न्यूक्लियर लायबिलिटी एक्ट की
धारा सत्रह की शर्तों में ढील देने की तैयारी है
केंद्र सरकार की अमेरिकी कंपनियों को
फायदा पहुंचाने के लिए
इसीलिए बतौर रक्षाकवच
मस्तिष्क नियंत्रण पद्धति मुताबिक
सर्जिकल इंतजाम यह रंगभेदी
बहुत ही सुनियोजित
महिषासुर वध के लिए तैयार है
एक और महिष मर्दिनी
अब अमेरिका में
Raghuram Rajan proves worthy successor to Subbarao
India must get out of its policy taper: ET Jury
Manmohan may carry nuclear liability dilution as gift for U.S. companies
পরমাণু চুক্তিতে বদল চেয়ে বিপন্ন কেন্দ্র
पलाश विश्वास
BAMCEF UNIFICATION SPL.G.B. AT NAGPUR 5(PALASH BISWAS)
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Original Post
|
हम बार बार आपसे पूछते रहे सवाल
रिखाकिर आर्तिक संकट का भूत
हमारे कंधे पर ही वेताल क्यों
शेयरों की उछाल और रुपये की चमक
ने दे दिया जवाब,सारा खेल आईपीएल है
बाकी चियरिनों का जलबा है
सबसे घातक चियरिन तो मीडिया है
रात दिन सातो दिन चौबीसों घंटा
कारपोरेट भोंपू बनाता है संकट
वधस्थल के विस्तार के लिए
अब हो जाइये सावधान
भारतीय स्टेट बैंक के सीईओ ने
साफ साफ कहा है कि हम बचाते हैं
इसलिए अर्थसंकट हैं,बचत को बाजार में डालना
बचत का निवेश बहुत है जरुरी
समझ लीजिये कि अगला कदम क्या होना है
सीधे बैंक खाते से बीमे,पेंशन और पीएफ की तरह
आपकी इजाजत के बिना आपका जमा
शेयरों में तब्दील हो जाना है
इसके लिए जरुरी कानून हो जायेगा पास
अंगूठा चूसते रह जाइये आप
हमारे वक्तव्यों के वीडियो देख लें यूट्यूब में
हमारा लिखा पढ़ लें ब्लागों में
कब से हम आपको आगाह कर रहे हैं
आप संसदीय कामेडी सर्कस में
कैडर कैंप के हास्य सम्मेलन में
राष्ट्रीय सम्मलनों के मजमे में
विदूषकों और बाजीगरों के प्रवचन में
मसीहा के फर्जी आंदोलन में
ध्यान ही नहीं दिया कि सबसे जरुरी मुद्दों को
किस तरह मनोरंजन का मसला बना दिया है लोगों ने
पूरा देश अब कामेडी सर्कस है
मीडिया से लेकर राजनीति और आंदोलन तक
इंडिया इंक खुलकर भारत सरकार से कह रही है
फेड बैंक का फैसला टला है,बदला नहीं है
कारपोरेट स्टिमुलस वापस लेगा अमेरिका
आज नहीं तो कल,दो दिनों की चांदनी
फिर हो जायेगी अंधेरी रात
फिर संस्थागत निवेशक भागेंगे
फिर सेनसेक्स का सेक्स चेंज होगा
फिर गिरेगा रुपया,रेटिंग बदलेगी रोज
व्यापार घाटा होगा,महंगा होगा तेल
फिर होगा भुगतान संतुलन
इंडिया इंक खुलकर भारत सरकार से कह रही है
कि अर्थ संकट की आड़ में आर्थिक सुधार
लागू करने का मौका न गवांये सरकार
मनमोहन सिंह अक्षरशः हुकुम तामील कर रहे हैं
दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रीयल कारीडोर तैयार
अब अमृतसर कोलकाता कारीडोर की तैयरी
बिजली परियोजनाओं के मार्फत अब
हिमालय से समुंदर तक देश को
डूब बनाने की तैयारी
आ सको तो होश में आ जाओ भइया
समझ सको तो समझ लो भइया
फिर न मौका मिलेगा कभी
माफ करना अगर फुटेला की तरह
हम भी हो गये बेजुबान कहीं
तो फिर न खोलेंग राज भइया
सिंहद्वार पर दस्तक बहुत तेज है भइया
जाग सको तो जाग जाओ भइया
अक्ल की गांठ थोड़ा कोल लो भइया
तमाशा जारी है तो तमाशा के भीतर
तनिक झांक लो भइया
चोली के अंदर सिर्फ वहीं नहीं होता
जो तुम समझते हो भइया
भारत अमेरिकी चोली दामन का हाल
हिंदुत्व और जायनवादी चाल
समझ सको तो समझ लो भइया
देखो क्या है हाल भइया
नस्ली रंगभेद के खिलाफ
अमेरिका में करेंगे पहल
खुला बाजार के ईश्वर भइया
तब तो भारत में
यूं समझो
कि खत्म है नस्ली भेदभाव
मिस अमेरिका नीना के साथ
लंच करेंगे मनमोहन-ओबामा!
व्हाइट हाउस में न्यौता मिला है
अमेरिका सुंदरी नीना को क्योंकि
इस खिताब को हासिल करने पर
नस्ली टिप्पणियों का शिकार बनी वे
उसीतरह जैसे इंग्लैंड की र्रिएलिटी शो
का खिताब ऐसी ही टिप्पणी के बाद
जीत लिया था शिल्पा शेट्टी ने
इससे पहले जान लो भइया
कि नीना मइया का क्यों हुआ अवतार
किस्सा बहुत दिल फरेब है
दिमाग के चरखे ढीले हो जाय
किस्सा ऐसा फरेब है भइया
अब मीजिया दाग रहा है सवाल
क्या मनमोहन देंगे
न्यूक्लियर लायबिलिटी
की शर्तों में ढील?
