इन दोनों तस्वीरों के मूल चरित्र में जब तक बदलाव नहीं आएगा, हूल जारी रहेगा. इलाका कोई सा भी हो, भाषा-संस्कृति चाहे जो हो और सरकार भले कितनी ही ‘लोकप्रिय’ व ‘बहुमत’ वाली क्यों न हो.
इन दोनों तस्वीरों के मूल चरित्र में जब तक बदलाव नहीं आएगा, हूल जारी रहेगा. इलाका कोई सा भी हो, भाषा-संस्कृति चाहे जो हो और सरकार भले कितनी ही 'लोकप्रिय' व 'बहुमत' वाली क्यों न हो.
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