"जुलाई 2014 में मानव संसाधन मंत्रालय ने प्रोफेसर वाई. सुदर्शन राव को आईसीएचआर का अध्यक्ष नियुक्त किया था। वह इंटरनेट के भगवा मिशनरी हैं। उनके विचार जाति व्यवस्था के बारे में अलबेले हैं। उनकी नियुक्ति पर तब बहुत चिंता व्यक्त की गई थी। लेकिन परिषद सदस्यों के उनके चयन ने आईसीएचआर के सचिवालय स्टाफ को भी हतप्रभ कर दिया है। कुछ सदस्यों के पास तो इतिहास में कोई डिग्री भी नही हैं। एम.डी. श्रीनिवास चेन्नई स्थित सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं, पूरबी रॉय अंतरराष्ट्रीय संबंधों में प्रोफेसर हैं, मिशेल दानिनो के पास फ्रांस की इंजीनियरिंग डिग्री है जहां उनकी पैदाइश हुई थी।"
जैसे चीजें चल रही हैं, भारतीय अनुसंधान परिषद का नाम जल्द ही भारतीय इतिहास गोलमाल परिषद कर देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर सबसे पहले पहचान की एक गड़बड़ी को लें। भारत के...
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