असांज के लिकेज के बाद
कोई जोखिम नहीं उठाता कोई
पहले से शेफ्टी वाल्व तैयार
चिल्लपों मचाओ चाहे जितना
चाहे सरकार गिरा दो
चाहे जनादेश बदल दो
चाहे समर्थन वापस ले लो
संसद चलने न दो
गठबंधन भी तोड़ दो
होइहिं सोई जो
अमेरिका रचि राखा
यह सवाल टालने के लिए
इससे बेहतर कोई बंदोबस्त
नहीं है कोई दूसरा
आर्थिक मुद्दों को टालने के लिए
आइकन संस्कृति
सूचना महाविस्फोट
का सबसे बड़ा चमत्कार है
इसीलिए भइया नीना मइया
का अवतार है
मिस विस बनाना उनका
बांएं हाथ का खेल
नस्ली टिप्पणी और
निरंतर घृणा अभियान
खेल है उनका अजब
पामेला बोर्डेस से लेकर
कितने कितने अवातर अवतरित हुए
अमेरिकी युद्धक अर्थव्यवस्था
से नजर घुमाने तेल युद्ध से
ऐन पहले अवतरित हुई थी
मोनिका लिवनेस्की भी
जिनकी चाट का स्वाद
भूले नहीं होंगे चटोरे अभीतक
जबकि गौरतलब है कि
न्यूक्लियर लायबिलिटी एक्ट की
धारा सत्रह की शर्तों में
ढील देने की तैयारी है
केंद्र सरकार की
अमेरिकी कंपनियों को
फायदा पहुंचाने के लिए
हालांकि, भारत सरकार ने
ऐसी खबरों से इनकार किया है
अंग्रेजी अखबार द हिंदू
में छपी एक खबर
जिसपर हंगामा बरपा है क्योंकि
अखबार ने दावा किया है
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान
अमेरिकी कंपनियों को
ऐसी राहत दे सकते हैं
इसीलिए बतौर रक्षाकवच
मस्तिष्क नियंत्रण पद्धति मुताबिक
सर्जिकल इंतजाम यह रंगभेदी
बहुत ही सुनियोजित
महिषासुर वध के लिए तैयार है
एक और महिष मर्दिनी
अब अमेरिका में
अगर ऐसा हुआ तो इससे
अमेरिकी कंपनियों को फायदा होगा
हादसा होने परअब भोपाल गैस त्रासदी की
तरह मुआवजा के लिए
घेरा नहीं जा सकेगा किसी
यूनियन कारबाइड या
डाउ कैमिकल्स को
मुआवजा देने की जिम्मेदारी से
आज़ाद हो जाएंगीं
विदेशी कंपनियां
भारत के सिविल लायबिलिटी
फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट
की धारा 17 से काफी परेशान हैं
अमेरिकी कंपनियां दरअसल।
धारा 17 के मुताबिक अगर विदेश से
तकनीकी खराबी या
खराब सर्विस की वजह से
कोई हादसा हुआ अगर
आयातित किसी
परमाणु रिएक्टर में
तो जिम्मेदार माना जाएगा
रिएक्टर बेचने वाली
विदेशी कंपनी को ।
अमेरिकी कंपनियां
लगातार दबाव बनाने की
कोशिश करती रही हैं
कानून की इस धारा में
बदलाव के लिए ।
जाहिर है कि
अमेरिकी सरकार भी है
इस मामले में बदस्तूर
अमेरिकी कंपनियों के साथ।
जाहिर है कि हमारी सरकार भी
मोर्चाबंद है इंडियाइंक के साथ
लेकिन अब तक भारत सरकार का
घोषित रुख यही है कि
कोई बदलाव मुमकिन नहीं है
संसद में पारित इस कानून की शर्तों में।
जैसे कि बहुत परवाह है
भारत सरकार को संसद
और संविधान की।
लेकिन अब द हिंदू ने दावा किया है
अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान
अमेरिकी कंपनियों कोधारा सत्रह से
राहत देने का तरीका
ढूंढ सकते हैं मनमोहन सिंह ।
अखबार के मुताबिक
अमेरिकी कंपनियों को राहत के लिए
अटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती की
सलाह का सहारा ले सकती है
मनमोहन सरकार
वाहनवती ने सरकार को सलाह दी है कि
सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट
की धारा 17 की जिन शर्तों पर
अमेरिकी कंपनियों को एतराज है,
उन्हें लागू करना जरूरी नहीं है
परमाणु रिएक्टर की खरीद के हर सौदे पर
वाहनवती की राय में
धारा 17 सिर्फ तभी लागू होगी
जब विदेशी कंपनी से रिएक्टर खरीदने वाली
भारतीय कंपनी ऐसा करना चाहेगी
अगर भारतीय कंपनी चाहे तो वो
रिएक्टर की खरीद के करार में
धारा 17 की शर्तों को शामिल नहीं
करने के लिए आज़ाद है.
