट्टू हो रहे साथियों से दो बातें
'आम आदमी पार्टी' की हालिया चुनावी सफलता से भारतीय मध्य वर्ग के अच्छे-खासे हिस्से में एक नयी उम्मीद का संचार हो गया है। मजे की बात तो यह है कि दक्षिणपंथ और वामपंथ दोनों धाराओं की ओर झुकाव रखने वाले
By: Anand Singh
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