साथियों
जय भीम
वर्ष 2006 में भीलवाड़ा जिले में सुलिया गाँव में दलितों के एक मंदिर प्रवेश आन्दोलन के वक्त 'दलित आदिवासी एवं घुमंतू अधिकार अभियान राजस्थान ' (डगर ) की स्थापना हुयी ,उसके बाद डगर ने उत्पीडित समुदाय पर हो रहे अन्याय अत्याचारों के विरुद्ध सतत संघर्ष करके अपने पहचान बनायीं .इस प्रक्रिया में कई साथी नेतृत्व करने के लिए आगे आये और उनका योगदान अविस्मरणीय रहा है .डगर की मौजूदगी सदैव ही यथास्थितिवादी तत्वों को चुभती रही है, हालाँकि हमने इसकी कभी परवाह भी नहीं की ,यहाँ तक कि सामाजिक क्षेत्र के लोगों को भी दलित ,आदिवासी और घुमन्तु समुदाय के युवाओं का यह स्वतः स्फूर्त प्रयास कभी अच्छा नहीं लगा .फिर भी हमने अपनी दलित मुक्ति की यात्रा को अनवरत जारी रखा .लोकतान्त्रिक तरीके से डगर में समय समय पर आगेवान भी बदलते रहे ,विगत दो वर्ष से डगर के प्रदेश संयोजक पद को दौलत राज नगोड़ा एडवोकेट सम्भालते रहे है ,मेरी शारीरिक अस्वस्थता के चलते मैंने इसमें कोई नियमित भुमिका निभाना लगभग समाप्त कर दिया था ,बहुत जरुरी मसलों पर राय मश्विरा देने के अलावा मैं अधिक कुछ नहीं कर पा रहा था ,इसका नुकसान यह रहा कि डगर के कुछ साथी पथ विचलित हो गए और हमारे सामाजिक भरोसे और प्रतिष्ठा को उनके कार्यों से ठेस पंहुची .हालाँकि यह वर्तमान नेतृत्व की भी विफलता थी ,मगर डगर का संस्थापक होने के नाते मैंने यह महसूस किया कि जिन उद्देश्यों के लिए इस अभियान को बनाया गया है ,शायद उनकी ओर यह कदम नहीं बढ़ा पा रहा है ,इसलिए एक कठोर निर्णय करते हुए आज डगर को भंग करने और तमाम पदाधिकारियों को पदमुक्त करने कि मैं घोषणा कर रहा हूँ ,साथ ही यह चेतावनी भी देना जरुरी समझ रहा हूँ कि कोई भी साथी भविष्य में डगर के नाम ,लोगो ,लेटरपेड का किसी भी रूप में उपयोग नहीं करें ,अगर कोई ऐसा करते हुए पाया गया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी .
इसी आशा के साथ
सादर जय भीम
भंवर मेघवंशी
संस्थापक -डगर.
जय भीम
वर्ष 2006 में भीलवाड़ा जिले में सुलिया गाँव में दलितों के एक मंदिर प्रवेश आन्दोलन के वक्त 'दलित आदिवासी एवं घुमंतू अधिकार अभियान राजस्थान ' (डगर ) की स्थापना हुयी ,उसके बाद डगर ने उत्पीडित समुदाय पर हो रहे अन्याय अत्याचारों के विरुद्ध सतत संघर्ष करके अपने पहचान बनायीं .इस प्रक्रिया में कई साथी नेतृत्व करने के लिए आगे आये और उनका योगदान अविस्मरणीय रहा है .डगर की मौजूदगी सदैव ही यथास्थितिवादी तत्वों को चुभती रही है, हालाँकि हमने इसकी कभी परवाह भी नहीं की ,यहाँ तक कि सामाजिक क्षेत्र के लोगों को भी दलित ,आदिवासी और घुमन्तु समुदाय के युवाओं का यह स्वतः स्फूर्त प्रयास कभी अच्छा नहीं लगा .फिर भी हमने अपनी दलित मुक्ति की यात्रा को अनवरत जारी रखा .लोकतान्त्रिक तरीके से डगर में समय समय पर आगेवान भी बदलते रहे ,विगत दो वर्ष से डगर के प्रदेश संयोजक पद को दौलत राज नगोड़ा एडवोकेट सम्भालते रहे है ,मेरी शारीरिक अस्वस्थता के चलते मैंने इसमें कोई नियमित भुमिका निभाना लगभग समाप्त कर दिया था ,बहुत जरुरी मसलों पर राय मश्विरा देने के अलावा मैं अधिक कुछ नहीं कर पा रहा था ,इसका नुकसान यह रहा कि डगर के कुछ साथी पथ विचलित हो गए और हमारे सामाजिक भरोसे और प्रतिष्ठा को उनके कार्यों से ठेस पंहुची .हालाँकि यह वर्तमान नेतृत्व की भी विफलता थी ,मगर डगर का संस्थापक होने के नाते मैंने यह महसूस किया कि जिन उद्देश्यों के लिए इस अभियान को बनाया गया है ,शायद उनकी ओर यह कदम नहीं बढ़ा पा रहा है ,इसलिए एक कठोर निर्णय करते हुए आज डगर को भंग करने और तमाम पदाधिकारियों को पदमुक्त करने कि मैं घोषणा कर रहा हूँ ,साथ ही यह चेतावनी भी देना जरुरी समझ रहा हूँ कि कोई भी साथी भविष्य में डगर के नाम ,लोगो ,लेटरपेड का किसी भी रूप में उपयोग नहीं करें ,अगर कोई ऐसा करते हुए पाया गया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी .
इसी आशा के साथ
सादर जय भीम
भंवर मेघवंशी
संस्थापक -डगर.
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