द हिंदू के मुताबिक वाहनवती की
इसी राय के आधार पर
अमेरिकी कंपनियों की मांग
पूरूी करने का रास्ता निकाल
सकते हैं मनमोहन सिंह
अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान
27 अक्टूबर को व्हाइट हाउस में
बराक ओबामा से मुलाकात
करने वाले हैं मनमोहन सिंह
कोई नया किस्सा नहीं है
भारत की सरकार भरतीय जनता
की सरकार नहीं होती अब
प्रधानमंत्री भी पेश किये जाते हैं अमेरिका से
जैसे मनमोहन हैं वैसे ही होंगे नरेंद्र मोदी
भारत सरकार अमेरिकी उपनिवेश
भारत की सरकार है और उसका वजूद है
अमेरिकी हित साधने के लिए ही
हम लोग भारत में,हम लोग भारत के अस्पृश्य
भूगोल में सर्वत्र हिमालय,पूर्वोत्तर और दंडकारण्य
समेत सर्वत्र जो नस्ली भेदभाव के हैं शिकार
मानवाधिकार तक से वंचित
जिनके खिलाफ बाकायदा
युद्दघोषमा कर दिया है
भारत सरकार ने
हमलोग बहुसंख्यक मूलनिवासी
अश्वेत जो जातिव्यवस्था के कारण
बहिस्कृत है जीवनके हर क्षेत्र से
रोज हो रहे हैं बेदखल
जल जंगल जमीन से,हमें और
हमारी माता सोनी सोरी
या हमारी बहन इरोम शर्मिला को
कब मिलेगा ओबामा का न्यौता
बारत सरकार का दावा है
बहुत पुराना कि भारत में
रंगभेद नहीं है
जबकि रंगभेद के बहाने
खुले बाजार की महानायिकाएं
पैदा कर रही हैं विश्वव्यवस्था
पहले विश्व सुंदरियां दे दी
एक के बाद एक,दे दनादन
फिर दे दी चियारिनें
एक के बाद एक
दे दनादन दनादन
रंगभेद के बहाने
बाजार के खुल रहे हैं
फिर तमाम नये द्वार
शिल्पा शेट्टी के बाद अब
मिस अमरीका बनने वाली
भारत मूल की बाला
नीना दावुलुरी की बारी
हम जो नस्ली भेदभाव
निरंतर भेदभाव,
बहिस्कार और अस्पृश्यता,
अश्वमेध अभियान, सलवा जुड़ुम
के शिकार हैं भारत में
हिमालय जो जख्मी है भारत में
पूर्वोत्तर के खिलाफ
कश्मीर के खिलाफ जो
सशस्त्र सैन्य बल कानून
का अत्याचारी रक्षाकवच है
दंडकारण्य और सारे
आदिवासीइलाकों में
जो संविधान लागू ही नहीं हुआ
और न कानून का राज है कहीं
न लोकतंत्र में भागेदारी का मौका है
सिर्फ युद्ध और गृहयुद्ध
औरसिर्फ आपदाएं हैं
हमारे हिस्से में
हम जो अनंत डूब में
शामिल कर दिये गये हैं
हमारे बच्चे जो रोज
फर्जी मुठभेड़ में मारे जाते हैं रोज
नरसंहार के जरिये
हमारे संसाधनों की जो
जारी है खुली लूट
धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद
और धर्मस्थल युद्ध में
जो मारे जा रहे हैं लोग
इसरंग भेद के खिलाफ
कहां खड़े हैं ओबामा
अमेरिका के पहले
अश्वेत राष्ट्रपति
अमेरिकी सपनों को साकार
करनेकेलिए अंगीकारबद्ध
मार्टिन जूनियर किंग के वंशधर
गुलाम अमेरिका के वंशज ओबामा
मनमोहन-ओबामा के साथ लंच के दौरान
हाजिर करेंगी नीना लेकिन वहां
हमारा कोई नुमाइंदा
कभी होने के कोई आसार नहीं हैं
काली और दुर्गा का ही
आर्यरकरण से थमा नहीं सिलसिला
महिषमर्दिनी की रचना जारी है
अनवरत, फर्क यह है कि
सतीपीठ अब इंग्लैंड और
अमेरिका में भी बनने लगे हैं
Fed Taper: Breathing Room, Not Elixir
Dangerous to believe good times are here again
Quality of inflows matters. We need FDI or real money portfolio flows. Not more hot money. Also, oil, gold prices will rise adding pressure to CAD.
India must get out of its policy taper: ET Jury
Fed's 3-mth window: Delhi should make the most of it
Manmohan may carry nuclear liability dilution as gift for U.S. companies
PTIThe Manmohan Singh government is looking to use the opinion of the Attorney- General to effectively neutralise a key provision of India's nuclear liability law.
TOPICS
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diplomacy
India-United States
politics
nuclear policy
It is for operator to exercise 'right of recourse' under section 17 of Civil Liability for Nuclear Damage Act
Under sustained pressure from the Obama administration, the Manmohan Singh government is looking to use the opinion of the Attorney- General to effectively neutralise a key provision of India's nuclear liability law that would hold American reactor suppliers liable in the event of an accident caused by faulty or defective equipment.
In an opinion to the Department of Atomic Energy, which referred the matter to him on September 4, Goolam Vahanvati has said it is for the operator of a nuclear plant in India to decide whether it wished to exercise the 'right of recourse' provided to it by section 17 of the Civil Liability for Nuclear Damage Act.
The AG's opinion effectively paves the way for the Nuclear Power Corporation of India Ltd, which will operate any nuclear plant using imported reactors, to repudiate a right that Parliament explicitly wrote into section 17(b) of the law to ensure that foreign suppliers don't get away scot-free if a nuclear accident is traced back to "equipment or material with patent or latent defects or sub standard services."
American nuclear vendors Westinghouse and GE have lobbied hard with Washington and Delhi to have this provision amended or removed. Though India has publicly stuck to the line that dilution of this provision is not possible, Mr. Vahanvati's view opens a door for the government to accommodate the U.S. demand when Prime Minister Manmohan Singh meets President Barack Obama on September 27.
