Chaman Lal
Sunil Khobragade वामन मेश्राम के विवाह की हो रही चर्चा एवं भर्त्सना निम्न लिखित कारनो से अनुचित नही मानी जा सकती
१. वामन मेश्राम का शादी न करना यह बात को उनकी संगठन के लिये व्यक्तिगत कुर्बानी के तौर पर आज तक़ पेश किया गया.मिशन कि पूर्तता के लिये आजन्म अविवाहित रहकर उसने व्यक्तिगत सुख का परित्याग किया है इसलिये समाज ने भी मिशन कि कामयाबी के लिये उसका अनुकरण चाहिये ऐसा प्रचारित किया गया.उसको आदर्श मानकर कितने सारे कार्यकर्ताओ ने अविवाहित रहने का निश्चय कर अपना घर नही बसाया.इस स्थित मे वामन मेश्राम का शादी करना या ना करना उसके व्यक्तिगत प्रश्न तक़ सीमित नही रह जाता.
२.उन्होंने आंतर-जातीय विवाह सही वक़्त पर किया होता तो उसका जरूर स्वागत होता.लेकिन अपने से २४-२५ साल कम उमर कि महिला के साथ,वो भी उसकी ५ माह कि गर्भवती होने के कारण मजबुरी मे शादी करना नैतिक नही कहा जा सकता.ना ही उसे स्वागत योग्य अच्छा कदम माना जा सकता.
३.अपने अनैतिक कृत्यो का बाबासाहब का नाम लेकर समर्थन करणा यह नीचता की निम्नतम मिसाल है.इसके लिये आंबेडकरवादी जनता ने उसे दंडित करना चाहिये.
४. ढोंगी और अनैतिक व्यक्ती से अच्छे बर्ताव की उम्मीद रखना मूर्खता है.इसलिये भविष्य में वामन मेश्राम के कोई भी वादे पर उसके बुद्धीहीन अंधभक्त ही विश्वास रख सकते है.
५ वामन मेश्राम ने अपने अविवाहित रहने का अपने क्वालीफिकेशन तौर पर उपयोग किया.अविवाहित रहकर उसने त्याग किया है ऐसा बार-बार बताकर जनता से धन इकठा किया गया. उसकी त्यागमूर्ती ऐसी इमेज बनाई गई और लोगो को गुमराह किया गया.इसलिये लोग उसके ढोंग की चर्चा करते है तो इसमे कोई बुराई नही है.
१. वामन मेश्राम का शादी न करना यह बात को उनकी संगठन के लिये व्यक्तिगत कुर्बानी के तौर पर आज तक़ पेश किया गया.मिशन कि पूर्तता के लिये आजन्म अविवाहित रहकर उसने व्यक्तिगत सुख का परित्याग किया है इसलिये समाज ने भी मिशन कि कामयाबी के लिये उसका अनुकरण चाहिये ऐसा प्रचारित किया गया.उसको आदर्श मानकर कितने सारे कार्यकर्ताओ ने अविवाहित रहने का निश्चय कर अपना घर नही बसाया.इस स्थित मे वामन मेश्राम का शादी करना या ना करना उसके व्यक्तिगत प्रश्न तक़ सीमित नही रह जाता.
२.उन्होंने आंतर-जातीय विवाह सही वक़्त पर किया होता तो उसका जरूर स्वागत होता.लेकिन अपने से २४-२५ साल कम उमर कि महिला के साथ,वो भी उसकी ५ माह कि गर्भवती होने के कारण मजबुरी मे शादी करना नैतिक नही कहा जा सकता.ना ही उसे स्वागत योग्य अच्छा कदम माना जा सकता.
३.अपने अनैतिक कृत्यो का बाबासाहब का नाम लेकर समर्थन करणा यह नीचता की निम्नतम मिसाल है.इसके लिये आंबेडकरवादी जनता ने उसे दंडित करना चाहिये.
४. ढोंगी और अनैतिक व्यक्ती से अच्छे बर्ताव की उम्मीद रखना मूर्खता है.इसलिये भविष्य में वामन मेश्राम के कोई भी वादे पर उसके बुद्धीहीन अंधभक्त ही विश्वास रख सकते है.
५ वामन मेश्राम ने अपने अविवाहित रहने का अपने क्वालीफिकेशन तौर पर उपयोग किया.अविवाहित रहकर उसने त्याग किया है ऐसा बार-बार बताकर जनता से धन इकठा किया गया. उसकी त्यागमूर्ती ऐसी इमेज बनाई गई और लोगो को गुमराह किया गया.इसलिये लोग उसके ढोंग की चर्चा करते है तो इसमे कोई बुराई नही है.
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