Reiterating the opinion he gave to the government in October 2012 in the context of the Inter-Governmental Agreement between India and Russia, Mr Vahanvati noted, "Section 17(a) provides for recourse if such right is expressly provided for in a contract in writing. If the operator chooses not to incorporate such a provision in the contract, it would be open for him to do so."
In its reference to the AG, the DAE had sought confirmation "regarding the presumption that the existing provisions of section 17 of the Act facilitate the operator either to exercise his 'right of recourse' by incorporating a clause in the contract or to waive his right or to limit the liability on the part of the supplier."
The AG endorsed the view expressed by the Ministry of External Affairs in an internal note that "a right was given to the operator to have recourse against the supplier but there was no mandatory obligation or requirement for the operator to do so and that the operator could choose not to exercise that right."
The AG's view is likely to be challenged by the opposition, since section 17 grants the operator the right of recourse under one of three conditions: (a) if the right is expressly provided for in writing; (b) if the accident is caused by faulty material or equipment provided by the supplier; or (c) the accident results from an act of commission or omission of an individual done with intent to cause nuclear damage.
Since 17(b) suggests Parliament intended to hold suppliers responsible even if there is no contractual liability, it is not clear how a public sector undertaking like NPCIL, which is answerable to Parliament, could give its suppliers a free pass.
In 2008, India had promised American companies 10,000 MWe worth of contracts for setting up nuclear power plants in return for the U.S. administration helping to end the country's nuclear isolation.
Now, five years later, NPCIL and Westinghouse are set to sign an agreement that in theory will give the American company the go ahead to begin work on its proposed nuclear power park in Mithi Virdi, Gujarat.
Keen to improve the 'atmospherics' around the signing of the pact, likely to be on the day Dr. Singh and Mr. Obama meet at the White House, the government is asking NPCIL to announce $100-175 million as the first token payment for the Gujarat reactor.
Keywords: Manmohan Singh, Barack Obama, Indo-US civil nuclear deal, nuclear liability law, NPCIL, Westinghouse, Gujarat nuclear power park, nuclear damage liability, nuclear reactors, nuclear fuel
http://www.thehindu.com/news/national/manmohan-may-carry-nuclear-liability-dilution-as-gift-for-us-companies/article5142882.ece
India must get out of its policy taper: ET Jury
By ET Bureau | 20 Sep, 2013, 10.21AM IST
"It makes our life easier. But should it change our long-term thinking, and the structural adjustments we have to make? No."
Editor's Pick
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Finmin & RBI hold talks to open up economy; roll back of liquidity tightening measures likely
Finance Ministry hopes RBI focusses on promoting growth in policy tomorrow
Fed decision to give greater room to Rajan to ease rates: Assocham
Hindustan Unilever Ltd.
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MUMBAI: Indian policymakers should use the breathing space they've just been gifted to correct the fiscal deficit and fix an administrative regime that's been unable to get on with the building of ports and roads instead of drowning in investor euphoria over likely capital inflows after the Federal Reserve postponed tapering of the monetary stimulus on Wednesday night, Deutsche Bank Co-Chief Executive Officer Anshu Jainsaid.
"Whether it is this quarter or the next quarter, the reality is that bond buying will come to an end. It marks the end of an extraordinary expansion rather than a huge contraction," said Jain, head of the jury to select the winners of ET's Awards for Corporate Excellence, 2013.
Members of the ET Jury, who took part in a panel discussion, urged the government to hasten the dismantling of obstacles to economic activity as the market euphoria may be short-lived if the Fed begins tapering by December.
"We have tremendous challenges," said Frankfurt-based Jain. "I actually view the foreign exchange shock as may be a disadvantageous advantage. It has finally focused the attention on issues (referring to supply-side bottlenecks) which we have been talking (about) for two or three years. Never waste a good crisis."
Indian stocks, bonds and the rupee joined the global party in celebrating Federal Reserve Chairman Ben Bernanke's decision not to reduce his $85 billion a month of bond purchases.
The benchmark Sensex rose 3.43% to 20,646.64 and the rupee climbed 2.54% to 61.77 to the US dollar. Yield on 10-year government bonds fell 18 basis points to 8.19%. A basis point is 0.01 percentage point. Raghuram Rajan, who took over as RBI governor earlier this month, is scheduled to announce his first monetary policy on Friday.
"Probably the Indian market overreacted because of our current account deficit and other issues at the same time," Aditya Puri, CEO of HDFC BankBSE -3.63 % and a member of the ET Jury, said during the roundtable discussion. "It makes our life easier. But should it change our long-term thinking, and the structural adjustments we have to make? No."
"You should not plan the fortunes of a country like India based on the Fed announcement," said Harish Manwani, chief operating officer at UnileverBSE -3.80 % Plc.
But the Fed's decision may present an opportunity for Rajan to partially reverse the interest rate tightening of the past three months aimed at staving off a currency collapse. Portfolio flows are expected to pick up after the Fed decision, which could cause the rupee to appreciate. Puri predicted that Rajan could reverse some of the monetary tightening measures announced in mid-July.
Asked what he thought should be Rajan's priorities in the monetary policy, Jain declined to get into specifics, but urged a continuing focus on controlling inflation and fiscal deficit. Finance minister had said the government was committed to containing fiscal deficit at 4.8% of GDP, down from 4.9% in 2012-13. WPI inflation came in at 6.1% for August, according to data released on September 16.
Economic growth has plunged to a decade low because of numerous policy hurdles such as land acquisition and so-called policy paralysis.
Growth for the year is expected to be below 5% as the industrial slump continues. High interest rates and the heavy indebtedness of Indian companies combined with the difficulty in obtaining clearances have led to investments coming to a grinding halt. Any recovery could thus be a long-drawn affair.
"We will see the end result as long as we get our governance right, and policy clarity, and address those aspects which have gotten our infrastructure industry into a rut," said KV Kamath, chairman, ICICI BankBSE -4.78 %, also a jury member. "Once we get them off the ground, we will be back where we ought to be."
Projects worth more than Rs 7 lakh crore are stuck because of lack of clearances from various government departments such as the environment ministry. Projects that could generate as much as 20,000 mw of electricity are lying idle as they are unable to get fuel — coal or natural gas — because of bureaucratic hurdles.
"It is possible that euphoria was overdone a few years ago as well," said Jain, referring to the widespread gloom about the Indian economy that prevailed prior to the uptick that began early September.
"As a very wise friend of mine says, India is never as good as it looks, and never as gloomy as it looks. The reality lies somewhere in the middle. It is a very complex, slow-moving process."
Raghuram Rajan proves worthy successor to Subbarao
By MC Govardhana Rangan, ET Bureau | 20 Sep, 2013, 03.10PM IST
Rajan has demonstrated that he is in front of a surgery table fixing the nation's multiple fractures, and is not by the roadside clinic administering ibuprofen for a quick relief.
Editor's Pick
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The Reserve Bank of India GovernorRaghuram Rajan has demonstrated that he is in front of a surgery table fixing the nation's multiple fractures, and is not by the roadside clinic administering ibuprofen for a quick relief.
Increasing the repo rate by 25 basis points, the rate at which banks borrow from the RBI - the least anticipated by investors, is a good enough signal for growth fundamentalists seeking interest rate cuts to shut up till price pressures ease.
'We are anti-inflation' is Rajan's unequivocal message to anyone who had doubts about his Chicago School credentials. And that's good for the economy in the long run. Of course, Keynesians may jump to say 'in the long run we are all dead.' Yes, individuals do die, but the economy does not. Administrators decide keeping future generations in mind.
Arguments that 'supply side constraints' and 'food inflation is the problem' and these cannot be addressed by higher interest rates should rest. The fact is that India's consumer and business confidences are plumbing new lows not because of high interest rates, but fear of higher prices next week.
That is the 'demand pull' inflation that has been camouflaging as 'supply side' issues. It is time that when you cannot improve supply, better tame demand. And that's what Rajan is doing. It does not matter what causes inflation. Till such time you address it, ensure that money costs more to but it.
Many factors may have contributed to the demand pull inflation, but the RBI does not control much of them. It may be the government's wasteful expenditure, or welfare expenditure. Rajan's signal is, if the government continues with its profligacy, it has to pay higher interest rates. Savers, essential for any investment led growth, cannot be punished anymore. We need savers more to fuel investment, than spenders.
Rajan is walking in the footsteps of his predecessor Duvvuri Subbarao, when he said, 'the focus has turned to internal determinants of the value of the rupee, primarily the fiscal deficit and domestic inflation.'
And he is exercising his authority a lot more than his predecessor who might have talked the same language, but hesitated to raise interest rates. Subbarao admitted, in hindsight, that he should have raised interest rates a lot earlier, and quicker. Rajan has taken a leaf out of Subbarao.
India and the world found out the truth in what investor Warren Buffett said, "only when the tide goes out do you discover who's been swimming naked." The Fed tide appeared to ebb, and we know what happened to India."
Rajan's stance and measures may ensure it does not happen when the taper actually arrives.
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* Rand weakens in late trade as Fed euphoria subsides
BDlive-18 hours ago
THE rand was off its intraday best level late on Thursday, as the euphoria surrounding the announcement of continued US monetary easing on ...
Stocks slip as Fed euphoria fizzles
Seeking Alpha-15 hours ago
Stocks pulled back to consolidate yesterday's Fed-induced gains, as investors try absorb the lack of tapering and decide what it means. Today's ...
* Sensex, Nifty flat ahead of RBI policy; Ranbaxy loses 5%
Moneycontrol.com-7 hours ago
The Wall Street party takes a breather as the Dow, S&P snap 4-day rally as the Fed euphoria on the tapering of quantitative easing fizzles.
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* Raghu's reality check
The Economist (blog)-1 hour ago
Time does not move quite that fast in India but the country's financial ... with a modest reaction on Wall Street but euphoria in emerging markets, ... and India that had been hit hard by the sell-off since May, when the Fed said it ...
Moneycontrol.com-7 hours ago
Firstpost-9 hours ago
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* European Stocks Seen Subdued As Fed Euphoria Fades
RTT News-5 hours ago
European stocks are seen opening lower on Friday, as the Fed's inaction ... India'sSensex is tumbling 2.7 percent after the RBI unexpectedly ...
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* Sensex soars to 3-yr high on Fed
Daily News & Analysis-7 hours ago
The Indian rupee appreciated 2.54%, or Rs 1.61, against the dollar, the ... CEO at JRG Securities, says that the current euphoria has more or ...
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* Fed inaction gives emerging economies breathing space
Financial Times-17 hours ago
Fed inaction gives emerging economies breathing space ... that the US FederalReserve would not start tapering its asset purchase programme with a wave of euphoria.... "India has got a get-out-of-jail-free card from the Fed.
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* Business news and markets: live
Telegraph.co.uk-2 hours ago
India unexpectedly raises bank rate ... Having established new five-year highs in the aftermath of the Fed .... The euphoria appears to have been short-lived, and Mike van Dulken, head of research at Accendo Markets, said:.
* Raghuram sparks sell-off; BSE Sensex weak, pharma gains
domain-B-47 minutes ago
Tata Motors , India's largest automaker by revenue, is looking to raise ..... The Fedeuphoria ended in previous session with 684 points rally on ...
Government gets breathing space
Times of India-14 hours ago
"The euphoria over the US Fed tapering being deferred will probably ... may also help India find some breathing space to repair its economy.
Bank stocks bear the brunt of selling pressure
Hindu Business Line-4 hours ago
The Indian rupee, which was trading around Rs 61.91/dollar ahead of the ... of the US Fed Reserve Chairman to hold fire and stick to the stimulus. All this created a euphoria that RBI Governor would at least hint at laying the ...
* Bulls are back, though
Jakarta Post-5 hours ago
Market euphoria that sparked the 1.8 per cent appreciation in the ... From the Indianrupee to the Philippine peso, the Fed news boosted ...
US stocks pause after Fed taper surprise
Financial Times-19-Sep-2013Share
But there were signs that the euphoria with which US stock and ... rose 1.6 per cent against the dollar and the Indian rupee jumped 2.5 per cent ...
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमेरिका यात्रा से पहले उप-विदेश मंत्री एश्टन बी कार्टर अमेरिकी उम्मीदों की लंबी फेहरिस्त लेकर दिल्ली पहुंचे हैं। इसमें ओबामा-मनमोहन शिखर वार्ता में बड़े हथियार सौदे, साझा सैन्य उत्पादन प्रस्ताव से लेकर व्यापार-वाणिज्य समेत कई संभावित समझौते का मसौदा शामिल है। संकेत हैं कि ओबामा और मनमोहन के बीच 27 सितंबर की मुलाकात में दो अरब डॉलर से अधिक के खरीद समझौते पर हस्ताक्षर संभव हैं।
नई दिल्ली के दो दिनी दौरे पर आए कार्टर ने मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन और रक्षा सचिव आरके माथुर से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार अमेरिकी उप-विदेश मंत्री ने ओबामा-मनमोहन शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों ओर से होने वाले करीब एक दर्जन समझौतों पर भारतीय अधिकारियों से बात की। प्रस्तावित समझौतों में अमेरिका से छह सी-130जे सुपरहरक्यूलिस विमानों की खरीद से लेकर साझा सैन्य उत्पादन के कई प्रस्ताव हैं। इसके अलावा भारत 145 एम-777 होवित्जर तोपों के अलावा 22 अपाचे हेलीकाप्टर, 15 चिनूक भारी मालवाहक हेलीकाप्टर अमेरिका से खरीदने पर फैसला ले चुका है। भारत को गत जून में करीब 15 प्रस्ताव दिए गए थे। इनमें जैवलिन मिसाइल के साझा उत्पादन जैसे कई प्रस्ताव हैं।
सूत्रों के अनुसार अमेरिका की ओर द्विपक्षीय निवेश संरक्षण अधिनियम पर वार्ता शुरू करने के लिए भी आग्रह कर रहा है। हालांकि भारत की ओर से फिलहाल इसका मसौदा तैयार न किए जाने के कारण वार्ता शुरू नहीं हो सकी है। मसले पर भारत कुछ शर्तो के साथ वार्ता शुरू कर सकता है। उम्मीद है इसकी घोषणा प्रधानमंत्री सिंह के अमेरिका दौरे में हो जाए। इसके अलावा नाभिकीय सहयोग समझौते के बाद अमेरिका से पहले नाभिकीय रिएक्टर की खरीद पर भी समझौता संभव है। साथ ही शिक्षा, साझा वैज्ञानिक शोध के ंिवषय पर भी व्यापक साझेदारी के करार होने हैं।
उल्लेखनीय है कि संप्रग सरकार के चुनावी साल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संभवत: अपने आखिरी अमेरिका दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरे में अमेरिका की कोशिश संप्रग सरकार से अधिक से अधिक रियायतें हासिल करने की होगी। इसके अलावा मुश्किल आर्थिक हालात के इस दौर में भारतीय खेमा भी अमेरिका से अधिक निवेश जुटाने की जुगत में है। अमेरिका दौरे के दौरान प्रधानमंत्री सिंह संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी शिरकत करेंगे।
मिस अमरीका बनने के बाद इंटरनेशनल मीडिया नीना के साक्षात्कार के लिए लगातार संपर्क साधने का प्रयास कर रहे है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने मिस अमरीका की मार्केटिंग समन्वयक एरिका फियोका से संपर्क कर रहे हैं।
इनमें भारतीय पत्रकार ज्यादा हैं।
फियोका का कहना है कि सभी पत्रकारों को नीना से साक्षात्कार करवाना संभव नहीं है, यह बहुत बड़ा काम है।
सूत्रों से मिली जानकारी की मुताबिक अगले कुछ महीनों के भीतर नीना की भारतीय यात्रा पर आ सकती है।
भाजपा ने कहा कि परमाणु दायित्व अधिनियम की कुछ महत्वपूर्ण धाराओं से भारत द्वारा समझौता करने संबंधी खबरें बहुत चिंताजनक हैं। उसने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी आगामी अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी परमाणु कंपनियों को यह तोहफा देने जा रहे हैं जो देश हित में नहीं है।
पार्टी के राज्यसभा में उप नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश की सुरक्षा से समझौता करने वाला कोई फैसला जल्दबाजी में नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि मीडिया में आई यह खबरें कि सरकार इस अधिनियम के अनुभाग :17: बी से समझौता कर सकती है, बहुत ही चिंताजनक है।
प्रसाद ने कहा कि संसद द्वारा पारित परमाणु दायित्व अधिनियम का अनुभाग 17 बी परमाणु रिएक्टर बनाने वाले निर्माताओं पर खास जिम्मेदारी डालता है जिसके तहत डिजाइन या निर्माण की खराबी के चलते कोई दुर्घटना होने पर उनके कुछ दायित्व तय किए गए हैं।
वाम सहित विपक्षी दल अटार्नी जनरल गुलाम वहानवती द्वारा परमाणु ऊर्जा विभाग को दिए गए इस विचार की आलोचना कर रहे हैं जिसमें कहा गया है कि भारत में परमाणु संयंत्र चलाने वाले आपरेटर को यह निर्णय करना है कि वह अनुभाग 17 के तहत राहत के अधिकार का उपयोग करना चाहता है या नहीं।
प्रसाद ने कहा कि इससे तो परमाणु संयंत्र निर्माताओं पर डाले गए सभी दायित्वों से समझौता हो जाएगा और संसद का पूरा जनादेश व्यर्थ हो जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री की अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से 27 सितंबर को होने वाली मुलाकात के दौरान अमेरिकी कंपनियों को खास तोहफा देने के इरादे से जल्दबाजी में यह फैसला किया गया है।
वाशिंगटन: भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमेरिका यात्रा के पूर्व एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने भारतीय अधिकारियों को बताया कि अपने साझा मूल्यों और दृष्टिकोण के कारण भारत और अमेरिका विश्व मंच पर स्वाभाविक साझेदार हैं.
पेंटागन के प्रेस सचिव जार्ज लिटल के अनुसार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की 27 सितंबर को प्रस्तावित मुलाकात के पहले अमेरिकी उप रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने अपनी हाल में समाप्त हुई भारत यात्रा के दौरान भारतीय अधिकारियों से यह बात कही.
कार्टर ने भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, विदेश सचिव सुजाता सिंह और रक्षा सचिव राधाकृष्ण माथुर के साथ मुलाकात की और भारत तथा अमेरिका के बीच बहुआयामी रक्षा संबंधों को और अधिक गहरा बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की.
लिटल ने कहा, "द्विपक्षीय रक्षा व्यापार संबंधों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए उठाए जाने वाले प्रशासनिक कदमों पर उन्होंने चर्चा की."
कार्टर ने भारत और अमेरिका के शीर्ष रक्षा उद्योगों के साथ एक बैठक की मेजबानी भी की. उन्होंने रक्षा सहयोग को और आगे बढ़ाने तथा प्रौद्योगिकीय साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ने पर जोर दिया. उनका कहना था कि भारत केवल रक्षा उपकरणों की खरीद तक ही सीमित नहीं रहेगा.
भारत अमेरिका के साथ मिलकर नई चीजें बनाना और शोध कार्य को आगे बढ़ाना चाहता है.
उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनी टाटा और लाकहीड मार्टिन की साझेदारी में सी-130जे सुपर हरक्युलिस विमान का निर्माण सहयोग का एक उत्कृष्ट मॉडल है. भविष्य का रक्षा सहयोग सह विकास और सहउत्पादन के साथ होगा.
कार्टर ने कहा, "हम चाहते हैं कि भारत के पास अपनी सुरक्षा जरूरतों से निपटने के लिए सभी क्षमताएं हों और इस प्रयास में हम एक महत्वपूर्ण साझेदार होना चाहते हैं."
भारत के दौरे के पहले अफगानिस्तान और पाकिस्तान का भी दौरा करने वाले कार्टर ने कहा कि पाकिस्तान को सर्वाधिक खतरा अपने पड़ोसियों से नहीं वरन आतंकवाद से है.
भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की अगले सप्ताह होने वाली अहम बैठक के बारे में प्रभावशाली अमेरिकी सांसदों ने उम्मीद जताई है कि इनकी वार्ता से द्विपक्षीय संबंधों को एक नई गति मिलेगी और दोनों देशों के बीच व्यापार व आर्थिक मसलों पर मतभेदों को सुलझाया जा सकेगा.
दो प्रभावशाली कांग्रेस सदस्यों ने यह भी उम्मीद जताई कि सिंह और ओबामा की बैठक से भारतीय-अमेरिकी संबंधों के एक खास बिंदु यानी असैन्य परमाणु संधि को लागू किया जा सकेगा. इसके साथ ही इससे भारत को शेल गैस का निर्यात करने के समझौते पर भी फैसला हो सकेगा. फिलहाल अमेरिका का इस मसले पर भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता नहीं है.
सदन में विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सदस्य एड रोयेस ने प्रेस ट्रस्ट को बताया, '' मैं उम्मीद करता हूं कि हम आतंकवाद-निरोधन पर सहयोग में प्रगति कर सकेंगे. यह प्रगति खासतौर पर अमेरिका और भारत के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान के साथ हो सकेगी ताकि हम इन दोनों देशों में आतंक फैलाने में संलिप्त लोगों का पता लगा सकें.''
Nuclear Liability Act
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The Civil Liability for Nuclear Damage Act, 2010 | |
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An Act to provide for civil liability for Nuclear Damage and prompt compensation to the victims of a Nuclear accident through a No Fault Liability Regime channeling liability to the operator, appointment of Claims Commissioner, establishment of Nuclear Damage Claims commission and for matters connected therewith or incidental thereto. | |
Citation | Act No. 38 of 2010 |
Enacted by | Parliament of India |
Date enacted | 25 August 2010 |
Date assented to | 21 September 2010 |
Date commenced | 11 November 2011 |
The Civil Liability for Nuclear Damage Act, 2010 or Nuclear Liability Act is a highly debated and controversial Act which was passed by both houses of Indian parliament. The Act aims to provide a civil liability for nuclear damage and prompt compensation to the victims of a nuclear incident through a nofault liability to the operator, appointment of Claims Commissioner, establishment of Nuclear Damage Claims Commission and for matters connected therewith or incidental thereto.[1]
This is one of the last steps needed to activate the 2008 Indo-U.S. civilian nuclear agreement as the United state nuclear reactor manufacturing companies will require the liability bill to get insurance in their home state. After this Act was passed, India became a member of the international convention on liability in the civil nuclear arena.
The government has encountered fierce opposition when trying to push this bill through parliament on several occasions. This is because it contains several controversial clauses that the opposition parties claim to be 'unconstitutional'.[2] The opposition believes the bill is being pushed through due to US pressure though this is denied by the government.
The Act effectively caps the maximum amount of liability in case of each nuclear accident at 5 billion (US$77 million) to be paid by the operator of the nuclear plant, and if the cost of the damages exceeds this amount, special drawing rights up to 300 million will be paid by the Central Government.
The Act made amendments in the Atomic Energy Act 1962 allowing private investment in the Indian nuclear power program. The issue of an accident is sensitive in India, where a gas leak in a Union Carbide factory in Bhopal city killed about 20,000 people in 1984 in one of the world's worst industrial disasters. The Act came into force from 11 November 2011.[3]
Contents
[hide]Necessity of the Nuclear Liability Act[edit source | editbeta]
India has an ambitious goal to increase 5-fold the amount of electricity produced from nuclear power plants to 20,000 MWe by 2020. This will be further increased to 63,000 MWe by 2032.[4] In this way, India will produce 25 percent of its electricity from nuclear power plants by 2050. India's present production of electricity through nuclear power is 4780 MW. To increase the share of nuclear power, foreign companies would need to be involved in the manufacture and supply of nuclear reactors.
Although there is no international obligation for such a bill, in order to attract the US companies involved in nuclear commerce such asGeneral Electric and Westinghouse, it is necessary to introduce a liability bill which would help these private companies in getting insurance cover in their home state. Thus, the bill will help in the realisation of the Indo-U.S. Nuclear deal.[citation needed]
Another motive for the bill is to legally and financially bind the operator and the government to provide relief to the affected population in the case of a nuclear accident.[citation needed] In consideration of the long-term costs related to clean-up and shut-down activities if a nuclear accident were to occur, prominent members of the civil society in India have called on the Government and political parties to hold nuclear suppliers responsible and liable for nuclear accidents.
Advances in nuclear technology have significantly reduced the probability of a nuclear catastrophe and is considered an environment friendly and sustainable source of energy. However, it is still necessary to keep in mind the negative aspects of the nuclear energy and measures must be taken for its peaceful use. However the Fukushima Daiichi nuclear disaster have created once again a debate in India (and the world over) over the destructive nature of nuclear energy.[5]
A major point of debate is the amount of financial assistance to be provided under such circumstances as it is considered insufficient and unsatisfactory. Other than this, the bill contain certain clauses which if implemented will let free the manufacturer and supplier legally and to a large extent financially as well.
Criticism[edit source | editbeta]
Clause 7[edit source | editbeta]
The clause 7 defines the share of financial liability for each of the culpable groups. It states that the operator will have to pay Rs. 500 crore and the remaining amount will be paid by the Indian government. If written into the contract, the operator can claim the liabilities from the manufacturer and supplier. But the maximum amount payable by the foreign companies will be limited to a meagre sum of Rs.1500 crore .
This is considered as a moot point as the operator will be the Nuclear Power Corporation of India Ltd. (NPCIL) which itself is a government owned facility. In other words, the government may have to foot the entire bill thereby exonerating the manufacturer/supplier.
Clause 17[edit source | editbeta]
This clause deals with the legal binding of the culpable groups in case of a nuclear accident. It allows only the operator (NPCIL) to sue the manufacturers and suppliers. Victims will not be able to sue anyone. In reality, no one will be considered legally liable because the recourse taken by the operator will yield only15 billion (US$230 million).
Clause 18[edit source | editbeta]
Clause 18 of the nuclear liability bill limits the time to make a claim within 10 years. This is considered to be too short as there may be long term damage due to a nuclear accident.
Clause 35[edit source | editbeta]
Clause 35 extends the legal binding that the responsible groups may have to face. The operator or the responsible persons in case of a nuclear accident will undergo the trial under Nuclear Damage Claims Commissions and no civil court is given the authority. The country will be divided into zones with each zone having a Claims Commissioner. This is in contrast to the US counterpart – the Price Anderson Act, in which lawsuits and criminal proceedings proceed under the US courts.
Constitutionality of this Act[edit source | editbeta]
A Public Interest Litigation (PIL) has also been filed against the Act at the Supreme Court of India, examining the constitutionality of the Act regarding the Right to Life as enshrined in the Constitution of India.[6][7]
See also[edit source | editbeta]
External links[edit source | editbeta]
- Highlights of the Civil Liability for Nuclear Damage Bill, 2010
- Nuclear Power and Civil Liability
- Bill as passed by Lok Sabha (Amendments marked on the original Bill)
- Gazzette Notification of the Act coming into force
References[edit source | editbeta]
- ^ "Rajya Sabha clears nuclear liability Bill". New Delhi: The Hindu Business Line. 31 August 2010. Retrieved 8 December 2010.
- ^ Nuclear liability bill introduced, BJP walks out of Lok Sabha
- ^ "Gazette Notification of the commencement of the Nuclear Liability Act". Government of India. Retrieved 7 April 2012.
- ^ ANALYSIS – Land, liability bill keep India nuclear power in dark
- ^ http://www.atimes.com/atimes/South_Asia/MC17Df02.html
- ^ "SC to Examine Legality of Nuclear Safety Law". Outlook India. 16 March 2012. Retrieved 27 April 2012.
- ^ "Supreme Court scanner on nuclear liability Act". India Today. 17 March 2012. Retrieved 27 April 2012.
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